सिर दर्द क्या है ? जानें कारण, लक्षण और 12 शीर्ष घरेलू उपाय

हेल्थ डेस्क- सिर में दर्द होना एक आम बीमारी है जो किसी को भी हो सकता है. इसके लिए कोई उम्र मायने नहीं रखता. बच्चे, बूढ़े, युवा किसी को भी हो सकता है. यह महिला व पुरुष में सामान्य रूप से होने वाली समस्या है.

सिर दर्द

चलिए जानते हैं विस्तार से-

सिर दर्द क्या है ?

संक्रामक तथा बिषमायता सभी प्रकार की व्याधियों में सिर दर्द एक महत्वपूर्ण लक्षण होता है. कोमल प्रकृति के व्यक्तियों में शरीर के किसी भाग में उत्पन्न हुई विकार के परिणाम स्वरूप इसकी उत्पत्ति होती है. सिर में दर्द, भारीपन या किसी प्रकार की अरुचि कर संवेद को सिरदर्द कहते हैं. यह तीव्र या पुराना हो सकता है. दर्द पूरे सिर में या सिर के किसी एक भाग में भी हो सकता है.

सिर दर्द कोई रोग न होकर यह समस्त रोगों का लक्षण मात्र होता है. शायद ही कोई ऐसा मनुष्य होगा जिसको जीवन में कभी सिर दर्द नहीं हुआ हो. सिर की बीमारियों में यह सबसे अधिक पाए जाने वाला लक्षण है. सिर दर्द अपने आप में कोई रोग नहीं है बल्कि यह तो रोग का लक्षण मात्र है. हालांकि सिर दर्द को हमेशा ही गंभीर बीमारी का संकेत नहीं समझना चाहिए. सिर दर्द के बहुत सारे कारण होते हैं.

सिर दर्द होने के कारण-

* कपाल के अंतर्गत धमनियों में रक्त के अधिक भर जाने उसके फैलने तथा उनके तीव्र स्पंदन के कारण.

* धमनियों में रक्त दाब बढ़ जाने यानी ब्लड प्रेशर बढ़ जाने से.

* खून में जीवाणु तथा बिषरक्त की उपस्थिति.

* सिरा प्रसारक औषधियों जैसे नाइट्रेट के अधीक प्रयोग करने से.

* शरीर में हिस्टामिन पदार्थों के बढ़ने अथवा बाह्य एवं प्रतिकूल प्रोटीन के शरीर में प्रवेश करने से.

* .क्रोध आदि तीव्र आवेश पर कपालिए धमनियों में डाइलेटेशन होने से.

* चिंता और मानसिक आवेगों के कारण चेहरे और कपाल की मांसपेशियों में तनाव बढ़ने पर तथा वहां पर खून के कम पहुंचने से.

* ब्लड प्रेशर के कम होने के कारण मस्तिष्क को खून एवं ऑक्सीजन कम मिलने से. जैसा कि पांडुरोग में.

* उनिद्रता ( insomnia ) की उपस्थिति में.

* मस्तिष्क विद्राधि, हाइड्रोसेफेलस, मस्तिष्कगत आर्टिरियो स्क्लेरोसिस,थ्रोम्बोसिस के कारण.

* मलावरोध, अजीर्ण, थकावट, मानसिक परिश्रम, तेज धूप में देर तक चलना या काम करना, सर्दी- जुकाम, कमजोरी, हिस्टीरिया, मिर्गी, स्नायु दुर्बलता, पेट में गैस आदि बनने के कारण.

* तीव्र बुखार की विषमयता की अवस्था एवं अन्य बिषमयताएं, समलवाय, माइग्रेन, यकृत तथा पित्ताशय के विकार, महिलाओं में मासिकधर्म की अनियमितता, कृमि रोग, विषम ज्वर, न्यूमोनिया, आंतरिक ज्वर आदि व्याधियों में सिर दर्द एक प्रमुख लक्षण होता है.

* लू लग जाने से.

* बंद कमरे में जिसमें शुद्ध हवा का आदान-प्रदान ना हो वैसे कमरे में रहने से सिरदर्द हो सकता है.

* आंख, कान, दांत, गर्दन की बीमारी के कारण.

* ब्रेन ट्यूमर के कारण.

* मेनिनजाइटिस एवं इंसेफेलाइटिस के कारण.

* सिर पर बाहरी दबाव पड़ने से.

* अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर यात्रा करने से.

* कुछ औषधियों के सेवन से भी सिरदर्द हो सकता है जैसे- मोर्फिन, कुनैन, तंबाकू, अल्कोहल आदि ज्यादा मात्रा में सेवन करने से.

* सिर दर्द एक ऐसा लक्षण है जो अनेक प्रकार के रोगों में मिलता है.

सिर दर्द के लक्षण-

* सिर दर्द हल्का हो या तीव्र रोगी को कष्ट पहुंचता है, तीव्र दर्द में रोगी उठ- बैठ भी नहीं सकता है. ऐसे में उसे चक्कर आने लगते हैं.

* रोगी की नींद गायब हो जाती है.

* कभी-कभी सिरदर्द के कारण अत्यधिक बेचैन रहता है.

* उल्टी एवं मतली भी हो सकती है.

* प्रायः सिरदर्द कपाल के सामने दोनों कंपटीयों में या पीछे की ओर होता है. यह दो-तीन दिन तक उपस्थित रह सकता है.

