सुखा रोग क्या है ? जानें कारण, लक्षण और घरेलू एवं आयुर्वेदिक इलाज

हेल्थ डेस्क- रिकेट्स या सूखा रोग बच्चों में होने वाली हड्डियों की बीमारी है जो विटामिन डी, कैल्सियम और फास्फोरस की कमी से होती है. इसमें हड्डियों में दर्द, हड्डियों का कमजोर होना या नरम पड़ना और अन्य विकृतियां आ जाती हैं. रिकेट्स के कारण बच्चों मे बो लेग डिफॉर्मिटी और नोक नी डिफॉर्मिटी (चलते समय घुटनों का आपस में टकराना) हो जाती है. इससे बच्चों के पैर टेढ़े हो जाते हैं.

डॉक्टर्स का कहना है कि लंबे समय तक घर के भीतर रहने, सूर्य की रोशनी शरीर पर नहीं पड़ने के कारण शरीर में विटामिन डी की कमी हो रही है और इस कारण उन्हें रिकेट्स हो रहा है. डॉक्टरों ने कुपोषण को इसका कारण मानने से इंकार कर दिया.

सूखा रोग किसी भी उम्र की महिला व पुरुष को हो सकती है. चाहे वह बच्चा हो, युवा हो या बुड्ढा हो.

सूखा रोग ( RICKETS ) होने के कारण-

यह अधिक मार्ग चलने, उपवास अधिक रखने तथा क्षय अथवा वृद्धावस्था के कारण होता है. बालकों को सूखा रोग कम पौष्टिक भोजन मिलने के कारण से होता है. किसी भी व्यक्ति को अधिक दस्त होने से, उल्टी या ज्वर आदि रोगों में लापरवाही करने या छोटे बच्चों को बिल्ली लांघ जाती है या सूंघ जावे तो सूखा रोग हो जाता है. सुखंडी प्रायः 5 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को यह रोग अधिक होता है.

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सूखा रोग ( RICKETS ) के लक्षण-

शरीर सूखता जाता है, केवल हड्डियाँ ही देखने में आवे, जीर्ण ज्वर सदा रहे, कभी-कभी ताप अधिक हो जाता है. किसी- किसी का पेट बड़ा हो जाता है और हाथ, पैर, पतले हो जाता है. खांसी, उल्टी, अतिसार, चिड़चिड़ापन, बोलने में लडखडाहट होता है. बच्चों का तालू नीचे दब जाए. हाथ लगाने से गड्ढा सा हो जाए और अधिक रोए. इसमें चूना का मात्रा शरीर में कम हो जाता है. यानी कैल्शियम की कमी हो जाती है. आंखें भी कमजोर हो जाती है.

सूखा रोग ( RICKETS ) के आयुर्वेदिक एवं घरेलू इलाज-

1 .प्रवाल पंचामृत आधा ग्राम और सितोपलादि चूर्ण 1 ग्राम, गोदंती भस्म आधा ग्राम और स्वर्ण बसंत मालती 1-1 गुंज सवेरे और रात को शहद के साथ सेवन कराएं और चवनप्राश अवलेह 5-5 ग्राम, अंशमनी बटी नंबर वन 1-1 गोली दिन में तीन बार चूने के पानी के साथ सेवन कराएं.

2 .दस्त अधिक हो रहे हो तो कर्पूर वटी या जाति फलादि चूर्ण देवें. अभ्रक भस्म, शंख भस्म, कपरदक भस्म, प्रवाल भस्म, मुक्त शुक्ति भस्म, लवंगादि चूर्ण, प्रवालादि चूर्ण, दशमूलारिष्ट, अमृतारिष्ट, लोहासव, द्राक्षासव आदि का सेवन जरुरत के अनुसार करना लाभदायक होता है. शरीर को महालक्ष्मी तेल से मालिश करें. खाने में पौष्टिक चीज है. दूध, मक्खन, फल आदि पदार्थ का सेवन कराएं.

3 .सुखंडी रोग दूर करने में टमाटर का रस मददगार होता है. इसके लिए टमाटर का रस दिन भर में आधा से एक गिलास की मात्रा में पिलाना चाहिए.

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4 .अंगूर का रस जितना हो सके बच्चे को पिलाना फायदेमंद होता है. अंगूर के रस में टमाटर का रस मिलाकर पीने से बच्चा सेहतमंद और तंदुरुस्त हो जाता है.

