7 योग आसन जिसे आप भी अपना सकते हैं।

7 योग आसन जिसे आप भी अपना सकते हैं

योग शास्त्रो के अनुसार 84 लाख आसन हैं परंतु वर्तमान मे 32 आसन ही प्रसिद्ध हैं। इनका अभ्यास शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक रूप से हैल्थ बेनिफ़िट के लिए किया जाता है। 

योग का अर्थ है जोड़ना यानि आत्मा का परमात्मा से जुड़ाव ही योग है। योग अपने आप मे पूर्ण विज्ञान है जो, हमारे शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट कर जीवन से जुड़े भौतिक, मानसिक, भावनात्मक आदि पैरामीटर्स पर काम करता है। महर्षि पतंजलि ने सम्पूर्ण योग का रहस्य अपने ग्रंथ ‘योगदर्शनमे बताया है। उनके अनुसार,” चित्त को एक जगह स्थापित करना योग है। 

आज मै आपको 10 ऐसे आसनो के बारे मे बताऊँगा जिनको अपना कर आप भी आज की भाग दौड़ भरी ज़िंदगी मे अपने आप को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रख सकते हैं।   तो चलिये जानते है वो कौन से 10 आसन हैं-

1. अनुलोम-विलोम : यह एक तरह का प्राणायाम है, जिसे नाड़ी शोधन प्राणायाम भी कहते हैं। अनुलोम-विलोम प्राणायाम सांस लेने की एक ऐसी प्रक्रिया है, जो ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु  रूप से संचालित करने मे मदद करता है और इस तरह मन शांत रहता है। इसे हर उम्र के लोग कर  सकते हैं।

    विधि:-

         Ø  सबसे पहले ध्यान के आसान मे बैठे

Ø  बायी नाक से सांस धीरे-धीरे अंदर खीचकर फेफड़े मे भरे और जब तक खीच सकते है खीचे, यथाशक्ति सांस रोकने के बाद दायी नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़े।

Ø  यही प्रक्रिया दायी नाक से दोहराए मतलब दायी नाक से सांस धीरे-धीरे अंदर खीचे यथाशक्ति सांस रोकने के बाद फिर बायी नाक से धीरे-धीरे सांस को छोड़े।

Ø  सुबह या शाम को इसे 15-20 मिनट करने पर लाभ मिलता है। यह पूरी प्रक्रिया सावधानी पूर्वक करे, जल्दबाज़ी ना करे।

   लाभ:-

       Ø  अनुलोम-विलोम से फेफड़े मजबूत होते है।

        Ø  कफ तथा फेफड़े संबन्धित विकारो को दूर करता है, जिसको साईनस की प्रोब्लम है उसके लिए रामबाण का काम करता है।

        Ø  अनुलोम-विलोम से पूरी बॉडी मे शुद्ध ऑक्सिजन का संचार होने लगता है।

        Ø  हार्ट के लिए भी फायदेमंद होता है, हार्ट को मजबूत बनाता है।

        Ø  इसका निरंतर अभ्यास तनाव, चिंता और डिप्रेसन जैसे मस्तिष्क विकारो को खत्म करता है

        Ø  सिर दर्द तथा आंखो की समस्या मे भी लाभ पहुचाता है।

        Ø  बच्चो के बुद्धि विकास तथा एकाग्रता बढ़ाने मे भी लाभकारी माना जाता है।

2. कपालभाती : कपालभाती भी प्राणायाम का एक प्रकार है। संस्कृत भाषा मे कपाल का अर्थ है  माथा(फोरहेड) और भाति का अर्थ है तेज(ब्राइटनेस)। कपालभाती का नियमित अभ्यास करने पर चेहरे पर चमक आती है।    

   विधि:-                                                                                                                          Ø  कपालभाती प्राणायाम करने के लिए सबसे पहले एक मैट बिछा कर आसन की क्रिया मे बैठे।                                                                     Ø  कपालभाती की स्थिति ठीक भस्त्रिका के ही तरह होती है, बस इस क्रिया मे सांस बलपूर्वक बाहर छोडने मे ज़ोर दिया जाता है, मतलब इसमे सांस लेना नहीं छोडना होता है         और अपने फेफड़े से सारी हवा निकालना होता है।                                                                                                         Ø  आसान भाषा मे कहे तो कपालभाती मे सांस के साथ (एक्सहेल प्रोसैस ) पेट पिचकाने और फुलाने की क्रिया मे ज़ोर दिया जाता है।

