जानिए डिप्रेशन क्यों होता है, डिप्रेशन के लक्षण, डिप्रेशन से बचने के उपाय

हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स (Neurotransmitters) होते हैं जो विशेष रूप से सेरोटोनिन (Serotonin),डोपामाइन (Dopamine) या नोरेपाइनफिरिन (Norepinephrine) खुशी और आनंद की भावनाओं को प्रभावित करते हैं लेकिन डिप्रेशन की स्थिति में यह असंतुलित हो सकते हैं। इनके असंतुलित होने से व्यक्ति में डिप्रेशन हो सकता है परन्तु यह क्यों संतुलन से बाहर निकल जाते हैं इसका अभी तक पता नहीं चला है।

जिस व्यक्ति को आप जानते हैं और जिसे आप प्यार करते हैं, उसके पास डिप्रेशन होना भी एक निराशाजनक स्थिति है। उनके अकेलेपन और उदासी में चारदीवारी देखना आप दोनों के बीच बड़ी अनबन का कारण बन सकता है। यह डर के साथ-साथ अवसादग्रस्त व्यक्ति की जरूरतों और लक्षणों की गलतफहमी से आता है, डिप्रेशन के कारणों को जानने से हम अपने या अपने प्रियजनों के साथ ऐसा होने से रोक सकते हैं। कई विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि डिप्रेशन वंशानुगत हो सकता है, यदि किसी परिवार को उनके वंश में डिप्रेशन होने के बारे में जाना जाता है; इस बात की अच्छी संभावना है कि अगली पीढ़ी के पास भी यह होगा। जिन लोगों में आत्मविश्वास नहीं होता है और उनमें आत्म सम्मान कम होता है, वे भी डिप्रेशन के शिकार होते हैं। उन्हें अपने जीवन में कोई सकारात्मक पहलू नहीं मिलता है, इसलिए उन्हें डिप्रेशन होता है। जो लोग दैनिक घटनाओं पर तनाव के संपर्क में आते हैं, वे भी डिप्रेशन के उम्मीदवार होते हैं। चिकित्सा विज्ञान ने भी हाल ही में यह पता लगाया है कि डिप्रेशन का व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य से बहुत गहरा संबंध है।

यदि किसी व्यक्ति को कोई जानलेवा बीमारी या दुर्घटना हुई है, तो डिप्रेशन सूट का अनुसरण करता है। बड़ी भावनात्मक सुस्ती के परिणामस्वरूप एक व्यक्तिगत नुकसान भी डिप्रेशन को ट्रिगर कर सकता है। एक बुरा ब्रेक-अप, मौत, नौकरी से निकाल दिया जाना, ये सभी कारण हैं जो व्यक्ति को डिप्रेशन में डाल सकते हैं। शोध से पता चला है कि महिलाओं में डिप्रेशन होने की संभावना दोगुनी होती है। ये उनके द्वारा अनुभव किए जाने वाले हार्मोनल परिवर्तनों के कारण होते हैं। एक अकेली माता-पिता, एक कामकाजी माँ होने का तनाव महिलाओं को भी अनुभव होता है, घर और कार्यालय दोनों में उनकी ज़िम्मेदारियाँ एक प्रेरक कारक हो सकती हैं। डिप्रेशन में पुरुष और महिलाएं अलग-अलग लक्षण दिखाते हैं। पुरुष आमतौर पर चिड़चिड़े और अधीर होते हैं, इसलिए कभी-कभी यह पता लगाना मुश्किल होता है कि उन्हें डिप्रेशन है या नहीं। वे इसे अपने पास रखने की भी अधिक संभावना रखते हैं।

  1. डिप्रेशन के लक्षण (Symptoms of Depression)

    जैसा कि सभी जानते हैं कि डिप्रेशन में लोग हमेशा चिंताग्रस्त रहते हैं, इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं-

-डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति हमेशा उदास रहता है।

-व्यक्ति हमेशा स्वयं उलझन में एवं हारा हुआ महसूस करता है।

-डिप्रेशन से ग्रस्त व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो जाती है।

-किसी भी कार्य में ध्यान केन्द्रित करने में परेशानी होती है।

-डिप्रेशन का रोगी खुद को परिवार एवं भीड़ वाली जगहों से अलग रखने की कोशिश करता है। वह ज्यादातर अकेले रहना पसन्द करता है।

-खुशी के वातावरण में या खुशी देने वाली चीजों के होने पर भी वह व्यक्ति उदास ही रहता है।

-डिप्रेशन का रोगी हमेशा चिड़चिड़ा रहता है तथा बहुत कम बोलता है।

-डिप्रेशन के रोगी भीतर से हमेशा बेचैन प्रतीत होते हैं तथा हमेशा चिन्ता में डूबे हुए दिखाई देते हैं।

