महिलाओं को मां बनने से रोकती है यह बीमारी, जानें क्या है इलाज ?

हेल्थ डेस्क- शादी के बाद हर महिला की चाहत होती है कि वह एक स्वस्थ व सुंदर बच्चे को जन्म दे और मां बनने का सुख प्राप्त करें. लेकिन नहीं चाहते हुए भी उनके अंदर कई ऐसी बीमारियां हो जाती है जो मां बनने में परेशानी खड़ी कर देती है. आज हम आपको एक ऐसे ही बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं जो प्रयास करने के बाद भी महिलाओं को मां बनने की रोकती है.

माँ नही बन पाना

चलिए जानते हैं विस्तार से-

आज हम आपको जिस बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं उसका नाम है एंडोमेट्रिओसिस. यह महिलाओं के गर्भाशय में होती है जिसमें गर्भाशय के अंदर एंडोमेट्रियम टिश्यू बनता है जिससे गर्भाशय के अंदर परत बनती है और बढ़ने पर एंडोमेट्रियम परत गर्भाशय की बाहर की ओर फैलने लगती है जो कि अंडाशय, फेलोपियन ट्यूब या अन्य प्रजनन अंगों तक फैलती है.

इस परत को बढ़ने से वजाइना के मुख पर अतिरिक्त कोशिकाओं का विकास हो जाता है. जब यह परत फेलोपियन ट्यूब तक फैलती है तो इससे अंडाशय की क्षमता प्रभावित होता है जो इनफर्टिलिटी की वजह बनता है क्योंकि स्पर्म फैलोपियन ट्यूब तक नहीं जा पाता है. जब एंडोमेट्रिओसिस शरीर के अंदर के ओर्गंस,आंतों, किडनी इत्यादि को प्रभावित करता है उस स्थिति को फ्रोजेन पेल्विस कहा जाता है.

क्या है फेलोपियन ट्यूब?

गर्भाशय के दोनों तरफ ओवरी होती है और ओवरी गर्भाशय से फैलोपियन ट्यूब द्वारा जुड़ी हुई होती है.

एंडोमेट्रिओसिस को लोग मासिक धर्म का दर्द या गर्भाशय गाँठ कह देते हैं. दुनिया भर में इस बीमारी के इलाज से लेकर लक्षण तक की जानकारी की कमी है इसलिए यह गर्भाशय में दीमक की तरह होता है जो धीरे-धीरे बढ़ता चला जाता है.

एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण क्या है ?

* माहवारी के दौरान असहनीय पीड़ा होना, कई बार यह पीड़ा पूरे महीने तक बने रहना.

* पीठ में दर्द रहना.

* जांघों में अधिक दर्द होना.

* कंधों में दर्द रहना.

* कब्ज और डायरिया होना.

* पेशाब में खून आना.

* शरीर के निचले हिस्से में अकड़न होना.

* मासिक धर्म होने से पहले मांसपेशियों में खिंचाव होना.

* मासिक धर्म के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा खून का आना.

एंडोमेट्रिओसिस क्या होता है ?

* एंडोमेट्रिओसिस बाहरी संक्रमण की वजह से नहीं बल्कि शरीर की आंतरिक प्रणाली में कमी के कारण होती है जिसके कारणों में से एक महिलाओं की दिनचर्या अनियमित होने से तनाव में रहना भी है.

* एंडोमेट्रिओसिस होने का एक कारण इम्यूनिटी का कमजोर होना भी है, गर्भाशय में अतिरिक्त कोशिकाओं का निर्माण होता है.

* किसी प्रकार के घाव या सर्जरी से भी एंडोमेट्रिओसिस हो सकती है.

एंडोमेट्रिओसिस से होने वाली परेशानियां-

* पेट में दर्द रहना.

* गर्भधारण नहीं कर पाना.

* चेहरे पर झाइयां होना.

* त्वचा मुरझाना.

* हड्डियों में दर्द बने रहना.

* बाल झड़ना और सफेद होना.

* भूलने की बीमारी होना और चिड़चिड़ापन होना.

* उच्च रक्तचाप होना.

* किडनी का कमजोर होते जाना.

* आंखें प्रभावित होना जिसमें रोशनी कम होना.

* एंडोमेट्रिओसिस बीमारी से ग्रस्त महिला गर्भधारण नहीं कर पाती क्योंकि स्पर्म फैलोपियन ट्यूब तक नहीं जा पाता है.

* इसमें गर्भ को ढकने वाले टिश्यूज ओवरी या गर्भाशय के आसपास विकसित होने लगते हैं.

* मासिक धर्म के दौरान खून के गहरे थक्के ओवरीज में जमा हो जाना.

* पेल्विक एरिया और आसपास खून के थक्के जम जाते हैं जिससे फेलोपियन ट्यूब और ओबरी आपस में चिपक जाती है.

क्या है पेल्विक एरिया ?

पेल्विक एरिया शरीर का निचला हिस्सा है यह पेट और पैरों के बीच स्थित है, यह एरिया आंत, मूत्राशय और प्रजनन अंगों को समर्थन प्रदान करता है. प्रजनन अंगों में ओवरिज, फैलोपियन ट्यूब, यूट्रस, वजाइना आदि शामिल है.