     Ø   कपालभाति की क्रिया 2-3 मिनट करे अवश्य लाभ मिलेगा।  

    लाभ:-

       Ø  यह वजन कम कर मेटाबोलिज़्म को बेहतर करने मे मदद करता है।

       Ø  हृदय, फेफड़े और दिमाग मजबूत हॉट है, इनके विकार भी दूर होते हैं।

       Ø  डायबिटीज़ से पीड़ित लोगो के लिए रामबाण है।

       Ø  कब्ज़ से परेशान व्यक्ति को भी अच्छा लाभ देता है, पाचन क्रिया को बेहतर करता है।

       Ø  पेट की मसल्स को मजबूत बनाता है और बॉडी मे ब्लड-सर्कुलेसन को सही करता है।

 

3. भ्रामरी : भ्रामरी प्राणायाम का नाम भारत मे पाई जाने वाली बढ़ई मधुमक्खी से प्रेरित है जिसे भ्रामरी भी कहा जाता है। भ्रामरी प्राणायाम को करने के बाद व्यक्ति का मन तुरंत शांत हो जाता है। इस प्राणायाम के रेगुलर प्रैक्टिस से व्यक्ति का मन, क्रोध, चिंता और निराशा से मुक्त हो जाता है। इस योग को आप घर या ऑफिस कही भी कर सकते हैं। यह प्राणायाम चिंता मुक्त होने का सबसे अच्छा विकल्प है। इस प्राणायाम मे सांस छोडते वक्त ऐसा लगता है जैसे बढ़ई मधुमक्खी आवाज निकाल रही हो।   

     विधि :-

Ø  किसी भी शांत वातावरण, जहां पर हवा का अच्छा प्रवाह हो बैठ जाए।

Ø  आँख बंद कर लें, रिलैक्स फील करें, अब दोनों अंगूठे को कान मे रखे और बची हुई 4 फिंगर्स से आखो को ढक लें

Ø  अब गहरी सांस ले कर धीरे-धीरे सांस छोडते हुए गले से ॐ शब्द का उच्चारण करे। जैसे मधुमक्खी या भौरा आवाज़ करता है उस तरह की आवाज़ आने लगेगी जब तक पूरी सांस छोड़ नहीं देते ।

Ø  इस प्राणायाम को 3-5 बार करें।

   लाभ:-

     Ø  यह प्राणायाम व्यक्ति को क्रोध, चिंता, इमोशनल स्ट्रैस से छुटकारा दिलवाता है।

      Ø  हाइपर टेंशन(हाइ बीपी) के मरीजो के लिए बहुत फायदेमंद है।

      Ø  सिर दर्द, माइग्रेन मे तुरंत फायदा पहुचता है।

      Ø  इस प्राणायाम से दिमाग शार्प होता है, छोटे बच्चो को जरूर करना चाहिए।

      Ø  मन की शांति के लिए, कनसनट्रेशन पावर बढ़ाने मे हेल्प करता है।

4. भस्त्रिका : यह भी एक तरह का प्राणायाम है, यह संस्कृत भाषा से लिया गया है इंग्लिश मे इसे"बिलो ब्रीदिंग टेकनिक" कहते हैं। इस प्राणायाम मे प्रबल वेग (फुल स्पीड) से अशुद्ध हवा बॉडी से बाहर निकाला जाता है और उसी स्पीड से शुद्ध प्राणवायु बॉडी के अंदर लिया जाता है। वर्तमान समय मे प्रदूषण युक्त वातावरण मे बॉडी की अशुद्ध हवा को दूर करने का अच्छा प्राणायाम है।

    विधि:- 

Ø  भस्त्रिका प्राणायाम करने के लिए सुबह का समय अच्छा रहता है।

Ø  सबसे पहले पद्मासन मे बैठ जाए और मुह को बिलकुल न खोलें।

Ø  अब दोनों नाक से एक स्पीड से सांस अंदर खीचे फिर उसके बाद उसी स्पीड से सांस बाहर छोड़ दें।

