ब्रह्मचर्य जीवन मे क्यों जरुरी है ?

          ब्रह्मचर्य का अर्थ क्या है ?

 मित्रों... ब्रह्मचर्य यानि जीवनी शक्ति जिसके आधार पर हमारा पुरा जीवन चलता है. जिसपर हमारा पुरा जीवन  टिका होता है उसे जीवनी शक्ति यानि ब्रह्मचर्य कहते हैं. ब्रह्मचर्य का ही दूसरा नाम वीर्य शक्ति है.भोजन करने के बाद जो सप्तम धातु बनती है उसे वीर्य कहते हैं. हमारे धर्मग्रंथो के अनुसार एक बार भोजन करने के बाद 30 दिन मे उसका वीर्य बनता है. क्योकि पहले भोजन करने के बाद उसका रस बनता है, रस के बाद उसका रक्त बनता है ,ओर रक्त बनने के बाद मांस बनता है, फिर मेद बनता है,और उसके बाद हड्डी बनती है,उसके बाद मज्जा बनती है,ओर फिर उसका अंतिम सप्तम धातु के रुप मे वीर्य बनता है . अब स्वयं विचार करें की जिस वीर्य शक्ति को बनने मे 30 दिन का समय लगता है उसे मनुष्य कितनी जल्दी जल्दी बर्बाद कर देता है. 

               वीर्य शक्ति का नाश करने से होने वाले नुकसान-  वीर्य शक्ति का नाश करने से शरीर मे  बहुत नुकसान होते है. आईये हम जानते हैं की वीर्य शक्ति को बर्बाद करने से किस तरह के नुकसान शरीर मे होते हैं. 

 1. आंखो का कमजोर होना. -- जो मनुष्य इस जीवनी शक्ति(वीर्य शक्ति) ब्रह्मचर्य से खिलवाड करता है. उसे बचपन मे ही नष्ट करने लगता है तो उसकी आंखे धीरे धीरे कमजोर हो जाती है. आंखो पर जल्दी ही चश्मा आ जाता है. आंखो से बार बार पानी बहने लगता है. ये सब उसी जीवनी शक्ति को नष्ट करने का परिणाम है. आजकल हम देखते हैं की छोटे छोटे बच्चे भी इस तरह की आदतो मे पडकर अपनी जीवनी शक्ति को बर्बाद करते रहते हैं. उन्हें नजरो से दिखना कमजोर हो जाता है.

2 .मन मे घबराहट पैदा होना.-- जो भी व्यक्ति अपनी जीवनी शक्ति का नाश करते हैं उनके मन मे बिना किसी वजह के एक घबराहट एक डर सा बना रहता है. कोई झुठी धमकी भी दे देता हैं तो वो बहुत चिंताग्रस्त हो जाता है. बेमतलब के मन मे डर रहने लगता है. बात बात पर डर घबराहट उसके मन मे रहने लगती है. ये सब वीर्य शक्ति को बर्बाद करने के कारण एसा होता है क्योकि वीर्य शक्ति का नाश करने से मन कमजोर हो जाता है. 

3 .ह्रदय कमजोर होना.--  वीर्य शक्ति के बर्बाद होने के कारण दिल बहुत कमजोर हो जाता है. दिल की धडकन अपने आप बढने लगती हैं. छोटी छोटी बातो मे ही चिंता बढने लगती है. उसका ब्लड प्रैशर भी बढने लगता है.

4. आलस्य और प्रमाद का बढना.-- वीर्य शक्ति का नाश करने के कारण मनुष्य मे आलस्य प्रमाद बढने लगता है-- मनुष्य जब अपनी  वीर्य शक्ति का नाश करता है तो उसके मन मे कोई काम करने की इच्छा नही रहती. वो हर समय उदास रहता है. उसके जीवन मे उत्साह खत्म हो जाता है. वो ज्यादा समय अपना नींद मे बिताने लगता है. 12-15 घण्टे वो सोने मे ही बिता देता है. ये आलस्य ओर प्रमाद मनुष्य का सबसे बडा शत्रु होता है इसलिए वीर्यशक्ति का नाश होने के कारण ये शत्रु मनुष्य पर आक्रमण कर देता है . आलसी मनुष्य किसी काम का नही रहता. वो ना तो देश के लिए कुछ कर पाता है ओर ना ही अपने घर परिवार को ठीक तरह से संभाल पाता है. जीवन मे आलस आने पर उत्साह की कमी हो जाती है. 

5 . चिडचिडापन ओर अशांति का बढना.- ब्रह्मचर्य की हानि होने के कारण मनुष्य के मन मे चिडचिडापन बढने लगता है. ओर मन हर समय अशांत रहता है. वो बात बात पर दुसरो पर गुस्सा करने लगता है. बिना किसी बात के दुसरो से नफरत करने लगता है. 

