दुनिया के शीर्ष 7 रहस्यमयी जगह, जहाँ जाना हर किसी के बस की बात नहीं l

1.जुड़वो का गांव

भले ही यह बात सुनने में बेहद अजीब लगे लेकिन भारत में एक गाँव ऐसा भी है जहां पर लगभग सभी घर में जुड़वा लोग रहते हैं। इस एक गांव में लगभग 200 से अधिक जुड़वा जोड़े रहते हैं, जिसके कारण इस गांव को “जुड़वों का गाँव“ के नाम से भी जाना जाता हैं,

इस गांव की सबसे ज्यादा खास बात यह है कि यहाँ नवजात शिशु से लेकर 65 साल के बुजुर्ग तक जुड़वा हैं.

और यह गाँव है केरल के मलप्पुरम जिले में है, जिसका नाम कोडिन्ही गाँव है। कई लोग, वैज्ञानिक और साथ ही साथ न्यूज चैनल वाले भी इस गांव की हकीकत जानने यहां पहुंच चुके हैं, औऱ उन्होंने पाया कि इस गांव के बारे में जो भी बातें की जाती है l वह सब सच है।
परन्तु ऐसा क्यों है,और इसका सही कारण क्या है इसके बारे में अभी तक कोई भी जानकारी नहीं मिली है,
यहाँ तक कि इसका सही और सटीक जवाब वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है, कि आखिर यहां इतने सारे जुड़वां लोगों के होने का क्या कारण है, और यहां जन्म लेने वाले सभी बच्चे जुड़वां पैदा क्यों होते हैं,
शुरूवात मे वैज्ञानिको का मानना था कि इसका कारण यहां का खान पान है, पर बाद में देखा कि की यहां के आसपास के गांव के लोगों का खानपान भी एक समान है, और वहां ऐसी कोई घटना नहीं होती है।
और अब कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी अजीब वजह इस इलाके के पानी में मौजूद रसायन है. खैर इसका सही वज़ह क्या है ये तो अभी भी एक राज ही है।

 2. तैरते स्तम्भ का रहस्य

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध पुरातत्व और ऐतिहासिक स्थल है। जो कि आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्थित है । यह मंदिर 70 खंभों पर खड़ा है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी क‍ि मंदिर का एक खंभा जमीन को छूता ही नहीं है। बल्कि हवा में झूलता रहता है। यही वजह है कि इस मंदिर को हैंगिंग टेंपल के नाम से भी जाना जाता है।

कहा जाता है कि वर्ष 1902 में उस ब्रिटिश इंजीनियर ने मंदिर के रहस्य को सुलझाने के लिए कई कोशिशें कीं। इमारत का आधार किस खंभे पर है ये जांचने के लिए उस इंजीनियर ने हवा में झूलते खंभे पर हथौड़े से भी वार किए। उससे तकरीबन 25 फीट दूर स्थित खंभों पर दरारें आ गईं। इससे यह पता चला क‍ि मंद‍िर का सारा वजन इसी झूलते हुए खंभे पर है। इसके बाद वह इंजीनियर भी मंदिर के झूलते हुए खंभे की थ्‍योरी के सामने हार मानकर वापस चला गया।
इस झुलते खंभे के कारण यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। जिसे देखने के लिए देश विदेश से लोग आते रहते हैं।
यहाँ के लोगों का मानना है कि इस झूलते खंबे के नीचे से ( खंबे के निचले हिस्से और जमीन के बीच के खाली स्थान ) अपना कपड़ा निकाला जाए तो उनके सुख समृद्धी आती है, और उनपर भगवान भोलेनाथ की कृपा दृष्टी बनी रहती हैं। जिसके कारण यहाँ आने वाले सभी भक्तगण ऐसा जरूर करते हैं l

3:  बिना दरवाजे के घरों का रहस्य

महाराष्ट्र का शनि शिंगणापुर वैसे तो वहां के शनि मंदिर के कारण प्रसिद्ध है। मगर एक और बात है जो इस गांव को खास बनाता है । वो ये की यहाँ के लोगों  का मानना है, कि इस गांव की रक्षा शनि देव करते हैं, जिसके कारण यहाँ के सभी घरों में दरवाजा नहीं है। और साथ ही साथ दुकानों में भी ताला नहीं लगाया जाता है  । और डाकघर को भी लॉक नहीं लगाया जाता है।

