जानें, प्याज के अनदेखे और अनसुने प्रकार और फायदों के बारे में

लगभग हर घर में प्याज का उपयोग सब्जी का स्वाद बढ़ाने, तड़का लगाने और सलाद के रूप में किया जाता है। हालांकि इसे काटते वक्त जिस तरह से यह लोगों को रुलाती है। ठीक उसी तरह इसके औषधीय गुण लोगों की सेहत को मुस्काने पर मजबूर कर देते हैं। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी प्याज के गुण-धर्मों का वर्णन देखने को मिलता है। दरअसल प्याज का इस्तेमाल कई बीमारियों के लिए दवा के रूप में किया जाता है। गर्मियों में इसका सेवन करने से लू नहीं लगती। इसके अलावा प्याज डायबिटीज और कैंसर जैसे रोगों से बचाने में भी सक्षम होती है।

क्या हैं प्याज?

प्याज शाक (सब्जी) के रूप में उगाई जाने वाली एक वनस्पति है। जिसे मूल रूप से सब्जी माना जाता है। जिसका उपयोग खाना, चटनी, आचार और सलाद के रूप में किया जाता है। इसका स्वाद तीखा और तेज होता है। प्याज को हर तरह के मौसम में उगाया जा सकता है। इसके पौधे की बात करें, तो वैज्ञानिक प्याज को एक तना मानते हैं। जो जमीन के अंदर रहता है और पौधे को अच्छे से बढ़ने में सहायता करता है। लेकिन प्याज का प्रयोग प्राचीनकाल से ही औषधि और भोजन के घटक के रूप में होता आया है। जो सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्वभर में होता आया है।

प्याज का वैज्ञानिक नाम एलियम सेपा (Allium Cepa) है। इसे तमाम भाषाओं में विभिन्न नामों से बुलाया जाता है। हिंदी में इसे प्याज, कांदा और डुंगरी कहते हैं। कन्नड़ में इसे उल्लिगड्डे, एरुल्ली और नीरुली कहा जाता है। गुजराती में इसे डुंगरी और कांदा कहते हैं। तेलुगू में इसे उल्लिपायालु, येरा गद्दालु और निरुल्ली बोलते हैं। मलयायलम में इसे सवाना, बंगाली में पिंयाज, तमिल में वैंगयम और मराठी में कंडा कहा जाता है।

प्याज के प्रकार-

प्याज की विश्वभर में तमाम प्रजातियां पाई जाती हैं। जिन्हें यहां बताना संभव नहीं है। इसलिए यहां बात करते हैं प्याज के कुछ खास प्रकारों के बारे में-

पीला प्याज-

इसका गूदा सफेद रंग का होता है और इसकी बाहरी परत भूरे रंग की होती है। इसकी सुगंध सल्फर जैसी होती है।

लाल प्याज-

इस प्याज की बाहरी परत मैजेंटा कलर की होती है। यह खाने में हल्की मीठी होती है। इसलिए इसके कच्चे रूप का सेवन बड़ी मात्रा में किया जाता है।

सफेद प्याज-

यह प्याज को बाहर से देखने में यह थोड़ा सफेद लगता है। जिसका स्वाद अन्य प्याज के मुकाबले हल्का मीठा होता है।

हरा प्याज-

प्याज का यह रूप पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाता।

मीठा प्याज-

यह प्याज थोड़ा मोटा होता है। जिसकी बाहरी परत हल्की और कम आपारदर्शी होती है।

लीक-

इस प्याज के नीचे का हिस्सा गोल और छोटा होता है। जबकि इसका तना थोड़ा लंबा होता है। इस प्याज का इस्तेमाल सॉस और सूप बनाने में किया जाता है।

शैलोट्स-

प्याज का यह आकार छोटा होता है। जिसकी बाहरी परत भूरे रंग और अंदर का गूदा बैंगनी रंग का होता है।

प्याज के फायदे:

रोग प्रतिरोधक प्रणाली के लिए-

अच्छी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए शरीर को विटामिन-सी की जरूरत पड़ती है। प्याज में फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं, जो शरीर में विटामिन-सी की मात्रा को बढ़ाने का काम करते हैं। इसके अलावा प्याज में सेलेनियम भी होता है। जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर से और बेहतर बनाने का काम करता है।

