12th के बद से आईएएस की तैयारी कैसे करे ?

आईएस एक ऐसी प्रतिष्ठित जॉब या नौकरी है जिस में इज्जत,

तो होती ही है ! और समाज में बहुत सम्मान मिलता है , और हर एक माता पिता का सपना होता हे की मेरा लड़का या लड़की आईएएस आईपीएस अधिकारी बने ! और समाज में माता पिता को भी  सम्मना बहुत मिलता हे ! सपने तो सभी देखते है लेकिन उसे पूरा करने की कीमत हर कोई नही चुका सकता। सपने भी उन्ही के पूरे होते है जो इसकी कीमत चुकाते है। ऐसा ही एक सपना है आईएएस बनने का। आईएएस बनने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन करता है। यूपीएससी हमारे देश की सबसे कठीन व प्रतिष्ठित परीक्षा है। हर साल लाखों युवा महज कुछ सीटों के लिए इस एग्जाम की तैयारी करते है। इस परीक्षा में सफलता का प्रतिशत बहुत ही कम है। इस परीक्षा में वही सफल होता है जिसमें शैक्षणिक योग्यता के साथ ही अनुशासन और धैर्य हो। अगर आप भी आईएएस बनने का सपना देखते है तो इसके लिए जरूरी है कि इसकी तैयारी स्नातक स्तर पर ही शुरू कर दें। सिविल सेवा में सफलता पाने के लिए एक सटीक रणनीति और व्यवस्था होना जरूरी है। अब तो यहाँ देखने को मिलता हे की लड़की  लड़को से ज्यादा इस प्रतिष्ठित परीक्षा में बहुत शंख्या में लड़किया आईएएस आईपीएस आईएफएस जैसी नौकरी में कुछ वर्षो से frist रेंक पर भी रिसल्ट हे ! 


अब हम बात करते हे बाहरबी पास होने के बाद कैसे  तयारी करे ? 

बाहरबी   के बाद विध्यर्थी आर्ट सब्जेक्ट को  ले सकता हे या फिर वह विज्ञान , गणित विषय से भी अपनी स्नातक की डिग्री  सकते है ! किन्तु इसके साथ ही कक्षा 6 से कक्षा 12 वी तक की ncert पुस्तक को पड़ना शुरू कर देना चाहिए ! और  साथ ही कुछ समय निकल कर कुछ इंटरनेट का सहारा भी लेना चाहिए !

 अब तो बहुत यूट्यूब फ्री कुछ यूट्यूब चैनल हे जो ऑनलाइन क्लासेज मुफ्त दे रही हे जैसे unacademy जैसे बड़े eduction प्लेटफॉर्म  ययुटुब  के माध्यम से काफी छात्र/ छात्राओं  बहुत मदद मिल रही है !


 ncert complet   होने के बाद आप कुछ स्टेन्ड़र किताबो को पढ़ना चालू करदे और साथ ही नोट्स बनना स्टॉर्ट कर देना चाहिए क्यों की नोट्स ही  मात्र ऐसा पहलु होता है जो हमें  परीक्षा में सफलता को निर्धारण करती है ! 

आई.ए.एस , आई.पी.एस की परीक्षा कैसे होती है ?

इस परीक्षा के लिए योग्यता स्नातक होना चाहिए तथा स्नातक के अंतिम वर्ष में होना चाहिए !
 

इस परीक्षा में तीन चरण होते है - पहला चरण :- प्रारंभीक परीक्षा इस परीक्षा में दो पेपर होते है !

    पहला पेपर सामान्य अध्यान का होता है यहाँ 200 अंक का होता है !
    दूसरा पेपर CSAT होता है यह  भी 200 अंक का होता है ! 