और इन सब के बावजूद इन घरों या दुकानों में चोरी नहीं होती है। और यहाँ का क्राइम रेट भी ना के बराबर है। और लोगों का मानना है कि जो भी व्यक्ति यहाँ के घरों, दुकानों में चोरी करने की कोशिश करता है, उनपर शनि देव जी का प्रकोप परता है, और शनि देव उन्हें स्वयं दण्डित करते हैं। और जिसने भी ऐसा करने की कोशिश की या तो उनका एक्सीडेंट हो गया या फिर उनपर भारी विपदा आ गई।

और शायद इन्ही सभी मान्यताओं के कारण यहां के घरों, दुकानों और गांव के किसी भी जगह में चोरी जैसी घटना नहीं होती है, और यहाँ का क्राइम रेट भी कम है।

या फिर शायद सच में शनि देव जी इस गांव की रक्षा करते हो और उन्हीं की कृपा दृष्टी के कारण पूरा गांव सुरक्षित है।

4 फ्रेंच कैटकोम्ज

फ्रांस की राजधानी पेरिस के कैटकोम्ब में तक़रीबन 60 लाख मुर्दों की हड्डियों ओर खोपड़ियों को करीब 2-2 किलोमीटर लंबी दीवार के सहारे सजाया गया है। जो पेरिस शहर में जमीन से 20 मीटर गहराई में डिजाइन की गई जगह  है  जिसे  ‘कब्रों का तहखाना‘ भी कहा जाता है।

दरअसल 1785 के आसपास के समय मे यहां एक महामारी फैली थी । जिसके कारण लाखो की संख्या मे लोगों की मौत होने लगी थी।

पर पर इतनी संख्या में होने वाली मौतों के कारण यहाँ पर लाशों को दफनाने के लिए जमीन कम पड़ने लगी थी। यहाँ के लगभग सभी कब्रिस्तान लाशों से भर चुकी थी ,

और एक समय तो ऐसा जब इस जगह में आयी बाढ़ के कारण कब्रिस्तान में सभी मुर्दों के कंकाल पानी के साथ पूरे शहर मे फैलने लगे। और पूरे पेरिस में जगह जगह मुर्दों के शरीर देखने को मिल जाते थे। और जिसके कारण पेरिस शहर की हवाओ में भीषण दुर्गंध फैल गया और जिसके कारण जगह जगह लोग इस दुर्गंध के कारण बीमार होकर मरने लगे।

जिसके कारण वहां के राजा के और सभी उच्च अधिकारियों द्वारा यह निर्णय लिया गया कि इन सभी लाशों को फ्रांस में जमीन के अंदर बने बड़े बड़े सुरंग में डाल दिया जाए। और फिर धीरे धीरे यहां के कब्रिस्तान में दफनाये लाशों और शहर में फैले लाशों
को एकत्रित कर शहर के नीचे बने सुरंगों में दफनाया जाने लगा,  यहां तक कि और फ्रांसीसी क्रांति के दौरान मारे गए लोगों को भी यही दफनाया जाने लगा

और फिर कुछ ही सालों लाख में यहाँ अधिक 60 लाख से अधिक लाशें हो गई थी । और फिर कुछ सालों बाद यहां परे सभी लाशों को एक के ऊपर एक रखकर सजाया जाने लगा।

और फिर लोगो के कहने पर इस जगह को आम लोगों के लिए खोल दिया गया। और इतनी खौफनाक जगह होने के बाद भी यहां बहुत लोग इसे देखने पेरिस से बाहर से भी आते हैं। इस कब्रिस्तान की देखरेख एयरबीएनबी नाम की एक कंपनी द्वारा किया जाता है, और यही कंपनी यहाँ पर्यटकों के लिए घूमने का आयोजन भी करती हैं।

 5. हिम कंकालों का रहस्य

उत्तराखंड के पहाड़ों में स्थित रूपकुंड झील जो की यहां के अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, वहीं इसी जगह से मिले कंकालों का रहस्य की कहानी भी काफी रोचक और खौफनाक है।

भारत के इस रहस्यमयी जगह पर बर्फ के पिघलने पर हर साल जमी हुई रूपकुंड झील की सतह के नीचे लगभग 300-600 कंकाल मिले थे । वैज्ञानिको के द्वारा परीक्षण और फोरेंसिक के बद इसे 15 वीं शताब्दी ईस्वी पूर्व की लाशों बतायी गयी ।

1942 में किए गए एक रिसर्च से हड्डियों के इस राज पर थोड़ी सी रोशनी पड़ सकती है। रिसर्च के अनुसार उस समय ट्रेकर्स का एक ग्रुप यहां हुई ओलावृष्टि में फंस गया था जिसमें सभी की अचानक वहीं पर बेहद दर्दनाक मौत हो गई थी।

