दुनिया के सात अजूबे कौन कौन से है ?

दुनिया के सात अजूबे सबसे पहले लगभग 2200 साल पहले आये थे. प्राचीन विश्व में सबसे पहले 7 अजूबे का विचार हेरोडोटस और कल्लिमचुस को आया था.

21वी सदी शुरू होने से पहले 1999 में सात अजूबे को नए तरीके से सबके सामने लाने की बात शुरू हुई . इसके लिए स्विट्ज़रलैंड के ज्यूरिक में न्यू 7 वंडर फाउंडेशन बनाया गया. इन्होने कैनेडा में एक साईट बनवाई, जिसमें विश्व भर की 200 कलाकृति के बारे में जानकारी थी, और एक पोल शुरू हुआ, जिसमें इन 200 एंट्री में से 7 एंट्री को चुनना था. 

न्यू 7 वंडर फाउंडेशन के अनुसार इस परियोजना में लगभग 100 मिलियन लोगों ने नेट एवं फोन के द्वारा अपना वोट दिया. इन्टरनेट के द्वारा एक इन्सान एक ही बार 7 अजूबे चुन कर वोट कर सकता था, लेकिन फ़ोन के द्वारा एक इन्सान कई वोट दे सकता था. वोटिंग 2007 तक चली थी, जिसका रिजल्ट 7 जुलाई 2007 को लिस्बन में सबसे सामने आया.

दुनिया के नए सात अजूबे के बारे में विस्तार से जानिए 

1.चिचेन इत्ज़ा (Chichen Itza) – 

     चिचेन इत्ज़ा मैक्सिको में बसा बहुत पुराना मयान मंदिर है. इसका निर्माण AD 600 में हुआ था. चिचेन इत्ज़ा माया का सबसे बड़ा शहर है, यहाँ की जनसँख्या भी अधिक है. मैक्सिको में चिचेन इत्ज़ा में सबसे पुराना पुरातात्विक स्थलों में से एक है, जहाँ हर साल 1.4 मिलियन पर्यटक घुमने आते है. चिचेन मैक्सिको में युकान्तन स्टेट में स्थित है.

चिचेन इत्ज़ा का माया मंदिर 5 किलोमीटर में फैला हुआ है. यह 79 फीट ऊँचा है. जो पत्थरों से पिरामिड की आकृति का बना है. इस मंदिर में उपर जाने के लिए चारों दिशाओं से सीढियां बनी है, टोटल 365 सीढियां है. हर दिशा से 91 सीढियां है. कहते है, हर एक सीढ़ी एक दिन का प्रतिक है. उपर 365 दिन के लिए एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है. इसके अलावा इस जगह पर पिरामिड ऑफ़ कुकुल्कन, चक मूल का मंदिर, हज़ार स्तंभों के हॉल एवं कैदियों के खेल का मैदान है. यह सबसे बड़े मयान मंदिरों में से एक है.

2. क्राइस्ट दी रिडीमर (Christ The Redeemer) – 

     यह ब्राजील के रियो डी जनेरिओ में स्थित है. दुनिया एकलौते जीवते परमेश्वर येशु मसीह की 38 मीटर, लगभग 130 फीट ऊँची और 28 मीटर चौड़ी यह प्रतिमा, दुनिया के अजूबों में से एक है. इससे ऊँची कोई भी प्रतिमा आज तक नहीं बनी है. दुनिया के उद्धारकर्ता के रूप में माने जाने वाले येशु मसीह की इस मूर्ती का निर्माण 1922 में शुरू हुआ था, जो 12 अक्टूबर 1931 को इस जगह पर स्थापित किया गया था. यह मूर्ती क्रांकीट और पत्थर से बनी है, जिसे ब्राजील से सिल्वा कोस्टा ने डिजाईन किया था, एवं फ्रेंच के महान मूर्तिकार लेनदोव्सकी से इसे बना के तैयार किया था. इसका वजन 635 टन के लगभग होगा. यह रियो शहर के 700 मीटर ऊँची कोरकोवाडो की पहाड़ी पर स्थित है. दुनिया भर में ईसाई धर्म का यह बहुत बड़ा प्रतीक है.

3.चीन की दिवार (The Great Wall of China) –

     चीन की इस विशाल दीवार को दुनिया में सब जानते है. यह दीवार कई हिस्सों में वहां के शासकों द्वारा अपने राज्य की रक्षा के लिए बनाई गई थी, जिसे धीरे धीरे जोड़ दिया गया, जो अब एक किलेनुमा आकृति की हो गई है. इसका निर्माण सातवीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी तक हुआ था. यह महान कलाकृति इतनी मजबूत, और विशाल है कि इसे ग्रेट वाल ऑफ़ चाइना कहा गया. इस चीन की दीवार की विशालता को वैज्ञानिक ने अंतरिक्ष से भी देखा है, इस मानव निर्मित कलाकृति वहां से भी दिखाई पड़ती है. इसका निर्माण मिट्टी, पत्थर, ईंट, लकड़ी और दुसरे मटेरियल को मिला कर हुआ है. यह विशाल दिवार पूर्व के दंदोंग से शुरू होकर पश्चिम में लोप लेक तक फैली है. चीन की दीवार लगभग 6400 किलोमीटर तक फैली है, और यह 35 फीट ऊँची है. यह दीवार किले के समान बनी है, इसकी चौड़ाई इतनी है कि इसमें 10-15 लोग आराम से चल सकते है.

