पूरे साउथ एशिया में भारत sepsis से होने वाली मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर आता है जानें क्या है sepsis ? कारण, लक्षण और इलाज

हेल्थ डेस्क- हमारे शरीर में कई तरह की बीमारियां होती रहती है, जिनमें कुछ बीमारियां तो खुद ही ठीक हो जाती है और कुछ बीमारियां साधारण से उपचार के बाद ठीक हो जाती है. लेकिन कई ऐसी बीमारियां हैं जो हमारे लिए घातक भी बन जाती है. ऐसे ही बीमारी है sepsis जिसका समय पर इलाज न किया जाए तो जानलेवा हो सकती है.

sepsis

चलिए जानते हैं विस्तार से-

न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे साउथ एशिया में भारत sepsis से होने वाली मौतों के मामले में दूसरे नंबर पर आता है. जो लोग आईसीयू में भर्ती होते हैं उन्हें sepsis का ज्यादा खतरा होता है. डीएनए में छपी एक खबर के अनुसार sepsis से जूझ रहे 34% मरीजों की मौत आईसीयू में होती है. sepsis जानलेवा हो सकता है. sepsis भारत में पब्लिक हेल्थ के लिए यह एक बड़ा खतरा है. इसके बावजूद ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं सेप्सिस ( sepsis ) क्या होता है?

सेप्सिस (sepsis ) क्या है ?

sepsis एक खतरनाक कंडीशन है. यह हमारे शरीर का रिएक्शन होता है. किसी भी तरह के संक्रमण के खिलाफ यह संक्रमण बैक्टीरियल, वायरल, फंगल कुछ भी हो सकता है. जब हमारे शरीर में इस तरह के इंफेक्शन होते हैं तो हमारे शरीर में खास तरह की रिएक्ट करती है. इस रिएक्शन के दौरान शरीर कई तरह के एन्जाइम प्रोटीन रिलीज करता है. जिनका नॉर्मल काम इस तरह के इंफेक्शन से शरीर को बचाना है.

लेकिन कई बार हमारे शरीर का यह रिएक्शन इतना अधिक बढ़ जाता है कि शरीर अपने ही अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है. यही कंडीशन जब ज्यादा खतरनाक हो जाती है या आपका ब्लड प्रेशर गिरने लग जाता है तो इस सिचुएशन सेप्टिक शॉक कहते हैं.

सेप्सिस ( sepsis ) होने के कारण-

sepsis होने का मुख्य कारण इंफेक्शन है. किसी मरीज को अगर शरीर के किसी भी हिस्से में इंफेक्शन है और उस समय पर नहीं इलाज नही किया गया तो वही इंफेक्शन मरीज को डिवेलप हो सकता है जैसे-

* पेट में संक्रमण.

* न्यूमोनिया.

* गुर्दे में संक्रमण.

* रक्त प्रवाह में संक्रमण.

सेप्सिस ( sepsis ) होने के लक्षण-

* मरीज को तेज बुखार हो जाता है.

* शरीर में दर्द होना, कमजोरी हो जाना.

* ब्लड प्रेशर अक्सर लो हो जाता है.

* अगर किसी मरीज के अलग-अलग अंगों पर असर हो रहा है जैसे किडनी तो पेशेंट का यूरिन आना कम हो जाता है.

* यदि मरीज के लीवर पर असर पड़ रहा है तो हल्का पीलिया हो सकता है.

* अगर मरीज के फेफड़े पर असर हो रहा है तो एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो सकता है. ऑक्सीजन लेवल गिर सकता है. सांस फूलने की तकलीफ हो सकती है.

* अगर ब्रेन को अफेक्ट कर रहा है तो उसकी वजह से मरीज को बेहोशी आ सकती है, सिर में दर्द हो सकता है और दौरे भी पढ़ सकते हैं. सोचने- समझने में परेशानी हो सकती है.

इन लोगों को ज्यादा होता है सेप्सिस का रिस्क-

# अगर किसी को निमोनिया है, किसी को यूरीन इनफेक्शन है या शरीर में किसी भी तरह का इंफेक्शन है तो sepsis होने का रिस्क बढ़ जाता है.

# यदि कोई डायबिटीज का मरीज है और शुगर कंट्रोल नहीं रहता है.

# कोई ऑर्गन ट्रांसप्लांट हो चुका है या किसी भी कारण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है.

# इसके साथ ही उम्र का भी बड़ा असर होता है. मान लीजिए बुजुर्ग है या काफी कम उम्र के बच्चे हैं उनकी बॉडी को सेप्टिक शॉक में जाने का ज्यादा खतरा होता है.