Ø  सांस को तेजी से अंदर लेना फिर तेजी से बाहर छोड़ देना वो भी जल्दी-जल्दी।

Ø  याद रहे भस्त्रिका प्राणायाम करते वक्त जब सांस अंदर की ओर ले तब फेफड़े फूलने चाहिए और जब सांस बाहर छोड़े तब फेफड़े सिकुड़ने चाहिए।

Ø  शुरुआती दौर मे 2 मिनट तक करे, प्रैक्टिस बढ्ने के साथ 5-10 मिनट भी कर सकते हैं।

        लाभ:-

Ø  मन और शरीर को एनर्जि मिलती है,शरीर मे ताजगी का अनुभव मिलता है।

Ø  भस्त्रिका को रोज करने से टीबी, कैंसर, दमा जैसे गंभीर रोगो मे चमत्कारिक लाभ मिलता है।

Ø  इस प्राणायाम से बॉडी मे ऑक्सीजन लेवल मैंटेन रहता है।

Ø  वेट लॉस करने मे मदद मिलती है, बॉडी डिटोक्स करता है।

Ø  पेट की अच्छी एकसर-साइज़ हो जाती है, पेट मजबूत बनाता है।

Ø  नाड़ी शुद्धि का काम करता है और ब्लड सरकुलेशन मे सुधार लाता है।

 5. सर्वांगासन सर्वांगासन एक ऐसा योगासन है जिसमे बॉडी पर कंधो(शोल्डर) को बैलेन्स करना होता है। सर्वांगासन बॉडी के सभी हिस्सो की कार्य प्रणाली को प्रभावित करता है। यह आसन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने मे बेहद फायदेमंद है। सर्वांगासन को सम्पूर्ण-अंग-आसन कहते हैं इंगलिश मे इसे 'शोल्डर स्टैंड पोज़' कहते हैं।

   विधि:-

Ø  सबसे पहले एक साफ सुथरी जगह पर मैट बिछा ले।

Ø  अब अपनी पीठ के बल लेट जाए, एक साथ अपने पैरोकूल्हे और फिर कमर को उठाने की कोशिश करें।

Ø  बॉडी का पूरा वेट आपके कंधो पर आ जाए।

Ø  कमर के निचले हिस्से को अपने दोनों हाथो से सहारा दें।

Ø  अपने दोनों पैर को आसमान की तरफ एकदम सीधा रखे और फिर धीरे-धीरे पैरो को अपने सिर की दिशा मे ले जाने का प्रयास करें।

Ø   इस आसन मे 30-60 सेकेंड्स तक बने रहे, फिर वापस विश्राम की मुद्रा मे आ जाये।

  नोट:- इस आसन को करते वक्त आपके बॉडी का वेट गर्दन या सिर पर नहीं होना चाहिए यदि आसन करते समय गर्दन मे तनाव महसूस हो रहा हो तो आसन ना करें। हाइ          बीपी या लो-बीपी, ग्लूकोमा, थायरोइड, कंधो मे चोट, स्लिप डिस्क, स्पोंडिलोसिस, हार्ट डीसीज जैसी समस्या हो तो यह आसन करने से पहले डॉक्टर से राय अवश्य लें।   

     लाभ :- 

Ø दिमाग मे ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता है,

Ø हाथ और कंधे (शोल्डर) मजबूत होते हैं।

Ø कब्ज़ से राहत देता है और पाचन क्रिया को एक्टिव करता है।

Ø दिल की मसल्स को एक्टिव करता है और शुद्ध ब्लड को दिल तक पहुचाता है।

Ø सर्वांगासन करने से थायरॉइड ग्लैंड पर दबाव बनने लगता है,जिससे थायरॉइड ग्लैंड अच्छे से काम करने लगती है।

Ø सिर के हिस्से मे अच्छा ब्लड फलो के कारण फ़ेस पर गलो आता है और डार्क सर्किल्स मे फायदा पहुचाता है।

 6. शीर्षासन:- सिर के बल किये जाने की वजह से इस आसन को शीर्षासन कहते हैं। इस आसन को करने से बड़ी-बड़ी बीमारिया दूर रहती हैं। हालांकि यह आसन काफी      मुश्किल होता है। हर आदमी के बस कि बात नहीं इसे करना, लेकिन अगर रोज अभ्यास किया जाये तो इसे करना आसान हो जाता है।   

