एक्सपायर दवाई खाने से क्या होता है?
दवाई के अंदर कई केमिकल मॉलिक्यूल सोते हैं जो कि बॉडी पर वर्क करते हैं और उसकी भी लाइफ होती है और पोटेंसी का मतलब यह होता है कि वह उसने वक्त तक काम करता है उसके बाद काम करता है लेकिन कम करता है जब भी कोई कंपनी मेडिसन को बनाती है तो उसका पोटेंसी टेस्ट होता है कि वह कितने दिन तक असरदार है और उस टेस्ट में यह पता चलता है कि वह दवाई इतने दिनों बाद काम करना बंद कर देगी।
एक्सपायर्ड दवाइयों को खाने से क्यों मना किया जाता है?
एक्सपायर दवाइयों को खाने से इसलिए मना किया जाता है क्योंकि दवाई केवल 25% काम करती है लेकिन उसका साइड इफेक्ट्स ऑफ प्रतिशत होगा और हर कोई ना कोई दवाई का साइड इफेक्ट होता है बॉडी में
तो अगर इसका इंफक्शन 25% रह गया भले आप किसी दवाई का 30 तारीख एक्सपायर डेट है 31 तारीख को खाएंगे इससे कोई मर नहीं जाएगा परंतु उसका पोटेंसी कम हो जाएगा और पोटेंसी कम होने के चलते 30% काम करेगा परंतु साइड इफेक्ट्स ऑफ प्रतिशत रहेगा यही रीजन है कि एक्सपायर दवाई नहीं खानी चाहिए।
और कोई हार्ड दवाइयां ऐसी होती है जो कि एक्सपायर डेट के बाद रियली में (टॉक्सिक) जहरीली हो जाती है।
तथ्य संख्या 1:-
दवाई का मॉलिक्यूल जहरीला नहीं होता दवाई के मॉलिक्यूल को बांधने के लिए कई प्रश्न वेटिंग ऐड होते हैं जो कि उसको ऐसे ही काम करने देते हैं जो कि बनाने वाली कंपनी ने सोचा है परंतु वह उतने ही दिनों तक बांधे रखते हैं जितने दिन तक एक्सपायर डेट इतने दिन तक नियंत्रित परंतु वह डेट पर हो जाए तो वह लूज हो जाते हैं और अंदर का मॉलिक्यूल वैसा ही काम नहीं करता जैसा उसको करना चाहिए जब वह आपकी बॉडी में जाता है तो बॉडी में जरीला असर होता है।
यही रीजन है कि कई लोगों की एक्सपायर दवाई खाने से मौत भी हो जाती है।
साधारण दवाइयां
कुछ दवाइयां ऐसी होती हैं जो साधारण न्यूज़ में होती है उसमें मैंने फैक्चर जानबूझकर अक्सर जो खराब होने का डेट होता है उससे पहले ही उसका एक्सपायर डेट प्रिंट डेट होता है ताकि जो साधारण दवाइयां है उसको अगर कोई खा भी ले तो टॉफी सिट ना आए या फिर रोज ना करें परंतु कुछ ही कंपनियां यह करती है वह ज्यादा दवाइयों में यह नहीं होता इसलिए हमें एक्सपायर दवाइयों को खाना नहीं चाहिए।
निर्देश : -
दवाई तभी खानी चाहिए जब डॉक्टर बोले।
एटीएम में ऐसी क्यों लगा होता है?
आप एटीएम जरूर गए होंगे आपने ऐसी जरूर देखा होगा अगर आप ऐसा सोचते हैं कि ऐसी कस्टमर के लिए लगाया जाता है या फिर काट के लिए लगाया जाता होगा या फिर बैंक अपना स्टैंडर्ड दिखाने के लिए लगाता होगा कि हम टॉप बैंक हैं तो असल में ऐसी कोई बात नहीं एटीएम में ऐसी क्यों लगाया जाता है जाने से पहले यह जान लीजिए_
इंडिया में पहला एटीएम 1987 में एचएसबीसी बैंक ने लगाया था (इंडिया मुंबई) और 1508 हमको एक ही बार लगा दिया गया आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 1987 से पहले इंडिया में एटीएम नहीं हुआ करता था।
अब तक पूरे विश्व में 3500000 3.5 मिलियन एटीएम लग चुके हैं।
एटीएम मशीन के प्रकार
एटीएम मशीन बहुत टाइप की होती हैं_
ऑनसाइट एटीएम :- बैंक यह साइड में एटीएम
ऑफ साइट एटीएम :- यह एटीएम बाहर रोड में लगे होते हैं जैसे कि हम साधारण कई जगह पर देखते हैं।
ग्रीन लेबल एटीएम :- यह एटीएम एग्रीकल्चर ट्रांजैक्शन के लिए बना होता है।
और भी बहुत सारे एटीएम होते हैं इंडिया के अहमदाबाद में एक ऐसा एटीएम लगा है जिससे आप बात कर सकते हैं टेल्किंग एटीएम इन अहमदाबाद में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया द्वारा लगाया गया था ।
और एटीएम में एसी इडली लगाया जाता है
और एटीएम में इसीलिए लगाया जाता है क्योंकि आपको पता होगा कि हर इलेक्ट्रॉनिक चीज हिट करती है चाहे वह टीवी हो मोबाइल हो फिर एटीएम मशीन हो वह गर्म होती है क्योंकि ज्यादा एटीएम 24 घंटे ऑन रहता है इसका सिस्टम ठंडा रहे इसलिए ऐसी होता है एटीएम मशीन एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक एक्यूमेंट ही होता है जो कि एक होम तो मोटर से है ज्यादा कॉप्लिकेस होता है और ज्यादा साइज में बड़ा होता है जाहिर सी बात है 24 घंटे सातों दिन चलेगा तो हिट करेगा जिससे एटीएम खराब होने के चांसेस बढ़ जाते हैं
इसलिए ऐसी होता है ताकि ही पैदा ना हो और कोई पार्ट खराब ना हो इस को ध्यान में रखते हुए इसी लगाया जाता है।
हम सब एक बल्ब को जीरो वाट बल्ब कहते हैं क्यों?