पाचन तंत्र और कब्ज के लिए-

प्याज के औषधीय गुण कब्ज को ठीक कर, पाचन तंत्र को बेहतर करने में मदद करते हैं। क्योंकि प्याज में फाइबर की अच्छी मात्रा होती है। जो पेट की कब्ज और गैस को दूर करने का काम करती हैं। जिससे पेट का पाचन तंत्र भी अच्छा रहता है।

मुंह के स्वास्थ्य के लिए-

यह बात सच है कि कच्चा प्याज खाने से मुंह से बदबू आती है। लेकिन कच्चे प्याज का सेवन मुंह के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा साबित होता है। दरअसल प्याज में थियोसल्फोनेट्स और थायोसल्फ्रेट्स नाम के दो सल्फर यौगिक मौजूद होते हैं। जो दांतों को सड़ाने वाले बैक्टीरिया को खत्म करने का काम करते हैं। इसके अलावा प्याज में विटामिन-सी भी पाया जाता है। जो दांतों की सेहत के लिए ज़रूरी होता है।

पेट का दर्द और कीड़ों के लिए-

प्याज में कुछ पाइथोकेमिकल्स नामक तत्व पाए जैते हैं। जो गैस्ट्रिक अल्सर और उसके असर को काफी हद तक कम कर देते हैं। इसके अलावा प्याज में कुछ प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स भी मौजूद होते हैं। जो कब्ज को दूर करने के अलावा पेट के दर्द और पेट में होने वाले कीड़े की समस्याओं को भी दूर करने में मदद करते हैं।

आतं और दस्त के लिए-

दरअसल प्याज में पाए जाने वाले फाइबर को ओलिगोफ्रुक्टोस कहते हैं। जो आंतों में अच्छे बैक्टीरिया को पनपने में सहायता करता है। जिससे आंत अपना कार्य ठीक से काम कर पाती हैं। इस रूप में प्याज का ओलिगोफ्रुक्टोस गुण दस्त की समस्या के लिए लाभदायक साबित होता है।

कान दर्द के लिए-

प्याज के उपयोग से कान के दर्द को कम किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले प्याज को गर्म करके उसका रस निकाल लें। अब इस रस को हल्का ठंडा करके इसकी कुछ बूंदों को प्रभावित कान में डालें। ऐसा करने से कान के दर्द में शीघ्र ही आराम मिलता है।

मजबूत हड्डियों के लिए-

प्याज पर की गई एक रिसर्च के अनुसार प्याज उम्र बढ़ने पर होने वाली ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों का कमजोर होकर टूटना) की समस्या को कम करने में लाभप्रद साबित होती है। इसके अलावा प्याज के औषधीय गुण जोड़ों के दर्द को दूर कर, हड्डियों की मजबूती बढ़ाने में भी सहायता प्रदान करते हैं।

आंखों के लिए-

हमेशा से प्याज और आंखों के मध्य एक अजीब संबंध रहा है। जहां एक तरह इसे काटने पर आंखों से पानी निकलता है। वहीं दूसरी ओर इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है। दरअसल प्याज खाने से शरीर में ग्लूटाथिओन का निर्माण होता है। जो एक प्रकार का प्रोटीन होता है। यह शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की भांति कार्य करता है। शरीर में ग्लूटाथिओन की पर्याप्त मात्रा होने से काला एवं सफेद मोतियाबिंद और आंखों से जुड़ी अन्य बीमारियों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा प्याज में सेलेनियम भी पाया जाता है। जो आंखों के लिए ज़रूरी विटामिन-ई की पूर्ति करने का काम करता है।

डायबिटीज के लिए-

प्याज का रस रक्त शर्करा को नियंत्रित करने का काम करता है। एक रिसर्च के अनुसार प्याज में क्रोमियम, सल्फर, क्वेरसेटिन और एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होते हैं। जो शरीर के रक्त शर्करा को सकारात्मक रूप में प्रभावित करके कम करने का काम करते हैं। इसलिए मधुमेह को कम करने के लिए हर दिन सीमित मात्रा में प्याज का सेवन करना चाहिए। लेकिन डायबिटीज की दवा के साथ प्याज का सेवन डॉक्टर की सलाह लेने के बाद ही करें।

बेहतर ह्रदय स्वास्थ्य के लिए-

प्याज का क्वेरसेटिन गुण ह्रदय के लिए अच्छा साबित होता है। दरअसल प्याज में एंटीऑक्सीडेंट के अलावा कुछ एंटीइंफ्लेमेटरी गुण भी मौजूद होते हैं। जिसकी मदद से ह्रदय बेहतर तरीके से काम कर पाता है। इसके अलावा प्याज शरीर के कोलेस्ट्रॉल को भी संतुलित करने में मददगार साबित होता है। जो ह्रदय स्वास्थ्य के लिए बेहद ज़रूरी होता है।