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5 .बादाम को रात को भिगोकर रख दे. सुबह उसे पीसकर दूध के साथ नियमित पिलाने से सूखा रोग कुछ दिन में ठीक हो जाता है.

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6 .नागर मोथा, पीपल, अतीश और काकड़ा सिंगी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें. फिर इस चूर्ण में से एक चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ बच्चों को खिलाने से बुखार, अतिसार, खांसी तथा सूखा रोग ठीक हो जाता है.


7 .100 ग्राम तुलसी की पत्ती, 5 ग्राम काली मिर्च का पाउडर और स्वादानुसार साल भर पुराना गुड 200ml पानी में डालकर इसे उबालें. जब उबलते- उबलते आधा रह जाए तो इसे आंच से उतारकर 100 ml चुने का पानी मिलाकर फिर से उबालें. जब यह 100ml पानी बच जाए तो इसे अच्छी तरह छान कर शीशी में भरकर रख लें. और इसमें से 5ml की मात्रा में सुबह-शाम सेवन कराएं. इसके नियमित सेवन करने से पुराने से पुराने सूखा रोग ( रिकेट्स ) ठीक हो जाता हैं. यह आजमाया हुआ नुस्खा है और यह 100% कारगर उपाय है.

चुने का पानी बनाने की विधि- 25 ग्राम खाने का चुना 150 ग्राम पानी किसी मिटटी के बर्तन में घोलकर छोड़ दें और 48 घंटे बाद पानी को नितार लें यही चुने का पानी है.

8 .टमाटर-

अगर बच्चे को सुखा रोग हो तो उसको रोजाना टमाटर का जूस पिलाना चाहिये. कुछ ही दिनों में बच्चा ठीक हो जाता है और सेहत भी अच्छी होने लगती है.

9 .बैगन-

ताजे बैगन का रस निकालकर उसमे थोड़ा सा सेधा नमक मिलाकर रोजाना बच्चे को एक चम्मच पीलाने से सुखा रोग ख़त्म हो जाता है.

10 .खजूर-

बच्चों का सुखा रोग ठीक करने के लिए कुछ दिनों तक लगातार दिन में 2 बार खजूर और शहद को एक सामान मात्रा में मिलाकर खिलाना चाहिये. इससे सुखा रोग ठीक हो जाता है.

11 .मछली तेल की मालिस-

रोजाना बच्चे की मछली के तेल से मालिष करने से भी सुखा रोग ठीक हो जाता है.

सुखा रोग से बचाव के उपाय-

रिकेट्स (rickets) की समस्या की रोकथाम के लिए पर्याप्त विटामिन डी के सेवन की सलाह दी जाती है. प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक विटामिन डी की उचित मात्रा का अनुमान लगाना कठिन होता है, क्योंकि यह मापना कठिन होता है कि व्यक्ति का शरीर धूप के माध्यम कितना विटामिन संश्लेषित कर रहा है. फिर कुछ तरीके ऐसे है जो रिकेट्स की रोकथाम में व्यक्ति की मदद कर सकते हैं, जैसे कि:

  • रिकेट्स (सूखा रोग) से बचने का सबसे अच्छा तरीका एक आहार है, जिसमें पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस और विटामिन डी शामिल होते हैं.
  • किडनी रोग वाले व्यक्तियों को नियमित रूप से शरीर में कैल्शियम और फॉस्फेट के स्तर पर निगरानी रखने के लिए डॉक्टर की साहायता लेनी चाहिए
  • रिकेट्स से बचाने और पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन सूर्य के प्रकाश को लेना चाहिए,
  • गहरे रंग की त्वचा वाले लोगों को पराबैंगनी किरणों (सूर्य प्रकाश) के संपर्क में लंबे समय तक रहना चाहिए.
  • शिशुओं को स्तनपान के साथ-साथ विटामिन डी पूरक देने के बारे में डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.
  • विटामिन डी पर्याप्त मात्रा में कॉड लिवर ऑयल (Cod liver oil), हलिबूट-लिवर तेल (Halibut-liver oil) और विस्टारिल (Vistaril) के सेवन द्वारा प्राप्त किया जा सकता है.
  • आयुर्वेद चिकित्सक- डॉ. पी.के. शर्मा. ( एच.एल.टी. रांची )

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