   ब्रह्मचर्य(वीर्यशक्ति)  नाश करने से  शरीर मे बहुत नुकसान होते हैं लेकिन हमने मुख्य पांच नुकसानों पर ही चर्चा की है.  आईये अब हम जानते हैं की जब मनुष्य अपने वीर्य की रक्षा करता है,,उसे बर्बाद नही करता तब मनुष्य के जीवन मे कौनसे लाभ प्रकट होते है. 

          *ब्रह्मचर्य पालन करने से होने वाले लाभ* 

1.ह्रदय बलवान ओर उत्साह की बढोत्तरी.-- ब्रह्मचर्य पालन करने से मनुष्य का ह्रदय विशाल ओर बलवान बनता है ओर उसके मन मे उत्साह की  वृद्धि होती है. उसका मन लोगो के साथ घुल-मिलकर रहने का करने लगता है. उसे अपने मन मे आनंद ओर एक शांति का सदैव अनुभव होता है.

2. नये नये कार्यों को करने की रुचि.-- वीर्य रक्षा करने वाला मनुष्य सदैव एक नवीन उत्साह मे डूबा रहता है. उसके मन मे नये नये कार्यो को करने की इच्छा प्रकट होती रहती है. उसके अंदर आलस्य प्रमाद बिलकूल नही रहता. वो हर समय कार्य करने मे जागरुक रहता है. 

3.हर परिस्थिति का सामना करने का बल प्रकट होना.-- आजकल मनुष्य की हालत ये हैं की जब जीवन मे दुख आता है तो वो बहुत जल्दी तनाव मे चला जाता है लेकिन जब मनुष्य ब्रह्मचर्य पर ध्यान देने लगता है तो उसके अंदर एक एसा बल आता है की वो हर सुख दुख की परिस्थिति का आसानी से सामना करता है. ओर कभी भी किसी भी परिस्थिति मे वो चिंताग्रस्त नही होता. 

  हमने ब्रह्मचर्य से होने वाले  अनंत लाभो मे से कुछ लाभो को जाना. आईये अब हम जानते हैं की ब्रह्मचर्य का पालन कैसे करें. 

      ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए कुछ नियम

1. ब्रह्म मुहुर्त मे उठें.-- आजकल मनुष्य को लेट सोकर लेट उठने की आदत हो गयी है इसलिए उसका ब्रह्मचर्य शरीर मे टिक नही पाता. जो मनुष्य जीवन मे ब्रह्मचर्य को धारण करना चाहता है उसे चाहिये की वो जल्दी सोकर जल्दी उठे. सुबह 4 बजे से लेकर 6 बजे तक का समय बहुत बलवान ओर कीमती होता है. उस समय को ब्रह्म मुहुर्त कहते है. जो मनुष्य उस समय सोता है तो उसका मन दिनभर कमजोर बना रहता है. ब्रह्मचर्य की हानि होती है. मन मे नकारात्मक विचार आने लगते है. इसलिए ब्रह्मचर्य धारण करने के लिए सबसे पहले जल्दी उठने का नियम बनाना चाहिये. 

2.व्यायाम ओर प्राणायाम करें.-- ब्रह्मचर्य पालन करने के लिए ये अति आवश्यक हैं की सुबह जल्दी उठकर कुछ देर के लिए कुछ योगासान,प्राणायाम,व्यायाम किया जाए. इससे शरीर थकता है. शरीर की थकान सेहत के लिए बहुत अच्छी रहती है. इससे ब्रह्मचर्य भी पुष्ट होता है.

3. गंदे दृश्य/नाटक/सिनेमा से दूर रहें.-- मनुष्य के हाथ मे स्मार्टफोन लैपटॉप आदि वस्तुएं आने के कारण वो बुरे दृश्य देखने मे समय लगाता है जिसके कारण उसका ब्रह्मचर्य नही टिक पाता. मनुष्य को चाहिये की वो एसे दृश्यो को देखना छोड दे जिन दृश्यो से उनका मन बहुत बुरे विचारों मे चला जाए. एसे दृश्यो को ना तो देखना चाहिये ओर ना ही एसी बुरी बातों को सुनना चाहिये. तभी मनुष्य ब्रह्मचर्य को धारण करके सुखी ओर आनंदित हो सकता है . धन्यवाद !!  

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मुझे धार्मिक विषयों पर लेख लिखना बहुत ही पसंद है. अन्य विषयों पर भी लेख लिखने का सुंदर प्रयास कर लेता हूं. जय श्री राधे कृष्णा !