क्या है एंडोमेट्रिओसिस का इलाज ?

# एंडोमेट्रिओसिस में महिला के गर्भाशय की जांच की जाती है.

# गर्भाशय का आंतरिक परीक्षण लेप्रोस्कोपी के जरिए किया जाता है. लेप्रोस्कोपिक सर्जरी एंडोमेट्रियम टिश्यू को हटाने के लिए की जाती है. इस सर्जरी में गर्भाशय के अंदर की स्थिति का छोटे कैमरे से पता लगाया जाता है. जिसमें पेट के अंदर एंडोमीट्रीओटिक हिस्सों को हटाते या लेजर की मदद से जलाते हैं.

# सर्जरी के बाद इनके फिर से होने की आशंका रहती है और कई बार मल्टीपल सर्जरी भी करनी पड़ती है.

# दर्द निवारक दवाएं दी जाती है.

# नियमित रूप से एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है जिससे मांसपेशियों की ऐंठन कम होती है.

# हीटिंग पैड से भी शरीर के निचले हिस्से में ऐठन कम होती है.

# सोनोग्राफी से एंडोमेट्रिओसिस का पता लगाया जाता है.

# मेनोपॉज के जरिए एंडोमेट्रिओसिस को रोका जाता है, जिसके लिए हार्मोनल औषधियां दी जाती है यह इलाज पक्का नहीं है इसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं.

# एंडोमेट्रिओसिस की समस्या मेनोपॉज के बाद ही खत्म होती है.

# इसके इलाज के तौर पर हिस्टेरेक्टॉमी नाम की सर्जरी भी की जाती है. जिसमें गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा को हटाने के साथ-साथ दोनों अंडाशय भी निकाले जाते हैं.

# एंडोमेट्रिओसिस की बीमारी से ग्रसित महिलाएं गर्भधारण करने के लिए आईवीएफ ट्रीटमेंट का सहारा ले सकती हैं.

क्या है आईवीएफ ट्रीटमेंट ?

आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन. आईवीएफ तकनीक निषेचन के लिए शुक्राणु और अंडों के फ्यूजन पर काम करती है. इसमें अधिक अंडों के उत्पादन के लिए महिला को फर्टिलिटी औषधियां दी जाती है फिर सर्जरी के माध्यम से अंडों को निकालकर प्रयोगशाला कल्चर डिश में तैयार स्पर्म के साथ मिलाकर निषेचन के लिए रखा जाता है. जिससे bane भ्रूण को वापस महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. यह सफल हुआ या नहीं इसका पता 14 दिनों में प्रेगनेंसी टेस्ट के बाद ही लगता है.

फर्टिलिटी बढ़ाने के घरेलू उपाय-

1 .प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी को बढ़ाने के लिए दालचीनी का इस्तेमाल किया जा सकता है. ज्यादातर महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या का मुख्य कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम बीमारी होती है. दालचीनी के इस्तेमाल से इस बीमारी से ग्रसित महिलाओं का उपचार आसानी से किया जा सकता है. दालचीनी के सेवन से मासिक धर्म चक्र सामान्य हो जाता है.

इसके लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच पिसी हुई दाल चीनी को घोलकर प्रतिदिन सेवन करें. इसमें एक चम्मच शहद मिला सकते हैं. बांझपन की समस्या से छुटकारा पाने के लिए यह बहुत फायदेमंद घरेलू नुस्खा है.

2 .अश्वगंधा एक प्राकृतिक हर्ब है जिसके सेवन से महिलाओं और पुरुषों की प्रजनन क्षमता की बढ़ाया जा सकता है. अश्वगंधा के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी होती है और एक अलग लेबल एनर्जी मिलती है. एंडोक्राइन सिस्टम के विकारों को आंतरिक रूप से दूर करने के लिए अश्वगंधा का सेवन जरूर करना चाहिए. इसके लिए रात को सोने से पहले 5 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण को गुनगुने दूध में मिलाकर पिएं.

क्या है गर्भाशय ग्रीवा ?

बच्चेदानी के मुंह को गर्भाशय ग्रीवा कहा जाता है. यह गर्भ के निचले हिस्से में होता है जो योनि को गर्भाशय से जोड़ता है. गर्भाशय ग्रीवा के दो हिस्से होते हैं एक एंडो सर्विक्स और दूसरा एक्टो सर्विक्स.

अंडाशय क्या है ?

अंडाशय में दो छोटी अंडाकार अंग होते हैं जो गर्भाशय के दोनों तरफ से जुड़े होते हैं. अंडाशय अंडों से भरे होते हैं जो हर लड़की के भ्रूण के साथ ही बनते हैं. हर लड़की के अंडाशय में 10 से 20 लाख बीच अंडे होते हैं. जो उम्र के साथ कम हो जाते हैं. जनन सालों में गर्भधारण की प्रक्रिया अंडाशय से शुरू होती है. हर लड़की पहले मासिक धर्म से मेनोपॉज तक लगभग 400 अंडे जारी करती है.

नोट- यह पोस्ट शैक्षणिक उद्देश्य से लिखा गया है अधिक जानकारी के लिए और उपर्युक्त परेशानी या लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लें. धन्यवाद.

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