   विधि:-

Ø  सबसे पहले एक उचित जगह पर मैट बिछा के बैठ जाए।

Ø  अब आप अपने फिंगर्स को इंटरलॉंक कर ले और अपने सिर को उस पर रखें।

Ø  धीरे-धीरे सिर को जमीन पर इंटरलॉंक फिगर्स कि मदद से रखकर, पैरो को ऊपर उठाने का प्रयास करें जब थोड़ा बॉडी बैलेन्स हो जाए तो पैर को आसमान कि तरफ एकदम सीधा रखें।

Ø  अब इस पोजिशन मे कुछ देर तक बने रहने का प्रयास करें और फिर धीरे-धीरे घुटनो को मोड़ते हुए पैरो को नीचे लेकर आयें।

Ø  इस प्रोसैस को 3-5 बार कर सकते हैं।

      लाभ :- 

Ø  शीर्षासन से मेटाबोलिज़्म स्ट्रॉंग होता है, जिससे वजन कंट्रोल होता है।

Ø  इससे मेमोरी पावर बढ़ती है क्योकि सिर मे ब्लड सर्कुलेशन बढ जाता है।

Ø  स्किन गलो मे उपयोगी हैस्किन मुलायम, खूबसूरतरिंकल फ्री होती है।

Ø  लिवर और लंग्स के रोगो के लिए फायदेमंद है।

Ø  नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है।

Ø  शीर्षासन बालो के गिरने कि प्रॉबलम को दूर करता है, बालो को सुंदर और मजबूत बनाता है।  

7. गोमुखासन : हिन्दी मे ‘गोमुख’ का मतलब होता है ’गाय का चेहरा’। इस आसन मे पैरो कि सिचुवेशन बहुत हद तक गोमुख कि आकृति जैसी हो जाती है। इसलिए इसे गोमुखासन कहते हैं। यह आसन महिलाओ को विशेष लाभ पहुचाता है।

   विधि:-

Ø  सबसे पहले मैट बिछा लें फिर अपने दोनों पैरो को आगे कि ओर फैला कर बैठ जाए और हाथ को बगल मे कर लें।

Ø  लेफ्ट पैर को घुटने से मोड़े और दाहिने नितंब( बुटक्स) के बगल से सटा कर जमीन पर रख लें।

Ø  उसी तरह दाहिने पैर के घुटने को मोड़े, बाए पैर के ऊपर से ले जाकर एड़ी( हील) को बाए नितंब (बुटक्स) के पास रखे।

Ø  अब दाहिने हाथ को उठाए और इसको कोहनी( एलबों) से मोड़कर पीछे कंधो से होते हुए पीठ तक ले जाएँ।

Ø  ठीक उसी तरह बाए हाथ हो कोहनी से मोड़कर कंधो के नीचे से पीठ तक ले जाए और दोनों हाथ की फिंगर्स एक दूसरे से छूने या पकड़ने कि कोशिश करें।

Ø  इस स्थिति मे आपकी पीठ बिलकुल सीधी होनी चाहिए।

Ø  कुछ समय तक इसी स्थिति मे बने रहे और बराबर सांस लेते रहें।

Ø  फिर इस आसन से रिलैक्स कि मुद्रा मे आ जाये।

Ø  यह गोमुखासन का आधा चक्र (हाफ साइकल) है अब इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी करे।

Ø  शुरुआत मे इस आसन को 3-4 बार तक कर सकते हैं।

   लाभ :-

Ø  हृदय को स्वस्थ्य रखने मे हेल्पफुल हैहृदय कि मसल्स को मजबूत करता है।

Ø  बॉडी मे लचिलापन लाता है, जिससे बॉडी हर एक्टिविटी को करने मे सक्षम होती है। स्लिप डिस्क जैसी समस्या नहीं होने पाती।

Ø  डायबिटीज़ जैसी खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता हैयदि डायबिटीज़ है तो उसे इसके माध्यम से क्योर किया जा सकता है।

Ø  रोज गोमुखासन करने से बॉडी ही नहीं बल्कि मसल्स को भी मजबूती मिलती है।

Ø  तनाव और चिंता से छुटकारा पाने का सबसे अच्छा योग गोमुखासन है।

Ø  गोमुखासन को करने पर होने वाली श्वसन क्रिया के माध्यम से मन शांत रहता है, मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।

 

 

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