* पेट में गैस, स्नायु दुर्बलता तथा ब्लड प्रेशर के रोगी को रात- दिन एक समान दर्द बना रहता है.

* सिर फटने जैसा दर्द प्रायः  हाईपरटेंशन में रहता है.

* तनाव के कारण जो दर्द होता है उसमें इस प्रकार की शिकायत ना होकर सिर में दबाव या जकड़ाहट आदि होती है.

* मस्तिष्क के अर्बुद  का दर्द प्रायः सुबह के समय होता है.

* खांसने, छींकने और जोर लगाने से सिर में प्रेशर बढ़ता है.

* मस्तिष्कावरण शोथ, तीव्र द्वारा की विषमयता की अवस्था एवं दूसरी विषमताएं, समलवाय, अर्धावभेदक आदि रोगों से ग्रसित व्यक्तियों में तीव्र स्वरूप की दर्द होती है.

* यकृत तथा पित्ताशय के विकार कब्ज, महिलाओं में आर्तव की अनियमितता, रक्ताल्पता तथा कृमि रोग आदि बीमारियों में प्रायः मंद स्वरूप का सिर दर्द मिलता है.

* चिंता, क्रोध आदि मानसिक कारणों का सिर दर्द से घनिष्ट संबंध प्रतीत होता है.

* आंख, कान, नाक, अस्थि विकार, दांत विकार, ग्रीवा विकार आदि के स्थानिक शोथ या वेदना विकारों में सिर दर्द का कष्ट अवश्य देखने को मिलता है.

* सिर में दर्द लगातार या रुक रुक कर तीव्र होता है रोगी को नींद नही आती है और बेचैनी बनी रहती है.

* ज्वरों, मदात्य, सिर की चोट, मस्तिष्क आवरण के नीचे रक्तस्राव व लंबर पंक्चर में सिर दर्द तीव्र स्वरूप का और अचानक होता है.

सिर दर्द का घरेलू उपचार-

1 .लगभग 4 ग्राम काली मिर्च, 3 ग्राम अदरक और 7-8 तुलसी के पत्तों को हल्का कूटकर पानी में उबालकर चाय बनाकर पीने से सर्दी के कारण होने वाला सिरदर्द खत्म हो जाता है.

2 .किसी भी कारण से हुए सिर दर्द को दूर करने के लिए शुद्ध गाय का घी को 3-4 बूंद नाक के दोनों नथुनों में डालकर ऊपर की ओर सांस लें. ऐसा करने से सिर दर्द खत्म हो जाता है.

3 .पीपल के पेड़ के चार कोमल पत्ते को चबाकर रस चूसकर फेक देने से सिर दर्द में लाभ होता है.

4 .सिर दर्द के इलाज के लिए आप सेब के सिरके और सेब दोनों का उपयोग कर सकते हैं. यदि आप पूरी रात पार्टी करते हैं और अगली सुबह आपको तेज सिर दर्द हो रहा है तो एक गिलास एप्पल साइडर विनेगर का काढ़ा पिजिए. इस ड्रिंक क बनाने के लिए एक गिलास पानी में दो चम्मच एप्पल साइडर विनेगर, एक चम्मच शहद और निम्बू का रस मिलाकर पिएं.

5 .सूखे मेवे तनाव से होने वाले सिर दर्द के लिए प्राकृतिक उपचार होता हैइसमें सैलिसिन होता है जो दर्द निवारक दवाओं में पाया जाने वाला समान तत्व है. सिर दर्द से राहत पाने के लिए आप दो बादाम खा सकते हैं हालांकि माइग्रेन से पीड़ित लोगों के लिए बादाम एक ट्रिगर है.

6 .लौंग को तवे पर गर्म करके बारीक पीसकर सिर में जहां दर्द हो रहा है वहां पर इसका पानी के साथ लेप बनाकर लगाने से सिर दर्द से राहत मिलता है.

7 .थोड़ा लौंग का पाउडर और इसमें थोड़ा सा नमक मिलाएं, दोनों का पेस्ट बनाकर और एक गिलास दूध के साथ इसका सेवन करें इससे सिर दर्द से राहत मिलेगा.

8 .यदि पेट में गैस बनने के कारण सिर में दर्द हो रहा है तो नींबू पानी पिए. गैस, कब्ज आदि में भी यह लाभदायक होगा.

9 .कलौंजी के बीज गर्म करके महीन पीस कर कपडे में बांध लें और सूंघें. इसको लगातार सुंघने से जुकाम और सिर दर्द दूर होता है.

10 .पान के पत्ते चबाकर खाने से भी सिरदर्द से राहत मिलता है. इसके साथ ही सिर दर्द रोकने के इलाज में नारियल का तेल और लौंग का तेल दोनों को मिलाकर दर्द वाली जगह पर मालिश करने से दर्द से राहत मिलता है.

11 .तुलसी की चाय और तुलसी के पत्तों को चबाकर खाने से सिर दर्द में आराम मिलता है. इसके लिए एक कप पानी में 7-8 तुलसी के पत्ते डालकर अच्छे से उबालकर शहद मिलाकर पी सकते हैं.

12 .प्रतिदिन साथ 8 घंटे की भरपूर नींद लें. ना तो कम सोएं और ना ही ज्यादा सोएं और अगर आप दिन में सोते हैं तो इस आदत को छोड़ दें. रात में ही पूरी नींद लेने की आदत डालें.

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