वेल्डिंग की बात वेल्डर के साथ

वेल्डिंग :दो समान या असमान धातुओं को एक निश्चित तापमान पर दबाव अथवा बिना दबाव के जोड़ने की क्रिया को वेल्डिंग कहते है।

वेल्डिंग के प्रकार:1)आर्क वेल्डिंग 2)गैस वेल्डिंग3)टिग वेल्डिंग4)मिग वेल्डिंग 5)लेज़र बीम वेल्डिंग 6)इलेक्ट्रान बीम वेल्डिंग 7)रेजिस्टेंस वेल्डिंग 8)स्पॉट वेल्डिंग 10)सीम वेल्डिंग 11)फ़्लैश वेल्डिंग 12)ऑफसेट वेल्डिंग 13)प्रोजेक्शन वेल्डिंग इत्यादि

वेल्डिंग पोजीशन:1)फ्लैट पोजीशन 2)हॉरिजॉन्टल पोजीशन3)डाउन हैंड पोजीशन4)वर्टिकल पोजीशन5)ओवर हेड पोजीशन

वेल्डिंग जॉइंट:1)बट जॉइंट 2)लैप जॉइंट 3)टी जॉइंट 4)एज जॉइंट5)फ्लीट जॉइंट6)कार्नर जॉइंट।

लैप जॉइंट:“जब दो प्लेटों के टुकड़ों को एक-दूसरे के ऊपर चढ़ाकर वेल्ड  किया जाता है, तो लैप जॉइंट बनता है।”

बट जॉइंट:“जब दो प्लेटों के टुकड़ों को एक-दूसरे के सामने रखकर वेल्ड किया जाता है, तो बट जोड़ बनता है।”

वेल्डन में ‘V’ आकृति की वेल्डन में अन्दर सबसे पहले बीड को रूट रन के नाम से जाना जाता है। और इसमें कभी-कभी ‘V’ की जगह पर ‘U’ या ‘J’ आकृति बनाकर जोड़ बनाया जाता है।एक तरफ की वेल्डन 3 मिमी मोटाई तक की जाती है।

दोनों तरफ की वेल्डन 3 से 5 मिमी मोटाई तक की जाती है।‘V’ आकृति की वेल्डन 5 से 10 मिमी मोटाई तक की जाती है।

और डबल ‘V’ आकृति की वेल्डन 10 मिमी से अधिक मोटाई तक की जाती है।

टी जॉइंट:“जब दो प्लेटों में टुकड़ों में से एक टुकड़ा, दूसरे टुकड़े के 90° के कोण पर वेल्ड किया जाता है, तो ‘T’ जोड़ बनता है।” इस प्रकार के जोड़ में खाली स्थान या फिलेट को वेल्डन द्वारा भर दिया जाता है। और अधिक मजबूत जोड़ के लिए दोनों ओर से वेल्ड किया जाता है"।

कार्नर जॉइंट:“जब दो प्लेटों के टुकड़ों के कोने को वेल्ड करके जोड़ा जाता है, तो कार्नर जॉइंट बनता है"।

एज जॉइंट:"इस प्रकार का जोड़ बट जोड़ के समान होता है, इसमें यह होता है। कि इसमें पतली चादरों को जोड़ने के लिए सबसे पहले प्लेटों के किनारों को फ्लैंज की आकृति में बदल दिया जाता है। जिससे वेल्ड करने पर वेल्ड की जाने वाली जगह अधिक मोटी हो जाती है। और यह करने पर वेल्डिंग करने वाली आर्क से चादर गलने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। और हमारी आवश्यकता के अनुसार हमें आसानी से इस प्रकार का जोड़ प्राप्त हो जाता है"।

वेल्डिंग में उपयोग होने वाले गैस सिलिंडर:ऑक्सीजन गैस, आर्गन गैस, सी ओ टू गैस,ऐसिटलीन गैस मुख्यतः उपयोग की जाती है।

वेल्डिंग के सुरक्षा उपकरण:हैंड ग्लव्स, वेल्डिंग हेलमेट,वेल्डिंग एप्रॉन,वेल्डिंग मास्क,फायर एक्सटिंग यूजर इत्यादि