हम सब एक बल्ब को जीरो वाट बल्ब कहते हैं तो आपको पता है क्या इसे जीरो वाट बल्ब क्यों कहते हैं कोई भी इलेक्ट्रिक एक्यूमेंट 308 में काम करेगा वह कुछ पॉइंट्स में इलेक्ट्रिसिटी तो लेगा ही इसे आकर जीरो वाट बल्ब क्यों कहते हैं।
तो इसका रीजन यह है कि अभिषेक कुछ साल पहले तक दशकों तक हमारा जो इलेक्ट्रिसिटी मीटर होता था एनालॉग वाला होता था।
एनालॉग मीटर
एनालॉग मीटर डिलीट नहीं कर पाता था कुछ व्हाट्स को अगर वह जीरो वाट बल्ब को 8 वोट का भी है तभी लोगों को मीटर पर उड़ता हुआ कुछ नहीं दिखता था।
ना कुछ दिन बाद कुछ बड़ा कंचन सब पर ही वह डिस्प्ले होता था तो लोगों के मन में मिसकनसेप्शन होता था कि वह जीरो वाट बल्ब उठ रहा है हमारा तो बिल्कुल ही नहीं रहा है और यहीं से शुरू हुआ जीरो वाट बल्ब का प्रचलन।
क्या आप जानते हैं इस पेशियां अंतरिक्ष से धरती पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री चल नहीं पाते ऐसा क्यों होता है?
क्या आप जानते हैं स्पेस या अंतरिक्ष से धरती पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री चल नहीं पाते चलना तो दूर की बात वह खड़े भी नहीं हो पाते हैं तो ऐसा क्यों होता है क्योंकि स्पेस में अंतरिक्ष यात्री जीरो ग्रेविटी इन्वायरमेंट में रहते हैं जिसमें वह अपने बैक मसल्स या जो हमें चलने में खड़े होने में मदद करते हैं उनका इस्तेमाल बहुत कम कर पाते हैं या ना के बराबर कर पाते हैं।
जिसके फैक्ट यह होता है कि उनके मसल इन एक्टिव हो जाते हैं उनके साइज भी छोटे हो जाते हैं जब यह अंतरिक्ष यात्री इस पर से धरती पर आते हैं तो इस फिजिकल बदलाव के कारण वह चल नहीं पाते और उन्हें धरती की ग्रेविटी के हिसाब से व्यक्त करने पर कई हफ्ते लग जाते हैं।
जब जहर एक्सपायर हो जाए तो क्या होगा?
जब सहर एक्सपायर हो जाए तो क्या होगा जहर आखिर क्या होता है?
दो तरह के ऐसे सो कोल्ड जहरीले चीज होते है पहला वेनम
वेनम: जो जानवरों और लिविंग थिंग्स के अंदर से निकलते ही उनके बॉडी के प्रोटीन जो कि किसी को भी मार सकते हो उन्हें कहते हैं वेनम।
पॉइजन: बनाया हुआ केमिकल से पॉइजन।
क्या यह दोनों एक्सपायर होते हैं?
हां यह दोनों एक्सपायर होते हैं अगर यह एक्सपायर हो गए तो क्या इनका जरीला पन खत्म हो जाएगा तो अगर यह इस पर होंगे तो यह और भी जरूरी ले हो जाएंगे क्योंकि यह टॉक्सिक केमिकल प्रोड्यूस करेंगे।
पॉइजन का एक उदाहरण :बोटॉक्स नाम का एक वजन होता है जोकि डेढ़ एस्पोजन ऑफ अर्थ के नाम से जाना जाता है इसका कुछ ग्राम ही इंसान को मार सकता है।
You must be logged in to post a comment.