पंजशीर घाटी क्या है? क्या तालिबान ने पंजशीर पैर कब्ज़ा कर लिया है?

पंजशीर घाटी क्या है? 



यह अफगानिस्तान की वादी पंजशीर प्रान्त में आती है और इसमें से प्रसिद्ध अफगानिस्तान की शीर नदी गुज़रती है। यहाँ लगभग 140000 लोग बसे हुए हैं जिनमें अफ़ग़ानिस्तान का सबसे बड़ा ताजिक लोगों का समुदाय भी शामिल है

20 साल पहले भी जब अफगानिस्तान में तालिबान का राज था तब भी तालिबान पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया था. इस बीच पंजशीर के अलग-अलग इलाकों में तालिबान द्वारा घुसपैठ की कोशिश की जा रही है

अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी तालिबान के लिए बड़ा सिरदर्द बनती जा रही है। एक दिन पहले ही तालिबान ने दावा किया था कि उसके लड़ाकों ने पंजशीर पर कब्जा कर लिया है। जिसके तुरंत बाद विरोधी धड़े के नेता अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने इन दावों को खारिज किया था।

पांच शेरों की घाटी' 

पंजशीर को 'पंजशेर' भी कहते हैं जिसका मतलब 'पांच शेरों की घाटी' होता है। काबुल के उत्‍तर में 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस घाटी के बीच पंजशीर नदी बहती है। हिंदुकुश के पहाड़ भी इससे ज्‍यादा दूर नहीं। पंजशीर एक अहम हाइवे भी है, जिससे हिंदुकुश के दो पास का रास्‍ता निकलता है। खवाक पास से उत्‍तरी मैदानों तक जाया जा सकता है और अंजोमन पास बादाखशन से गुजरता है।


पंजशीर घाटी के हर जिले में ताजिक जाति के लोग मिलेंगे। सालंग में ये बहुमत में हैं। ताजिक असल में अफगानिस्‍तान के दूसरे सबसे बड़े एथनिक ग्रुप हैं, देश की आबादी में इनका हिस्‍सा 25-30% है। पंजशीर में हजारा समुदाय के लोग भी रहते हैं जिन्‍हें चंगेज खान का वंशज समझा जाता है। इसके अलावा पंजशीर में नूरिस्‍तानी, पशई जैसे समुदायों के लोग भी रहते हैं।


पंजशीर के कई जिले तालिबान के कब्जे


प्रतिरोधी बल के नेताओं ने माना है कि पंजशीर के कुछ जिले तालिबान के हाथ में आ गए हैं, जबकि तालिबान समर्थक सोशल मीडिया में लड़ाकों के कब्जे में आए टैंक और अन्य हथियारों के वीडियो शेयर कर रहे हैं। इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि तालिबान ने पंजशीर पर कब्जा कर लिया है और काबुल और अन्य शहरों में जश्न के तौर पर गोलियां भी चलाई जा रही हैं।

तालिबान का दावा झूठा


उन्होंने यह ट्वीट किया कि प्रतिरोध जारी है और जारी रहेगा। मैं यहां अपनी मिट्टी के साथ, अपनी मिट्टी के लिए और इसकी गरिमा की रक्षा के लिए हूं। उनके बेटे, इबादुल्ला सालेह ने मैसेज भेजकर इस बात से इनकार किया कि पंजशीर तालिबान के कब्जे चला गया है। उन्होंने कहा कि नहीं, यह झूठ है

पंजशीर पर कहर बरपा रहा तालिबान

अफगान मीडिया के मुताबिक, तालिबान के लड़ाके पिछले तीन दिनों से पंजशीर पर लगातार हमले कर रहे हैं। गुरुवार को भी तालिबान ने पंजशीर में रॉकेट की बरसात की है। बताया जा रहा है कि इस हमले में विद्रोही बलों को भारी नुकसान भी पहुंचा है, लेकिन उन्होंने घुटने टेकने से इनकार किया है। ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि इन हमलों में तालिबान के सैकड़ों लड़ाके मारे गए हैं, जबकि इससे दोगुने घायल हैं

रेसिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता ने कहा
दुश्मन ने बार-बार पंजशीर प्रांत के शोतुल जिले में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहा। घुसपैठ की कोशिश के दौरान ही दोनों ओर से गोलीबारी हुई और खूनी झड़प हुई, जिसमें तालिबान के 40 लड़ाके मारे गए। प्रवक्ता के अनुसार, मध्यस्थता की वजह से मारे गए लोगों के शव तालिबान को सौंपे गए। उन्होंने कहा कि इसके बाद गुरुवार को दोनों पक्षों की ओर से कोई संघर्ष नहीं हुआ।

बता दें कि पंजशीर घाटी में अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी मौजूद हैं जिन्होंने तालिबान को अफगानिस्तान से उखाड़ फेंकने की कसम खाई हुई है। इसके साथ ही अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद भी यहीं हैं और उन्होंने कहा है कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं। मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है। तो ऐसे में तालिबान के लिए पंजशीर घाटी पर नियंत्रण बेहद मुश्किल होने वाला है

ताजिकिस्तान से मदद मांगने की कोशिश
उधर एक बड़ी खबर ये भी निकलकर आ रही है कि प्रभावशाली पश्तून कमांडर और नेता अब्दुल रसूल सय्याफ पंजशीर से कमांडरों का संदेश लेकर मदद मांगने ताजिकिस्तान गए हैं. अब्दुल रसूल पुराने मुजाहिदीन कमांडर और अहमद शाह मसूद के साथी रहे हैं. अब्दुल रसूल उस समय नॉर्दर्न एलायंस के इकलौते पश्तून कमांडर थे, जो इतने ताक़तवर थे.

 

विपक्षी गठबंधन के 34 लड़ाके मारे गए और 11 चेकप्वाइंट अब हमारे कब्जे में हैं। मारे गए लोगों में दो अहम कमांडर भी हैं। अब हम पंजशीर की मुख्य सड़क तक पहुंच गए हैं और शोतुल जिला अपने कब्जे में कर लिया है। हमारे महज दो लड़ाके ही घायल हुए हैं।

 

हालांकि तालिबान विरोधी नेशनल रेसिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान के प्रवक्ता ने मुजाहिद के दावों को खारिज कर दिया। अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के इस साझा गठबंधन के प्रवक्ता ने कहा, दुश्मन ने जाबुल-सराज के जरिये शोतुल में घुसने के कई प्रयास किए, लेकिन हर बार विफल हो गया। हम इस सप्ताह अब तक भारी संख्या में तालिबान लड़ाके मार चुके हैं। हालांकि वह मारे गए लड़ाकों की पुख्ता संख्या नहीं बता सके।

पंजशीर बना तालिबान के लिए बड़ा नासूर

जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण किया है, तभी से पंजशीर घाटी में विद्रोही लड़ाके जुटना शुरू हो गए हैं। बताया जा रहा है कि इनमें सबसे ज्यादा संख्या अफगान नेशनल आर्मी के सैनिकों की है। इस गुट का नेतृत्व नॉर्दन एलायंस ने चीफ रहे पूर्व मुजाहिदीन कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं। उनके साथ पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह और बल्ख प्रांत के पूर्व गवर्नर की सैन्य टुकड़ी भी है।

 

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