बेरोजगारी दूर करने के उपाय

आजकल दुनिया का सबसे अहम मुद्दों में से एक मुद्दा है- बेरोजगारी।इस बेरोजगारी के समस्या से विकासशील देश को कौन कहे विकसित देश भी अछूते नहीं है। आखिर इतनी बेरोजगारी क्यों बढ़ रही हैं,क्या इनपर सरकार की नजर नहीं पर रही हैं या फिर सरकार इससे नजरे चुरा रही हैं?

आखिर बेरोजगारी बढ क्यों रही है, इसका सबसे सटीक उत्तर है अशिक्षा। क्योंकि ज्यादातर गांवों में आज भी लोगो को यह लगता हैं कि समाज में लड़कियों का जन्म लेना एक अभिशाप है और लडको का जन्म लेना एक वरदान। साथ ही बच्चों का जन्म लेना ईश्वरीय वरदान के रूप में समझा जाना। यही वजह है कि हमारे समाज में जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रहा है। जिसके कारण सरकार चाहते हुए भी इतने भारी मात्रा में रोजगार नहीं पैदा कर सकता है। परंतु सरकार इस समाधान में अपना प्रयास जरूर कर सकता है इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान देकर बेरोजगारी को बहुत हद तक कम किया जा सकता हैं और साथ ही अपने देश को और आगे ले जाया जा सकता हैं।

इसके लिए सबसे जरूरी है शिक्षा में सुधार। इस सुधार में बहुत सारी बातों में बदलाव जरूरी है। बच्चों का जो समय स्कूलों में बीत रहा हैं उसमे उनके पीरियड में बदलाव जरूरी है। बच्चों का लगभग 6 घंटे स्कूल में बीतता है और ये 6 घंटे पीरियड में विभाजित हुए हैं। इन पिरियोडो में दो पीरियड की बढ़ोतरी होनी चाहिए।

              प्रथम पीरियड इलेक्ट्रॉनिक कक्षा में और दूसरा पीरियड देश सेवा के रूप में होना चाहिए। प्रथम पीरियड कक्षा में यानी प्रथम वर्ग के बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक विशेषज्ञ शिक्षक के माध्यम से उनके लेवल का वस्तु बनाने का और जैसे जैसे कक्षा बढ़ता जाए उनके लेवल में बढ़ोतरी कर वस्तु बनाने की कला को विकसित किया जाय। साथ ही बच्चों को जो भी इलेक्ट्रॉनिक क्लास में सिखाया जाए उसको प्रोजेक्ट के तौर पर बच्चो से बनवाया जाय और इन सब प्रोजेक्ट को स्कूल के माध्यम से खरीदा जाए और स्कूल इन प्रोजेक्ट को सरकार को बेचे तथा सरकार भी इनको निर्यात करें। इसके वजह से बच्चों में प्रारंभ से ही अपने पैरो पर खड़ा हो सकते है और बेरोजगारी दूर हो सकता है और साथ ही बेरोजगारी को बहुत हद तक कम किया जा सकता हैं।

                      दूसरा बदलाव जरूरी था बच्चों को देश सेवा का पाठ पढ़ाया जाए की भ्रष्टाचार के खिलाफ कैसे लड़ा जाए,कब कब किन किन परिस्थितियों में किस नियमों का पालन किया जाए और सबसे अहम बात बच्चों को हथियार चलाने, मार्शल आर्ट, डांस क्लास, इत्यादि का भी ट्रेनिग दिया जाए क्योंकी अगर कभी भी देश को ज़रूरत पड़े तो ये लोग देश के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़े रह सके । इससे देश की सेवा के साथ साथ इनकी बेरोजगारी भी दूर हो सकता हैं। इन सब बातो को सरकार के द्वारा एक कठोर कदम उठाने की सख़्त ज़रूरत है।भारत में अल्प विकास और बेरोजगारी का भयंकर स्वरूप पिछड़ी हुई कृषि के कारण है जिससे कार्यों की प्रकृति भी पिछड़ जाती है । कृषि की विधियां अथवा तकनीकें और संगठन आरम्भिक है तथा पुराने हो चुके हैं । फलतः कृषि की उत्पादकता प्रति श्रमिक अथवा श्रम की प्रति इकाई के पीछे कम है । जनसंख्या का 70% भाग स्पष्ट अथवा अस्पष्ट रूप में कृषि पर निर्भर है ।