प्रारंभिक परीक्षा परीक्षा पैटर्न प्रारंभिक परीक्षा मूल रूप से अगले चरण "मुख्य परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को चयनित करने के लिए" एक अनुवीक्षण परीक्षा के रूप में कार्य करती है। प्रारंभिक परीक्षा में कुल 400 अंकों के लिए दो वस्तुनिष्ठ प्रकार के प्रश्नपत्र (बहुविकल्पीय प्रश्न) होते हैं। प्रत्येक पेपर में 200 अंक और दो घंटे आवंटित किए गए हैं। हालांकि, नेत्रहीन उम्मीदवारों को प्रत्येक पेपर के लिए अतिरिक्त 20 मिनट प्रदान किए जाएंगे। चूंकि यह एक अर्हक परीक्षा है, इसलिए इस परीक्षा में प्राप्त अंकों की गणना किसी उम्मीदवार की योग्यता के अंतिम क्रम को निर्धारित करने के लिए नहीं की जाती है यदि वह मुख्य परीक्षा के लिए भी उत्तीर्ण होता है। प्रारंभिक परीक्षा के आधार पर उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में चुना जाता हैं और दूसरा पेपर प्रशासनिक सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट (CSAT) के रूप में जाना जाता है उनमे पास होने के लिए 33% अंक अनिवार्य हैं। अन्यथा मुख्य परीक्षा के लिए उम्मीदवारों को चयनित नहीं हो सकते।

यह दोनों पेपर एक दिन में ही लिए जाते है ! और यह पेपर ऑब्जेक्टिव टाइप होते है  !
 
    इस परीक्षा को क्लियर करने के बाद में मुख्य परीक्षा में प्रवेश हेतु मुख्य परीक्षा के लिए अप्लाई किया जाता हे !

दूसरा चरण :- मुख्य परीक्षा होती है 
                                              मुख्य परीक्षा परीक्षा पैटर्न मुख्य परीक्षा में योग्यता के लिए 2 अहर्ता प्रश्नपत्र और 7 प्रश्नपत्र होंगे। सभी 9 पेपरों में निबंधात्मक -प्रकार के प्रश्न होंगे। सात पत्रों में से प्रत्येक के लिए प्रश्न पत्र पारंपरिक (निबंध) प्रकार का होगा और तीन घंटे आवंटित होगा। प्रश्न पत्र केवल अंग्रेजी और हिंदी में निर्धारित किया जाता है (भाषा पत्र के साहित्य को छोड़कर)। 

पेपर एक  समान्य हिंदी  अंक 300 (qualify नेचर)

दुसरा पेपर - अंग्रेजी  अंक 300 (qualify नेचर)

तीसरा पेपर - निबंध  अंक 250 

चौथा पेपर -   सामान्य अध्ययन  अंक 250 

पाँचवा पेपर - सामान्य अध्ययन  अंक 250 

छंटा  पेपर  -  सामान्य अध्ययन  अंक 250 

 सातवा  पेपर  - सामान्य अध्ययन  अंक 250  
 
विकल्पित विषय :- विकल्पित विषय वह पेपर होते है  जो हमें किसी एक विषय का चयन करना होता है !  इसके दो पेपर होते है !

पहला पेपर -  अंक  250 
दूसरा पेपर  -  अंक  250 

मुख्य परीक्षा के  पूर्ण  अंक 1750  का होता है !

 मुख्य परीक्षा को पास करने के बाद में अभ्यर्थी को साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है ! साक्षात्कार इस परीक्षा का तीसरा चरण  है !


तीसरा चरण :- साक्षात्कार होता है ! (अंक 275)  इस चरण में अभ्यार्थी एक साक्षात्कार बॉर्ड में  कमरे के अंदर पाँच से सात सदस्यो की एक टीम होती है ! जिसमे उस अभ्यर्थी से कम से कम 30 मिनट  तक सवाल पूछे जाते है ! और इससे  लगाया जाता है की यह कलेक्टर बनने के योग्य है या नहीं ! 

साक्षात्कार पैनल द्वारा जांचे जाने वाले कुछ गुण इस प्रकार हैं:

  • मानसिक सतर्कता
  • आत्मसात की महत्वपूर्ण शक्तियां
  • स्पष्ट और तार्किक प्रदर्शन
  • निर्णय का संतुलन
  • विविधता और रूचि की गंभीरता
  • सामाजिक सामंजस्य और नेतृत्व की क्षमता
  • बौद्धिक और नैतिक अखंडता

 