वैज्ञानिको द्वारा जब उन ट्रेकर्स के हड्डियों के एक्स-रे और अन्य टेस्ट्स से किए गए तो पता चला कि हड्डियों में दरारें पड़ी  थीं जिससे पता चलता है कि कम से कम क्रिकेट की बॉल की साइज़ के बराबर ओले रहे होंगे। जो कि ओलावृष्टि के दौरान उन पर गिरे होंगे।
और उस जगह से कम से कम 35 किमी तक कोई गांव नहीं था और सिर छुपाने की  कोई जगह भी नहीं थी।

कई आंकड़ों के आधार पर माना जा सकता है कि रूपकुंड झील में मिले 300 से अधिक कंकाल 850AD के आस पास की रही होगी।

यहाँ के स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि ये लाशें कन्नौज के तत्कालीन राजा और रानी की हैं, जो कि अपने सैनिकों के साथ यात्रा पर जा रहे थे, लेकिन एक भीषण ओलावृष्टि के कारण बेहद दुःखद हादसे का शिकार हो गए और झील में गिर गए,  मृत्यु के बाद इन सभी की लाशें झील में सैकड़ों सालों तक पडी रही l

6. लाल बारिश का रहस्य

केरेला के इडुक्की नामक एक जगह में हुई लाल बारिश की कहानी ने देश विदेश के लोगों को हैरान कर दिया था।

इस घटना को खूनी बारिश के नाम से भी जाना जाता है, इसने 2001 में सभी लोगों को हैरान कर दिया । इस तरह की घटनाओं को वैज्ञानिक कारणों से भी अस्पष्टीकृत किया जाता है और उन्हें इतना अजीब और रहस्यमय बना दिया जाता है कि वे हमारे दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो जाते हैं। इस तथ्य के अलावा यह भी कि ये एक सामान्य मानसून का समय था, जब केरल के इस हिस्से में रक्त लाल रंग में बारिश हुई। यह भी एक बहुत ही स्थानीयकृत घटना थी जो कि केवल कुछ ही किमी की दूरी पर होती थी।

ऐसा क्यों हुआ? इसपर वैज्ञानिकों द्वारा कई सिद्धांत सामने रखे गए।

सेस (पृथ्वी विज्ञान अध्ययन केंद्र) ने यह सिद्धांत दिया कि लाल कण एक विस्फोट उल्का से निकले थे । लेकिन बाद में उन्होंने इसे खुद से ही इसे खारिज कर दिया।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक श्री के.के. शशिधरन पिल्लई ने द्वारा  इस अद्भुत व्याख्या में यह कहा कि फिलीपींस का मेयोन ज्वालामुखी उस समय फूट रहा था और उसी समय केरल में खून की बारिश हो रही थी। तो इसके कारण ज्वालामुखी के अम्लीय सामग्री को दोषी ठहराया गया था।

वहीं कुछ लोगों द्वारा इसे अरब रेगिस्तान की धूल भी माना जाता था। स्पष्टीकरणों में से एक ने अलौकिक जीवन को भी दोषी ठहराया था।
लेकिन इस घटना का अभी तक कोई भी सटीक जवाब या कारण नहीं मिल पाया है, जिसपर सभी वैज्ञानिक एक साथ इसमे हामी भर  सके।

वास्तव में क्या हुआ? इस घटना को पता लगाना अभी बाकी है।

7 सुसाइड फॉरेस्ट, ओकिघारा, जापान

क्या आप विश्वास करेंगे कि पृथ्वी में एक ऐसी भी अजीबोगरीब जगह है जहाँ पर जाने के बाद लोग ख़ुदकुशी करने के लिए प्रेरित हो जाते हैं और बहुत से लोग कर भी लेते हैं. आपको इस बात पर विश्वास हो या न हो, मगर एक ऐसी जगह इस धरती पर मौजूद है जो कि जापान में माउंट फुज़ी की तलहटी में बसा  ओकिघारा का जंगल. खतरनाक जंगल है, जो कि पूरी  दुनिया में सुसाइड फारेस्ट के नाम से फेमस है, इस जंगल में हर साल लगभग सैकड़ों की संख्या में लोग आत्महत्या के लिए जाते रहते हैं. हालाँकि अभी तक इस बात का पता नहीं लगाया जा सका है  कि यहाँ पर ख़ुदकुशी किए जाने की वजह क्या है. परन्तु इस जंगल में मरने वाले लोगों की तादाद इतनी अधिक हो जाती है कि लाशों को हटाने के लिए स्थानीय पुलिस को प्रतिवर्ष  अभियान तक चलाना पड़ जाता है. आतंक फैलने के डर से पुलिस यहाँ पर मरने वालों के आंकड़े जारी करने से भी डरती है. अभी तक सिर्फ एक बार वर्ष 2004 में इस फारेस्ट में ख़ुदकुशी करने वाले लोगों का आंकड़ा सरकारी तौर पर घोषित किया गया था, जिसमें यह कहा गया था कि इस जंगल से 108 लाशें मिली थी l