वेल्डिंग के लाभ

1)इस प्रक्रिया द्वारा बनाया गया जोड़ अन्य विधियों की अपेक्षा अधिक मजबूत होता है।

2)इस प्रक्रिया से बना जोड़ अधिक तापमान सहन कर लेता है।

3) इसके द्वारा बने जोड़ की क्वालिटी अच्छी होती है।

4)इस प्रक्रिया द्वारा जोड़ बनाने में फिलर धातु कम लगती है।

5) इसके प्रक्रिया द्वारा बने जोड़ में लागत कम लगती है, और जोड़ कम समय में बन जाता है।

वेल्डिंग की हानियाँ

1) इस प्रक्रिया द्वारा जोड़ बनाते समय कई प्रकार की विषैली गैसें और धुँआ निकलता है, जोकि हमारे स्वास्थ्य हानिकारक है।

2)वेल्डिंग प्रक्रिया में निकलने वाली चिंगारी हमारी आँखों के लाए हानिकारक होती है।

3)इस प्रक्रिया द्वारा जोड़ बनाते समय अधिक तापमान की आवश्यकता होती है, इस तापमान के कारण जोड़ी जाने वाली धातु के गुणों पर प्रभाव पड़ता है।

टंगसटन इंर्ट गैस वेल्डिंग:  इस वेल्डिंग में इलेक्ट्रोड ,वेल्डिंग के’ दौरान जल कर नष्ट नही होता है यह शुद्ध टंगसटन का बना हो सकता है जो बहुत ही उच्च तापमान को सहन करने की क्षमता रखता है। वेल्डिंग आर्क में उत्पन्न होने वाले तापमान को भी टंगसटन सह सकता है।

जब करंट छोड़ा जाता है तो टंगसटन इलेक्ट्रोड और वेल्ड करने वाली बस्तु में आर्क उत्पन्न होती है। फिलर मेटल की आवश्यकता होने पर फिलर रॉड को मैन्युअली या फिर आटोमेटिक तरीके से इस आर्क में फीड किया जाता है। टंगसटन इलेक्ट्रोड के चारों ओर एक नोजल इंर्ट गैस को आर्क और पिघले हुए मेटल के ऊपर छोडती है। यह इंर्ट गैस शिल्डिंग का काम करती है। इस वेल्डिंग में कोई भी स्लैग उत्पन्न नहीं होता है क्यों कि वेल्डिंग में किसी भी प्रकार के फ्लक्स का उपयोग नहीं किया जाता है।

टिग वेल्डिंग का प्रयोग :टिग वेल्डिंग का इस्तेमाल बहुत सारे उद्योगों में विभिन्न प्रकार के मटेरियल को वेल्ड करने के लिए किया जाता है। यह प्रोसेस तक़रीबन सारे मटेरियल को वेल्ड करने की क्षमता रखता है

 

क्यों कि इस प्रोसेस में प्रयोग होने वाला इलेक्ट्रोड टंगस्टन का बना होता है जो पिघलता नहीं है। इस वेल्डिंग प्रोसेस में बहुत ही कम करंट प्रयोग होने के कारण यह बहुत पतले मटेरियल को भी वेल्ड करने की क्षमता रखता है। टिग वेल्डिंग में कोई भी फ्लक्स प्रयोग नही होने का लाभ ये है की यह प्रोसेस बहुत ही साफ़ है, वेल्डिंग भी हाई क्वालिटी की होती है और वेल्डिंग के बाद कोई भी स्लैग भी हटाना नही पड़ता है।

मिग वेल्डिंग:मिग वेल्डिंग का पूरा नाम है मेटल इंर्ट गैस वेल्डिंग। इस वेल्डिंग को अन्य नाम GMAW (गैस मेटल आर्क वेल्डिंग) वेल्डिंग से भी जाना जाता है। मिग वेल्डिंग में इंर्ट गैस शिल्डिंग के लिए प्रयोग की जाती है। हीलियम और आर्गन इंर्ट गैसें होती हैं और मिग वेल्डिंग में यही गैसें शिल्डिंग का काम करती हैं। अगर इंर्ट गैस के स्थान पर कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का इस्तेमाल करें तो इसे मैग (मेटल एक्टिव गैस) वेल्डिंग कहते हैं।

 

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