1.रणनीति और अध्ययन सामग्री-  सिविल सेवा परीक्षा के लिए सबसे पहले आपको अपनी 12वीं की पढ़ाई के बाद ही ये डिसिजन लें लेना चाहिए कि आपको सिविल सेवा में जाना है। सिविल सेवा की तैयारी के लिए कम से कम 2 से 3 वर्ष का समय लगता है। आप अपने ग्रेजुएशन के दिनों से ही इसकी तैयारी शुरू कर दे। इस परीक्षा की तैयारी की शुरूआत NCERT की किताबों का अध्ययन करने से करे। इसके अलावा सिविल सेवा परीक्षा का पूरा सिलेबस अपने साथ रखे और उसके अनुसार ही तैयारी करे। अधिकतर कैंडिडेट अपनी ग्रेजुएशन के किसी एक विषय में से ही परीक्षा के मुख्य चरण के लिए विषय चुनते है। इससे आपको आसानी रहती है क्योंकि आप ग्रेजुएशन के साथ इस विषय को पूरे तीन साल पढ़ते है। इसके अलावा दूसरे चयनित वैकल्पिक विषयों के लिए आप स्टडी मटेरियल का चयन कर सकते है या फिर एक्सपर्ट की सलाह ले सकते है।
 

2.समसामयिक मुद्दो की ऐसे करें तैयारी-  समसामयिक विषयों की तैयारी करने के लिए आप नियमित रूप से समाचार पत्रों का अध्ययन करें। जैसे द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस के अलावा बीबीसी और डीडी न्यूज का बुलेटिन जरूर देखे। पिछले साल के प्रारंभिक प्रश्न पत्रों में भी समसामयिक मुद्दों से संबंधित प्रश्नों का अच्छा अनुपात रहा है इसलिए ये जरूरी है कि समसामयिक मुद्दों की तैयारी करते रहना चाहिए। इसके अलावा आप समसामयिक मुद्दों के लिए किताबों का भी सहारा लें सकते है। इसके लिए आप चाहे तो NCERT etc.                                                                

3.विषयों का चयन करते समय इन बातों ख्याल-  सिविल सेवा परीक्षा में सबसे जरूरी होता है विषय का अध्ययन इसलिए, विषय का चयन करते समय इस बात ध्यान रखें कि आपको उस विषय में रूचि है या नही। वैसे तो कोई भी विषय अध्ययन के लिए असंभव नही है लेकिन फिर भी जिस विषय में आपकी रूचि है उसी विषय का चयन करना आपके लिए फायदेमंद रहता है। सिविल सेवा परीक्षा का सिलेबस बहुत बड़ा होने के कारण पूरे साल भर अध्ययन करना पड़ता है। इसलिए योजना के अनुसार ही चलते हुए पूरे साल अध्ययन करना 

4.पढ़ाई के लिए जरूरी है एकाग्रता-  सिविल सेवा परीक्षा निकालने के लिए ये जरूरी है कि आप अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहे। क्योंकि सिविल सेवा की परीक्षा कोई बैंकिग या एसएससी की परीक्षा नही है जिसमें रट्टा मारने से सफलता मिल जाती है। इसलिए इस परीक्षा की तैयारी के लिए आपको त्याग तो करना ही पड़ेगा, इसके बिना आप इस परीक्षा में कुछ नही कर सकते। आपको दो से तीन साल सिविल सेवा के लिए देने ही पड़ेंगे। इन सालों में हर दिन आपको नियमित अध्ययन करना पड़ेगा। 5.कितना पढ़ना है जरूरी- I सिविल सेवा परीक्षा के लिए वैसे तो एक साल पर्याप्त है लेकिन लोगों को दो से तीन साल भी लग जाते है। ये अलग-अलग लोगों की क्षमता पर निर्भर करता है कि वे कितना अध्ययन कर सकते है। इसलिए हर दिन कम से कम 6 घंटे रोजाना पढ़ाई करना जरूरी है। कई बार ऐसा होता है कि आप तैयारी करते-करते डिमोटिवेट हो जाते है इसलिए मोटिवेशनल किताबों को पढ़े। आपके आस-पास कैसे लोग रहते है इसका आपकी जिंदगी पर काफी असर पड़ता है। अगर आपके आसपास नेगेटिव लोग रहते है तो ऐसे लोगों से जितना हो सके दूर रहने का प्रयास करे। ऐसे लोगों के साथ रहे जो आपको अच्छा फील करवाते है। 6.क्या दिल्ली जाना जरूरी है? Image Source आपने भी लोगों से सुना होगा कि यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाकर कोचिंग करना जरूरी है। लेकिन आपको बता दें कि आप घर रहकर भी सिविल सेवा की तैयारी कर सकते है। बस आपको अपनी जिंदगी में थोड़ा सा बदलाव लाना पड़ेगा और आप घर रहकर भी उचित अध्ययन सामग्री से सिविल सेवा की परीक्षा पास कर सकते है। बाहर जाकर पढ़ाई करने के भी अपने ही टेंशन रहते है इसलिए अपने शहर में रहकर भी आप अध्ययन कर सकते है। आप चाहे तो कोई कोचिंग भी लगा सकते है। 7.पढ़ाई के साथ लेखन का अभ्यास भी है जरूरी-  आपको पढ़ने के साथ लिखने का भी अभ्यास करना है क्योंकि प्री एग्जाम निकालने के बाद मेंस की परीक्षा देनी पड़ती है जिसमें आपको लिखना पड़ता है। आप किसी भी टॉपिक पर संक्षेप में लगभग 200 शब्दों में लिखने का प्रयास करें।