हालाँकि यहाँ पर लोगों को ख़ुदकुशी करने से रोकने के लिए प्रशासन के द्वारा जंगल में जगह-जगह चेतावनी का बोर्ड लगायागयाहै, जिसमें यहां पर आनेवाले लोगों से ख़ुदकुशी न करने की अपील की गई है. बहरहाल यहां आम लोगों का यह मानना है कि यहाँ पर सभी ख़ुदकुशी करने वालों की आत्माएं भटकती रहती है l और वही आत्माएं यहाँ आने वाले लोगों को ख़ुदकुशी करने के लिए मजबूर करती हैं.  ओकिघारा के जंगल में ख़ुदकुशी को आम लोगों के द्वारा पौराणिक कथा से भी जोड़ा जाता है. इनके कहानी के अनुसार इस इलाके में एक बार अकाल पड़ गया था. भूख से बिलखते लोग खाने की खोजबीन मे ओकिघारा के जंगल में आ गए और यहीं वे सभी लोग काल के ग्रास बन गए. और यही उन सभी लोगों की मौत हो गई, कहा जाता है कि उन्हीं सभी लोगों की आत्माएं यहां इस जगह में भटकती रहती हैं और वे आत्मायें यहाँ आनेवालों को अपना शिकार बना रहे हैं. परतुं ये सभी बातें सही हो या न हो, परन्तु ख़ुदकुशी की प्रेरणा देने वाले ओकिघारा का यह जंगल, एक शोध का विषय अवश्य है.l

8  गुड़ियों का द्वीप, मेक्सिको

मेक्सिको में मेक्सिको सिटी के लगभग किलोमीटर की दूरी पर एक बेहद अजीब द्वीप है. जो की अन्य द्वीप की तरह मनोरम प्राकृतिक छटा से भरपूर और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हे, परंतु इसके बावजूद लोग इस द्वीप में जाने से डरते हैं. इसकी वजह इस द्वीप के पेड़ों पर लटके गुड़ियों (डॉल्स) का झुंड हैl . ये डॉल्स कोई साधारण डॉल्स कि तरह नहीं है , बल्कि यह बेहद डरावनी और ख़तरनाक लगती है,  इन्हें देखने पर ऐसा प्रतीत होता हैं की यह लोगों को घूर रही हैं. और इन डरावने गुड़ियों पर नज़र जाते ही लोग डर कांपने लगते हैं.
सवाल यह आता है, शहर से इतनी दूर के इस द्वीप पर इतने सारे डॉल कहा से आ गए l जबकि इस विरान द्वीप पर कोई इंसान रहता भी नहीं है।
 इस विरान द्वीप पर गुड़ियों का होने के पीछे की एक अजीब कहानी है. यहां के लोगों द्वारा कहा जाता है ,कि पहले डॉन जूलियन संटाना बरेरा नामक  एक व्यक्ती अपनी पत्नी सहित इस विरान द्वीप पर रहने के लिए आए थे. और यहां पर उन लोगों ने अपना बसेरा बना लिया था  l फिर अचानक ही दिन उन्हें पास ही बह रहे नदी में एक छोटी बच्ची की लाश मिली l  उन्होंने उस छोटी बच्ची की  लाश को वहां निकालकर उसे अपने घर के पास ही दफना दिया था l और उसी दिन के बाद से ही वह अजीब अजीब हरकत करने लगा, उनके मन में एक अजीब सा डर बैठ गया कि उस बच्ची की आत्मा उसके शरीर पर हावी हो गई है. और उस आत्मा के प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए उसको द्वीप के पेड़ों पर जगह-जगह गुड़ियों को लटकाना परेगा .

और इसके बाद यहां पर गुड़ियों को लटकाने का उनका यह क्रम तब तक चलता रहा, जब तक उनकी मौत ना हो गई l आज उसको  मरे 14 वर्ष से अधिक हो चुका है , पर उन्होंने इस द्वीप का जो नज़ारा बना दिया है, वह बेहद खतरनाक हैं, जो डर का और रोमांच को पैदा कर रहा है

और इसी के बाद से यह द्वीप प्रसिद्ध हो गया l जिसके बाद इस जगह पर लोग डर को महसूस करने आते रहते हैं l

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