कैंसर के लिए-

प्याज पर की गई एक रिसर्च के मुताबिक प्याज में एंटी कैंसरकारी गुण होते हैं। जो कैंसर के लक्षणों को रोकने का काम करते हैं।

दमकती त्वचा के लिए-

निखरी, खिली और साफ त्वचा के लिए शरीर को विटामिन-ए, सी और ई की आवश्यकता पड़ती है। चूंकि प्याज में यह सभी गुण मौजूद होते हैं। जो त्वचा पर फ्री रेडिकल्स के कारण समय से पहले पड़ने वाली झुर्रियों की आशंका को कम करने का काम करते हैं। इसके अलावा प्याज त्वचा के लिए एंटीसेप्टिक के तौर पर भी काम कर करता है।

कील-मुंहासों के लिए-

प्याज में एंटीबैक्टीरियल, एंटीमाइक्रोबियल, एंटीसेप्टिक और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। जो त्वचा पर निकलने वाले कील-मुंहासों और उनके कारणों को दूर करने का काम करते हैं।

लंबे बालों के लिए-

प्याज में केराटिन और सल्फर जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जो बालों को लंबा, घना और मजबूत बनाने का काम करते हैं। इसके अलावा सल्फर के कारण स्कैल्प (खोपड़ी) में कोलेजन का निर्माण होता है। जो सिर की कोशिकाओं का विकास कर, बालों को जड़ से मजबूत बनाने में सहायता करता है। प्याज पर किए गए कुछ शोध से यह भी पता चलता है कि प्याज के रस से बालों को धोने से बालों का विकास बेहतर ढंग से होता है।

सफेद बाल और बालों के प्राकृतिक रंग के लिए-

प्याज में एक कैटलस नाम का एंजाइम मौजूद होता है। जो बालों को समय के पहले सफेद होने से रोकता है। साथ ही बालों को जड़ से काला भी बनाता है। इसके अलावा प्याज का जूस बालों पर लगाने से बालों की चमक बढ़ती है। वहीं, प्याज के रस में सरसों के तेल को मिक्स करके बालों पर लगाने से भी बालों की प्राकृतिक चमक लंबे समय तक बनी रहती है।

प्याज के नुकसान-

तेज गंध-

कच्चा प्याज खाने से मुंह से तेज बदबू आ सकती है। जिसका कारण उसमें मौजूद सल्फर होता है।

रक्त शर्करा में कमी-

प्याज रक्त में मौजूद शुगर की मात्रा को ज़रूरत से ज्यादा कम कर सकता है। इसलिए मधुमेह होने पर इसका सेवन डॉक्टरी की सलाह पर ही करें।

त्वचा पर रैशेज-

कुछ लोगों को त्वचा पर प्याज का रस लगाने से खुजली और रैशेज की समस्या हो सकती है। इसलिए प्याज के रस को इस्तेमाल करने से पहले एक पैच टेस्ट आवश्य कर लें।

गैस-

प्याज का अधिक सेवन करने से पेट में गैस, जलन, उल्टी और मतली आदि की परेशानियां हो सकती हैं।

गर्भावस्था-

गर्भवती महिलाओं को प्याज का सेवन कम या सीमित मात्रा में करना चाहिए। क्योंकि उन्हें इसका अधिक सेवन करने से सीने में जलन हो सकती है।

रक्तचाप-

प्याज के सेवन से डायस्टोलिक और सिस्टोलिक रक्तचाप का स्तर कम हो सकता है। इसलिए जो लोग पहले से ही रक्तचाप की दवा ले रहे हैं। उन्हें प्याज का सेवन डॉक्टर के अनुसार करना चाहिए।

 

 

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About Author

पुष्पेंद्र एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता में स्नातक और एक वर्षीय स्नातकोत्तर डिप्लोमा किया है। अभी गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय, हिसार में द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। अपनी इस छात्र अवधि के दौरान यह सोशल मीडिया से संबंधित विषय पर शोध कार्य कर चुके हैं। कई समाचार पत्रों में इनके लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वहीं, कैंपस से निकलने वाले अखबार के सह-संपादक भी रह चुके हैं।