भारत के 05 विचित्र स्थल.

भारत देश दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देशों में से एक है। और यह आबादी जितनी लोगो की है उस से  कई ज्यादा रहस्यों की भी है। यह देश विविधताओं का है....जहा खाद्य पदार्थ से लेकर हमे धर्मो तक मे विविधताएं दिख जाएंगी। और यह विविधताएं रहस्यों को जन्म देने का कार्य करती है।

प्राचीनकाल में जब मंदिर बनाए जाते थे तो वास्तु और खगोल विज्ञान का ध्यान रखा जाता था। राजा - महाराजा मंदिरों का इस्तेमाल पूजा - पाठ के अलावा अपने सोने, चांदी और जेवरात छुपाने के लिए करते थे। वह जिन तहखानों का इस्तेमाल खजाना छुपाने के लिए किया करते थे अक्षर उनके रास्ते जमीन के अंदर तक जाते थे। 

वैसे तो हमारे देश को ऋषि मुनियों का देश भी कहा जाता है और यह अवतारों की भूमि भी है। जैसे अवतार शोध के विषयों में से एक है कोई भी वज्ञानिक इन चीजों पर विश्वास नहीं करता। वैसे ही इन रहस्यों को कोई सुलझा नहीं सका है। यह कहना गलत नहीं होगा की कुछ बातें अपनी असमानता के कारण विचित्र हो जाती है। फिर हमारा मन उन रहस्यों को दूसरी दुनिया में छूट गए पत्थरों की तरह समझने लगता है जो आज हम पर फेंके जा रहे है। बस फर्क सिर्फ इतना है कि हमे इन से बचना नही है हमे चोट खा कर इन्हें सुलझाना है जो अब तक हम करने में असफल साबित हुए है। इन रहस्यों को आज तक कोई नही सुलझा सका है।

भारत में वैसे तो हजारों रहस्यमय या विचित्र जगह हैं लेकिन यहां प्रस्तुत हैं कुछ खास  प्रसिद्ध रहस्यमय या विचित्र जगहों की संक्षिप्त जानकारी जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

 

1.) कैलाश मानसरोवर

ऐसा कहा जाता है कि यहां साक्षात भगवान  शिव विराजमान है। ये धरती का केंद्र है। इस संपूर्ण क्षेत्र को शिव और देवलोक का कहा गया है। इसके सबसे पास जो पर्वत है वो कैलाश पर्वत है और इसके आगे मेरू पर्वत स्थित है। 

ऐसा कहा जाता है की कैलाश पर्वत पर कैलाशपति सदाशिव विराजे हैं जिसके ऊपर स्वर्ग और नीचे मृत्यलोक है। यह हिन्दुओं के लिए बड़ा तीर्थ स्थल है।

मानसरोवर पहाड़ों से घिरी एक ऐसी झील है जिसे 'क्षीर सागर' के नाम से भी वर्णित किया गया है। यह क्षीर सागर कैलाश से 40 किमी की दूरी पर है व इसी में शेष शैय्‌या पर विष्णु व लक्ष्मी विराजित हो पूरे संसार को संचालित कर रहे हैं। यह क्षीर सागर विष्णु का अस्थाई निवास है, जबकि हिन्द महासागर स्थाई। इस अलौकिक जगह पर प्रकाश तरंगों और ध्वनि तरंगों का अद्भुत समागम होता है, जो ‘ॐ’ की प्रतिध्वनि करता है। जैनियों की मान्यता है कि आदिनाथ ऋषभदेव का यह निर्वाण स्थल 'अष्टपद' है। कहते हैं ऋषभदेव ने आठ पग में कैलाश की यात्रा की थी। 

ऐसा माना जाता है कि महाराज मानधाता ने मानसरोवर झील की खोज की और कई वर्षों तक इसके किनारे तपस्या की थी, जो कि इन पर्वतों की तलहटी में स्थित है। और तो और बौद्ध धर्मावलंबियों का मानना है कि इसके केंद्र में एक वृक्ष है, जिसके फलों के चिकित्सकीय गुण सभी प्रकार के शारीरिक व मानसिक रोगों का उपचार करने में सक्षम हैं।  

 

2.) कन्याकुमारी मंदिर : 

कुमारी देवी जी का यह मंदिर समुद्र तट पर स्थापित है। जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। इस मंदिर की अलग प्रथा है यहां पुरुषो को प्रवेश के लिए कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं।

प्रचलित कथा के अनुसार पार्वती जी का विवाह होने वाला था। परंतु विवाह सम्पन्न नही हुआ। जिस वजह से विवाह के रस्म मे जो दाल - चावल इस्तेमाल किए जाने वाले थे वो बाद कंकर बन गए। आश्चर्यजनक रूप से कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के कंकर बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं।

 

3.) करनी माता का मंदिर : 

करनी माता का यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर मे स्थित है। यह बहुत ही अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में लगभग 20 हजार काले चूहे रहते है। यहां लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। करणी देवी, जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है, के मंदिर को ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है।

यह अनोखा इसलिए भी है क्योंकि यहां चूहों को खाना खिलाया जाता है और तो और उनकी रक्षा भी की जाति है। यहां चूहों को काबा कहते हैं। यहां एक अनोखी बात प्रचलित है और वो ये की कोई भी चूहा आपके पैर के नीचे नहीं आना चाहिए वरना यह अपशकुन माना जायेगा। और तो और कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया तो आप पर देवी की कृपा हो गई समझो और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना पूर्ण हुई समझो।

 

4.) शनि शिंगणापुर

सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं देश मे। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। काफी काम ऐसे मंदिर है जो विश्व प्रसिद्ध है। यह मंदिर उन में से एक है। यह शिगणापुर शहर में है। 

इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित शनिदेव की पाषाण प्रतिमा बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। यहां शनि महाराज का खौफ इतना है कि शहर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं हैं। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए, क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज सजा स्वयं दे देते हैं। इसके कई प्रत्यक्ष उदाहरण देखे गए हैं। शनि के प्रकोप से मुक्ति के लिए यहां पर विश्वभर से प्रति शनिवार लाखों लोग आते हैं।

 

5.) सोमनाथ मंदिर : 

सोमनाथ मंदिर एक महत्वपूर्ण हिन्दू मंदिर है। इसकी गिनती 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है। प्राचीनकाल में इसका शिवलिंग हवा में झूलता था परंतु आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ दिया। लोग ऐसा मानते है की जिन 24 शिवलिंगों की स्थापना की गई थी उसमें सोमनाथ का शिवलिंग बीचोबीच था। इन शिवलिंगों में मक्का स्थित काबा का शिवलिंग भी शामिल है। इनमें से कुछ शिवलिंग आकाश में स्थित कर्क रेखा के नीचे आते हैं।

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चन्द्रदेव ने किया था। ऋग्वेद में भी इसका उल्लेख मौजूद है।  इस स्थान को सबसे रहस्यमय माना जाता है। यहीं भगवान श्रीकृष्ण ने देहत्याग किया था। यदुवंशियों के लिए यह प्रमुख स्थान था। इस मंदिर को अब तक 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुनर्निर्माण किया गया।

श्रीकृष्ण भालुका तीर्थ पर विश्राम कर रहे थे, तब ही शिकारी ने उनके पैर के तलुए में पद्मचिह्न को हिरण की आंख जानकर धोखे में तीर मारा था, तब ही कृष्ण ने देह त्यागकर यहीं से वैकुंठ गमन किया। इस स्थान पर बड़ा ही सुन्दर कृष्ण मंदिर बना हुआ है।

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