बचाव और इलाज-

1 .जब भी मरीज को सेप्सिस होता है उसको तुरंत चेक करवा कर इलाज कराना चाहिए. अगर मरीज का ब्लड प्रेशर लो हो रहा है तो उसको फ्लोएड की जरूरत पड़ती है. कई बार वेजो प्रेशर मेडिसिन देनी पड़ती है. यह दवाइयां ब्लड प्रेशर बढ़ाने का काम करती है. उसके अलावा मरीज को एंटीबायोटिक देनी पड़ती है जिससे इंफेक्शन को नियंत्रित किया जा सके.

2 .अगर ऑर्गन फेल हो रहे हैं तो उनको सपोर्ट करने के लिए उस हिसाब से दवाइयां दी जाती है, कोशिश की जाती है कि कम से कम ऑर्गन फेल हो और जल्दी से जल्दी sepsis ख़त्म हो. साथ ही अगर मरीज का ऑक्सीजन लेवल गिर रहा है सांस फूल रही है तो ऑक्सीजन देना पड़ सकता है.

3 .अगर ब्रेन में इंफेक्शन फैल रहा है या फिर मरीज को बेहोशी हो रही है या कोमा में जा रहा है तो लक्षण के अनुसार से उसे इलाज देना पड़ता है. इसके साथ ही अगर कोई बाहरी इंफेक्शन है उसको कहीं से पस आ रहा है. कोई सॉफ्ट टिशु इनफेक्शन त्वचा के ऊपर वहां से पस आ रहा है तो पस निकाला जाता है ऐसी स्थिति में इलाज के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है.

सेप्सिस ( sepsis ) का घरेलू उपचार-

1 .हल्दी-

हल्दी में एक यौगिक मौजूद होता है जिसे करक्यूमिन कहा जाता है. इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं जो sepsis के संक्रमण से निपटने में मदद करते हैं. इसके लिए रात को सोने से पहले एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच पिसी हुई हल्दी मिलाएं और एक चम्मच शहद मिला लें और पिएं.

2 .लहसुन-

लहसुन में एक प्राकृतिक यौगिक sepsis के खिलाफ चिकित्सकीय प्रभाव प्रदर्शित करता है जो लहसुन के एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटीबायोटिक, एंटीमाइक्रोबियल्स गुणों के कारण हो सकता है. आप sepsis के इलाज के लिए लहसुन की एक- दो कलियों को सुबह खाली पेट चबाकर खा सकते हैं.

3 .शहद-

शहद sepsis को अपनी इम्यूनोमोड्यूलेट्री गुण और एंटीमाइक्रोवियल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के साथ इलाज में मदद कर सकता है. इसके लिए एक- दो चम्मच सुबह-शाम शहद का सेवन करें.

4 .जीरा-

जीरा आवश्यक तेल में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं जो लीवर के चोट की तरह सेप्टिक से संबंधित ऑक्सीडेटिव चोंटों को ठीक करने में मदद कर सकते हैं. इसलिए जीरे के तेल का नियमित उपयोग करके sepsis के इलाज में मदद लिया जा सकता है. इसके लिए एक गिलास गुनगुना पानी में एक- दो बूंद जीरा आवश्यक तेल को मिलाकर सुबह-शाम पीना चाहिए.

5 .मुंग बिन्स-

मुंग बींस का व्यापक रूप से चीन में उनके पोषण और एंटी इन्फ्लेमेटरी लाभ के लिए उपयोग किया जाता है. मुंग बींस का चिकित्सकीय प्रभाव उनके कोर्ट में एक जलीय एक्सट्रेक्ट की उपस्थिति के कारण होता है जो sepsis के खिलाफ लड़ कर आपको जीवनदान दे सकता है. इसके लिए आधा कप पकी हुई बिन्स का नियमित सेवन कर सकते हैं.

नोट- sepsis हमेशा किसी इंफेक्शन से लड़ने के दौरान होता है यानी इंसान पहले से बीमार होता है. उसका इलाज चल रहा होता है. कोविड-19 की दूसरी वेब के दौरान आईसीयू में भर्ती कई मरीजों में sepsis देखा गया था. लेकिन सिर्फ कोविड-19 किसी भी इंफेक्शन के कारण हो सकता है. इसलिए लक्षणों पर बहुत नजदीक पर मॉनिटर करना जरूरी है ताकि तुरंत इलाज दिया जा सके नहीं तो sepsis जानलेवा हो सकता है. उम्मीद है यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी लाइक, शेयर जरूर करें. धन्यवाद.

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