6.क्या दिल्ली जाना जरूरी है? :-आपने भी लोगों से सुना होगा कि यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाकर कोचिंग करना जरूरी है। लेकिन आपको बता दें कि आप घर रहकर भी सिविल सेवा की तैयारी कर सकते है। बस आपको अपनी जिंदगी में थोड़ा सा बदलाव लाना पड़ेगा और आप घर रहकर भी उचित अध्ययन सामग्री से सिविल सेवा की परीक्षा पास कर सकते है। बाहर जाकर पढ़ाई करने के भी अपने ही टेंशन रहते है इसलिए अपने शहर में रहकर भी आप अध्ययन कर सकते है।

7.पढ़ाई के साथ लेखन का अभ्यास भी है जरूरी :- आपको पढ़ने के साथ लिखने का भी अभ्यास करना है क्योंकि प्री एग्जाम निकालने के बाद मेंस की परीक्षा देनी पड़ती है जिसमें आपको लिखना पड़ता है। आप किसी भी टॉपिक पर संक्षेप में लगभग 200 शब्दों में लिखने का प्रयास करें। जितना आप लिखने की कोशिश करोगे उतनी ही आपकी लेखन शैली सुधरेगी और व्याकरण में कम गलती होगी।

 

               

मुख्य परीक्षा पाठ्यक्रम

प्रश्नपत्र -1

निबंध

उम्मीदवार को एक विनिर्दिष्ट विषय पर निबंध लिखना होगा| विषयों के विकल्प दिये जायेंगे| उनसे आशा की जाती है कि अपने विचारों को निबंध के विषय के निकट रखते हुए क्रमबद्ध करें तथा संक्षेप में लिखें| प्रभावशाली एवं सटीक अभिव्यक्तियों के लिये श्रेय दिया जायेगा| 

नोट: निबंध का प्रश्नपत्र मुख्यत: दो भागों (मूर्त एवं अमूर्त रूप) में विभाजित रहता है। प्रत्येक भाग में दिये गए 4 विकल्पों में से एक-एक विकल्प का चयन करते हुए कुल दो निबंध (प्रत्येक 125 अंक) लिखने होते हैं। प्रत्येक निबंध के लिये निर्धारित शब्द सीमा लगभग 1000-1200 होती है। 

प्रश्नपत्र -2 

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-1
भारतीय विरासत और संस्कृति, विश्व का इतिहास एवं भूगोल और समाज
 
क्र.सं. विषय    
1. भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।    
2. 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।    
3. स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।    
4. स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन।    
5. विश्व के इतिहास में 18वीं सदी तथा बाद की घटनाएँ यथा औद्योगिक क्रांति, विश्व युद्ध, राष्ट्रीय सीमाओं का पुनःसीमांकन, उपनिवेशवाद, उपनिवेशवाद की समाप्ति, राजनीतिक दर्शन जैसे साम्यवाद, पूंजीवाद, समाजवाद आदि शामिल होंगे, उनके रूप और समाज पर उनका प्रभाव।    
6. भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ, भारत की विविधता।    
7. महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।    
8. भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव।    
9. सामाजिक सशक्तीकरण, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद और धर्मनिरपेक्षता।    
10. विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ।    
11. विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करते हुए), विश्व (भारत सहित) के विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार कारक।    
12. भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव।    

