लकवा क्या है? जानें कारण, लक्षण एवं आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय

हेल्थ डेस्क- हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियां होती रहती है. जिनमें कई बीमारियां को खुद ही ठीक हो जाती है या फिर साधारण उपचार से ठीक हो जाती है. लेकिन कई ऐसी बीमारियां हैं जो एक बार किसी को हो जाए तो पूरी जिंदगी उसके साथ रहती है उन्हीं बीमारियों में से एक है लकवा.

लकवा

लकवा जब किसी को हो जाता है तो शायद ही पूरी तरह से ठीक हो जाए, यह व्यक्ति को अपंग बना देता है. कभी-कभी तो यह जानलेवा भी साबित होता है.

लकवा होने पर शरीर के एक तरफ का हाथ एक तरफ का पैर क्रिया हीन हो जाते हैं. इसी प्रकार एक तरफ की आधी जीभ या एक तरफ का चेहरा रोग ग्रस्त हो जाता हैं.

यह एक ऐसी दीर्घकालिक बीमारी है जो जीवन पर्यंत चलती रहती है. इसका सही समय पर उपचार कुछ अच्छे परिणाम दे सकते हैं. जिस में शामिल है- लकवा होने के 1 घंटे के अंदर पूर्ण चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध होना.

 ऐसी स्थिति में 80 से 90 परसेंट तक लाभ प्राप्त किया जा सकता है.

यह रक्त संचार की अनियमितता, हृदय की पंपिंग क्षमता में खराबी, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, ब्रेन ट्यूमर, रीढ़ की हड्डी में चोट, सिर में चोट, स्ट्रोक और अत्यधिक तेल- मसाले युक्त खाद्य पदार्थ से होता है.

चलिए जानते हैं विस्तार से-

क्या है लकवा ?

साधारण भाषा में लकवा उसे कहते हैं जिस बीमारी में शरीर का कोई भी हिस्सा काम करना बंद कर देता है और व्यक्ति उस अंग को हिलाने- डुलाने में असमर्थ हो जाता है तब उसे लकवा या फालिज कहते हैं.

मांस पेशियों में किसी समस्या या अन्य बाधा कभी लकवा की वजह नहीं बनती है बल्कि मस्तिष्क से अंगों में संदेश पहुंचाने वाली तंत्रिकाओं और शरीर की हड्डियां प्रभावित होने की स्थिति में लकवा हो जाता है.

लकवा एक या अधिक मांस पेशियों को प्रभावित कर सकता है या लकवा शरीर के एक भाग में हो सकता है या दोनों भाग में भी हो सकता है. लकवा किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है विशेष रूप से 40 की उम्र पार करने के बाद लकवा होने की संभावना अधिक रहती है.

स्ट्रोक, सिर में चोट या चोट रीड की हड्डी में चोट, अधिक तनाव, हाई ब्लड प्रेशर लकवा होने की मुख्य कारण है.

लकवा शरीर के जिस भाग में होता है तो उस भाग का नाम अलग- अलग होता है यानी लकवा ऊपर, नीचे, दाएं, बाएं पड़ता है तो उसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है.

जब शरीर की भुजा और टांगे प्रभावित होती है तब उसे मोनोप्लेजिया कहते हैं, जब शरीर की एक तरफ की एक भुजा या एक टांग लकवा ग्रस्त होता है पर इसे हेमीप्लेजिया कहते है.

जब शरीर के नीचे पैरों पर लकवा हो जाता है तब इसे पैराप्लेजिया कहते हैं और जब चारों भुजाएं और टांगे प्रभावित हो जाती है तब इसे टेट्राप्लेजिया कहा जाता है और जब शरीर के किसी अंग की मांसपेशियां काम करना बंद कर देती है या कम काम करती है तब प्लसी के नाम से जाना जाता है.

लकवा होने के कारण-

लकवा होने के कारण कई कारण शामिल हैं यानी आपको कई कारणों द्वारा लकवा हो सकता है यह जरूरी नहीं है कि लकवा एक वजह से ही हो.

* उच्च रक्तचाप होने के कारण.

* ज्यादा तनाव लेने से.

* पुरानी सिर दर्द जो लगातार कई महीनों तक बना रहे.

* नींद न आने के कारण.

* पार्किंसंस रोग होने पर.

* मल्टीपल स्क्लेरोसिस.

* रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से.

* ब्रेन स्ट्रोक हो जाने से जिसमें दिमाग की नस फट जाती है जिसे ब्रेन हेमरेज कहते हैं.