4.पेट्रा (History of Petra) –

     साउथ जॉर्डन में बसे पेट्रा शहर की कलाकृति सात अजूबों में शामिल है. यह एक एतेहासिक और पुरातात्विक शहर है. इस शहर में चट्टानों को काटकर वास्तुकला का निर्माण हुआ है, साथ ही यहाँ पानी की नालीनुमा प्रणाली है, यही वजह है ये शहर बहुत फेमस है. इस शहर को रोस सिटी भी कहा जाता है, क्यूंकि यहाँ को पत्थर काटकर कलाकृति बनी है, वो सब लाल रंग की है. इसका निर्माण 312 BC के लगभग हुआ था. यह जॉर्डन का मुख्य आकर्षण है, जहाँ हर साल बहुत से पर्यटक जाते है. यहाँ ऊँचे ऊँचे मंदिर है, जो आकर्षण का केंद्र है. इसके अलावा तालाब, नहरें भी है, जो बहुत सुन्योजित तरीके से बनाई गई है. इसको देखने के लिए भी लोग बहुत यहाँ आते है.

5.ताजमहल (Taj Mahal history) – 

     भारत की शान ताजमहल भी दुनिया के सात अजूबों में से एक है. अपनी खूबसूरत कलाकारी, आकृति की वजह से इसे अजूबा बोला गया था. ताजमहल का निर्माण 1632 में शाहजहाँ द्वारा करवाया गया था, यह एक प्यार की निशानी है, जिसे शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की याद बनवाया था. सफ़ेद संगमरमर का बना ये मकबरा, पूरी तरह से सफ़ेद है, जिसके चारों ओर बगीचा है, एवं सामने पानी की बारी है. ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित है. इस जैसे सुंदर कलाकृति दुनिया में और कही देखने को नहीं मिलेगी. मुग़ल शासक शाहजहाँ ने जब इसे बनवाया था, तब इसमें 15 साल का समय लगा था, और इसे बनाने के बाद राजा ने निर्माण से जुड़े सभी मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि वे ऐसा कुछ दूसरा न बना सके. भारत में मुगलों लम्बे समय तक शासन किया था, इस दौरान उन्होंने बहुत सी शिल्पकारी, कलाकृति बनवाई थी, जो आज तक भारत में मौजूद है. ताजमहल की सुन्दरता को देखने के लिए, देश दुनिया से लोग दूर दूर से आते है. 

6. रोम का कोलोसियम (Roman Colosseum History) –

     रोम के इडली में बसा ये एक विशाल स्टेडियम है. रोम में देखने के लिए ये मुख्य आकर्षण है. इसका निर्माण 72 AD में शुरू हुआ था, जो 80 AD में पूरा हुआ था. ओवल शेप की ये विशाल आकृति, कंक्रीट व् रेत से बनाई गई थी. इतनी पुरानी ये वास्तुकला आज भी दुनिया के सात अजूबों में अपनी जगह बनाये हुए है. प्राकतिक आपदा, भूकंप से ये थोडा बहुत ध्वस्त हुआ, लेकिन आज भी इसकी विशालता वैसे ही है. यहाँ 50 हजार से 80 हजार लोग बैठ सकते है. यहाँ जानवरों की लड़ाई, खेल कूद, संस्कृतिक कार्यक्रम होते है. यह 24 हजार वर्गमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इस जैसी आकृति को बनाने की कोशिश कई इंजिनियरों द्वारा की गई, लेकिन ये एक तरह की पहेली है, जिसे आज तक कोई सुलझा पाया है.

7. माचू पिच्चु (Machu Picchu history) – 

    दक्षिण अमेरिका के पेरू में स्थित माचू पिच्चु एक ऊँची छोटी पर स्थित शहर हुआ करता था. समुद्र तल से 2430 मीटर उपर माचू पिच्चु में 15 वीं शताब्दी के समय इंका सभ्यता रहा करती है. इतनी ऊंचाई में शहर कैसे बसा, ये सोचने वाली बात है और यही इसे दुनिया का सातवाँ अजूबा बना देता है. पुरातत्वविदों का मानना है कि माचू पिच्चु का निर्माण राजा पचाकुती ने 1400 के आस पास करवाया था. यहाँ उनके शासक रहा करते थे, उस समय वहां इंका जाती रहती थी. इसके 100 साल  बाद इस पर स्पेन ने विजय प्राप्त की, और इसे ऐसे ही छोड़ कर चले गए. उन्हें ये झग से कोई ज्यादा लगाव नहीं था, जिसके बाद इसकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था, जिससे यहाँ रहने वाली सभ्यता भी नष्ट हो गई. ये जगह भी इसी के साथ घूम हो गई, लेकिन 1911 में अमेरिका के इतिहासकार हीरम बिंघम ने इसकी खोज की, और इसे दुनिया के सामने लाया. 1983 में यूनेस्को (UNESCO) इसे विश्व की धरोहर घोषित किया. यहाँ इंका सभ्यता की कलाकृति को आज भी देखा जा सकता है, बहुत से वहां ऐसी चीजें अभी मौजूद है, जो उनके द्वारा बनाई गई थी. माचू पिच्चु पर्यटकों का ध्यान अपनी और आकर्षित करता है, इसे देखने कई लोग जाते है.

 

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