प्रश्नपत्र- 3 

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2
शासन व्यवस्था, संविधान, शासन प्रणाली, सामाजिक न्याय तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंध
 
क्र.सं. विषय    
1. भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।    
2. संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।    
3. विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।    
4. भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।    
5. संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।    
6. कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।    
7. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।    
8. विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति और विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व।    
9. सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।    
10. सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।    
11. विकास प्रक्रिया तथा विकास उद्योग- गैर-सरकारी संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, विभिन्न समूहों और संघों, दानकर्ताओं, लोकोपकारी संस्थाओं, संस्थागत एवं अन्य पक्षों की भूमिका।    
12. केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।    
13. स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।    
14. गरीबी एवं भूख से संबंधित विषय।    
15. शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय।    
16. लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।    
17. भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।    
18. द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।    
19. भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।    
20. महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।    

प्रश्नपत्र-4 

सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3
प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन
 
क्र.सं. विषय    
1. भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।    
2. समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।    
3. सरकारी बजट।    
4. मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।    
5. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।    
6. भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग- कार्यक्षेत्र एवं महत्त्व, स्थान, ऊपरी और नीचे की अपेक्षाएँ, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।    
7. भारत में भूमि सुधार।    
8. उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।    
9. बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।    
10. निवेश मॉडल।    
11. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव।    
12. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।    
13. सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।    
14. संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।    
15. आपदा और आपदा प्रबंधन।    
16. विकास और फैलते उग्रवाद के बीच संबंध।    
17. आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।    
18. संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।    
19. सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।    
20. विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।    

प्रश्नपत्र-5 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-4
नीतिशास्त्र, सत्यनिष्ठा और अभिरुचि
 
इस प्रश्न-पत्र में ऐसे प्रश्न शामिल होंगे जो सार्वजनिक जीवन में उम्मीदवारों की सत्यनिष्ठा, ईमानदारी से संबंधित विषयों के प्रति उनकी अभिवृत्ति तथा उनके दृष्टिकोण तथा समाज से आचार-व्यवहार में विभिन्न मुद्दों तथा सामने आने वाली समस्याओं के समाधान को लेकर उनकी मनोवृत्ति का परीक्षण करेंगे। इन आयामों का निर्धारण करने के लिये प्रश्न-पत्र में किसी मामले के अध्ययन (केस स्टडी) का माध्यम भी चुना जा सकता है। मुख्य रूप से निम्नलिखित क्षेत्रों को कवर किया जाएगा।  
क्र.सं. विषय    
1. नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।    
2. अभिवृत्तिः सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक और राजनीतिक अभिरुचि; सामाजिक प्रभाव और धारण।    
3. सिविल सेवा के लिये अभिरुचि तथा बुनियादी मूल्य- सत्यनिष्ठा, भेदभाव रहित तथा गैर-तरफदारी, निष्पक्षता, सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पण भाव, कमज़ोर वर्गों के प्रति सहानुभूति, सहिष्णुता तथा संवेदना।    
4. भावनात्मक समझः अवधारणाएँ तथा प्रशासन और शासन व्यवस्था में उनके उपयोग और प्रयोग।    
5. भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।    
6. लोक प्रशासन में लोक/सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्रः स्थिति तथा समस्याएँ; सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएँ तथा दुविधाएँ; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियम तथा अंतरात्मा; उत्तरदायित्व तथा नैतिक शासन, शासन व्यवस्था में नीतिपरक तथा नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था (फंडिंग) में नैतिक मुद्दे; कॉरपोरेट शासन व्यवस्था।    
7. शासन व्यवस्था में ईमानदारीः लोक सेवा की अवधारणा; शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार, सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, नीतिपरक आचार संहिता, आचरण संहिता, नागरिक घोषणा पत्र, कार्य संस्कृति, सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता, लोक निधि का उपयोग, भ्रष्टाचार की चुनौतियाँ।    
8. उपर्युक्त विषयों पर मामला संबंधी अध्ययन (केस स्टडीज़)।    

 

 

 

 

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