लकवा होने के लक्षण-

जब किसी को लकवा हो जाता है तब कई तरह के लक्षण मिलते हैं जैसे-

* शरीर के जिस हिस्से पर लकवा होता है वह अंग काम करना बंद कर देता है, व्यक्ति उस अंग को हिलाने चलाने में असमर्थ हो जाता है.

* जब आपके शरीर के दाएं तरफ लकवा होता है तब मस्तिष्क का बायां हिस्सा काम करना बंद कर देता है.

* जब आपके शरीर के बाएं तरफ लकवा होता है तब मस्तिष्क का दायां हिस्सा काम करना बंद कर देता है.

* मस्तिष्क में परेशानी हो जाने से ही यह रोग होता है आपके सिर में दर्द हो सकता है बेचैनी हो सकती है.

* जब आपके चेहरे पर लकवा होता है तब आपका मुंह टेढ़ा हो जाता है.

* सांस लेने में परेशानी होती .है

* सुनने में परेशानी होना, मुंह से लार गिरने लगती है.

* सोचने- समझने, बोलने में परेशानी होने लगती है.

* लकवा की स्थिति में कई बार व्यक्ति बेहोश हो जाता है.

लकवा रोग दूर करने के लिए घरेलू एवं आयुर्वेदिक उपाय-

हल्दी का काढ़ा-

जिस व्यक्ति को लकवा हुआ हो उसे हल्दी का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए,. इससे लकवा को ठीक करने में मदद मिलती है. हल्दी का काढ़ा आयुर्वेद की प्राचीन पुस्तकों में पाए जाने वाले सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण मसालो में से एक है.

बच्चों से लेकर व्यस्क तक को हल्दी दूध सभी स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने के लिए पीने की सलाह दी जाती है.

सरसों तेल-

250 ग्राम लहसुन को 1 किलो सरसों तेल के साथ कड़ाही में डालकर उबालें. जब तेल और लहसुन अच्छी तरह से पक जाए तो उसे उतारकर ठंडा करके और छानकर शीशी में भरकर रख लें. इस तेल से लकवा ग्रस्त भाग पर मालिक करें.

राई, अकरकरा और शहद-

राई और अकरकरा एक- एक चम्मच लेकर पीसकर पाउडर बना लें. अब एक चम्मच शहद मिलाकर इसे दिन तीन- चार बार जीभ पर मलते रहने से लकवा रोग में आराम मिलता है.

लहसुन-

4-5 लहसुन की कलियों को छील पिसकर दूध में डालकर उबालें. जब दूध गाढ़ा हो जाए तो उतार कर ठंडा करके रोगी को पिलाएं, यह लकवा में फायदेमंद होगा.

सोठ और उड़द-

सोठ और उड़द को पानी में उबालकर उस पानी को पीने से लकवा में आराम मिलता है.

गाय का घी-

शुद्ध गाय का घी 10-10 बूंद की मात्रा में नाक में डालने से लकवा रोग में अच्छा लाभ होता है.

आयुर्वेदिक औषधियां-

 मकरध्वज कल्प बटी, बृहत् वात चिंतामणि बटी, कस्तूरी भैरव रस, मल सिंदूर, अश्वगंधा घृत, सरस्वती बटी, रसोंन बटी, महायोगराज गुग्गुल, वात नाशक पौष्टिक बटी, महारास्नादी क्वाथ इत्यादि आयुर्वेदिक औषधियों का योग्य डॉक्टर ( वैध ) के देखरेख में सेवन करने से लकवा में अच्छा लाभ होता है.

लकवा से बचने के उपाय-

* लकवा से बचने के लिए तनाव मुक्त रहना चाहिए, उसके लिए रोजाना या सप्ताह में 5 दिन योगासन, प्राणायाम, मेडिटेशन, सुबह खुले वातावरण में 30- 40 मिनट सैर करना चाहिए.

* लकवा से बचने के लिए ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखें, खानपान में संतुलन रखते हुए बाहर की तले- भुने या अधिक तेल- मसाले युक्त भोजन से बचना चाहिए.

* व्यक्ति को खान-पान द्वारा व शारीरिक अभ्यास द्वारा बैड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से बचना चाहिए, खाने में प्रतिदिन लहसुन, अलसी के बीज, अदरक आदि को शामिल करना चाहिए.

नोट- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है किसी भी प्रयोग से पहले योग्य डॉक्टर की सलाह लें. धन्यवाद.

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