-यह कोई भी निर्णय लेने पर स्वयं को असमर्थ पाते हैं तथा हमेशा भ्रम की स्थिति में रहते हैं।

-डिप्रेशन का रोगी अस्वस्थ भोजन की ओर ज्यादा आसक्त रहता है।

-डिप्रेशन के रोगी कोई भी समस्या आने पर बहुत जल्दी हताश हो जाते हैं।

-कुछ डिप्रेशन के रोगियों में बहुत अधिक गुस्सा आने की भी समस्या देखी जाती है।

-हर समय कुछ बुरा होने की आशंका से घिरे रहना।

  1. डिप्रेशन से बचने के उपाय (Prevention Tips for Depression)

    डिप्रेशन के प्रभाव से बचने के लिए जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाने की ज़रूरत होती है।

आहार:

-डिप्रेशन के रोगी को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए तथा ऐसे फलों और सब्जियों का अधिक सेवन करना चाहिए जिनमें पानी की मात्रा अधिक हो।

-पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करना चाहिए जिसमें शरीर के लिए जरूरी सभी विटामिन्स और खनिज हो।

-हरी पत्तेदार सब्जियाँ एवं मौसमी फलों का सेवन अधिक करें।

-चुकन्दर (Beetroot) का सेवन जरूर करें, इसमें उचित मात्रा में पोषक तत्व होते हैं जैसे विटामिन्स, फोलेट,यूराडाइन और मैग्निशियम आदि। यह हमारे मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमिटर्स की तरह काम करते हैं जो कि डिप्रेशन के रोगी में मूड को बदलने का कार्य करते हैं।

-अपने भोजन में ऑलिव ऑयल का इस्तेमाल करें। इसमें उचित मात्रा में एंटी-ऑक्सिडेट्स और मोनोसैचुरेटेड फैटी एसिड्स पाये जाते हैं, यह हृदय रोग तथा डिप्रेशन को दूर करने में मददगार साबित होते हैं।

-डिप्रेशन के रोगी में अस्वस्थ भोजन एवं अधिक भोजन करने की प्रवृत्ति होती है। अतः डिप्रेशन के रोगी को जितना हो सके जंक फूड और बासी भोजन से दूर रहना चाहिए । इसकी बजाय घर पर बना पोषक तत्वों से भरपूर और सात्विक भोजन करना चाहिए।

-अपने भोजन में एवं सलाद के रूप में टमाटर का सेवन करें। टमाटर में लाइकोपीन नाम का एंटी-ऑक्सिडेंट पाया जाता है जो डिप्रेशन से लड़ने में मदद करता है। एक शोध के अनुसार जो लोग सप्ताह में 4-6 बार टमाटर खाते हैं वे सामान्य की तुलना में कम डिप्रेशन ग्रस्त होते हैं।

-जंक फूड का सेवन पूरी तरह छोड़ दें।

-अधिक चीनी एवं अधिक नमक का सेवन।

-मांसाहार और बासी भोजन।

-धूम्रपान, मद्यसेवन या किसी भी प्रकार का नशे का सर्वथा त्याग करना चाहिए।

-कैफीनयुक्त पदार्थ जैसे चाय, कॉफी का अधिक सेवन।

जीवनशैली-

-डिप्रेशन से ग्रस्त रोगी उचित खान-पान के साथ अच्छी जीवनशैली का भी पालन करना चाहिए जैसे व्यक्ति को अपने परिवार और दोस्तों के साथ अधिक बिताना चाहिए। अपने किसी खास दोस्त से मन की बातों को कहना चाहिए।

-डिप्रेशन से निकलने के लिए व्यक्ति को अपनी दिनचर्या में व्यायाम, योग एवं ध्यान को अवश्य जगह देनी चाहिए। यह डिप्रेशन के रोगी के मस्तिष्क को शान्त करते हैं तथा उनमें हार्मोनल असंतुलन को ठीक करते हैं।

-व्यक्ति को सुबह उठकर सैर पर जाना चाहिए उसके बाद योगासन और प्राणायाम करना चाहिए।

-डिप्रेशन के रोगी को ध्यान या मेडिटेशन करना चाहिए। प्राय: अवसादग्रस्त व्यक्ति खुद को एकाग्र करने में असफल पाता है लेकिन शुरूआत में थोड़े समय के लिए ही ध्यान लगाने की कोशिश करनी चाहिए।

-यदि किसी व्यक्ति को कोई दुर्घटना या किसी खास कारण की वजह से डिप्रेशन हुआ है तो उसे ऐसे कारणों और जगह से दूर रखना चाहिए।

-डिप्रेशन के रोगी को प्राकृतिक एवं शान्ति प्रदान करने वाली जगहों पर जाना चाहिए साथ ही मधुर संगीत एवं सकारात्मक विचारों से युक्त किताबें पढ़नी चाहिए।

 

-स्वयं को सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रखना चाहिए और अकेले रहने की आदत से बचना चाहिए।

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