भूमि के आकार खर्चीले हैं । संस्थानिक सुधार जैसे भूमि सुधार, चकबन्दी, भूमिधारिता की सीमा और काश्तकारी सुधार राजनीतिक एवं प्रशासनिक अदक्षता और किसानों के असहयोगी व्यवहार के कारण लक्षित उद्देश्य प्राप्त नहीं कर पाये । इन परिस्थितियों में कृषि में अल्प रोजगार का होना प्राकृतिक है । दूषित शिक्षा प्रणाली 

 

बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है, दूषित शिक्षा प्रणाली. हमारे देश में गुणवत्ता युक्त शिक्षा नहीं दिया जाता, यहाँ केवल साक्षारत दर में वृद्धि हो रहा है. शिक्षा के नाम पर छात्रों को रट के परीक्षा पास कैसे करना है? ये सिखाया जाता है. क्लास होते हीं दिमाग से रटंत ज्ञान भी निकल जाती हैं.ऐसी शिक्षा प्रणाली एक बेहतर शिक्षित जनसंख्या का निर्माण नहीं कर सकता.

 

गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के अभाव में विद्यार्थियों में व्यावसायिक कौशल विकसित नहीं हो पाता, जिसके कारण उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता. क्योंकि वर्त्तमान समय में लगभग सभी कम्पनियाँ स्किल के अनुसार रोजगार देती है, और युवाओं में स्किल्स का अभाव होता है.

 

जनसंख्या वृद्धि

जनसंख्या वृद्धि बेरोजगारी की एक बहुत बड़ी समस्या है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण उपलब्ध अवसर की कमीं हो जाती है. बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार नहीं दे पाती. सभी के लिए रोजगार उपलब्ध न होना, सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चिंता विषय बन गयी है. बड़ी जनसंख्या के कारण न तो, शिक्षा पर ठीक से ध्यान दिया जाता है और ना हीं स्वास्थ्य पर. इसलिए अगर कम जनसंख्या होगा तो, अवसर सबको बराबर मिलेंगे और कोई भी बेरोजगार नहीं रहेगा.

 

पिछड़ी हुई कृषि 

ये तो सबको मालूम है कि हमारा देश कृषि प्रधान देश है मगर कृषि कोई करना नहीं चहता. क्योंकि कृषि करने की तकनीक काफी पुरानी है. वही हल – फल और फसल लगाने की परंपारिक विधि, जिससे फसलों में मुनाफा नहीं दिखता और लोग कृषि क्षेत्र में दिलचस्पी नहीं दिखाते.

 

यही कुछ बेरोजगारी की समस्या का कारण है. इस ज्वलंत समस्या का निदान किए बिना देश का विकास असंभव है. इसलिए बेरोजगारी की समस्या का निदान करना बेहद जरुरी है.

 

बेरोजगारी के प्रमुख कारण 

निर्धनता

निर्धनता बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है. निर्धनता के कारण भारतीय अभिभावक अपने बच्चों के लिए उचित शिक्षा का प्रबंध नहीं कर पाते हैं. गरीबी के बच्चों को स्कूल भेजने के बजाय काम पर भेजते हैं, या घर का काम करवाते हैं. निर्धनता के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते है, अशिक्षित होने के कारण उन्हें रोजगार नहीं मिलता और बेरोजगारी का सामना करना पड़ता है.

 

मशीनीकरण 

भारत में बेरोजगारी का एक प्रमुख मशीनीकरण है. कल-कारखानों, उद्योगों और कृषि कार्य के लिए मशीनों का अधिक प्रयोग बेरोजगारी को जन्म दे रही है. उद्योगों में अधिकांश कार्य मशीन के द्वारा किया जाता है. जिस काम को पूरा करने के लिए सौ मजदूर लगते थे, वह काम अकेले एक मशीन कर लेता है. ऐसे में मशीनी के कारण जो सौ लोग काम करते थे, उनका रोजगार खत्म होगा.

 

ऐसे ही कृषि कार्य में किसान जहाँ हल जुताई करने के लिए दस आदमी लगाते थे, उस कार्य को ट्रेक्टर एक घंटे में करता है. वैसे ही एक तालाब की खुदाई में दो-तीन सौ व्यक्ति कार्य करते थे, उस काम को एक मशीन अकेले कर रहा है. इस तरह से मशीनीकरण के कारण बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हुई है। अगर इन बातों पर सरकार ध्यान केंद्रित नहीं हो रहा हैं तो बेरोजगारी को दूर करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। तथा लोगों में बढ़ती बेरोजगारी और सरकार के प्रति असंतोष पैदा हो सकता हैं और फिर एक बहुत बड़ा देश को नुकसान हो सकता हैं।

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