जिंदगी के टॉप 5 मूल्यवान बातें जो आपको संकट से बचा सकती हैं।

जीवन अगर देखा जाए तो यह एक संघर्ष है। यदि हमें कुछ चाहिए तो उसके लिए हमें कड़ी मेहनत करनी पड़ती हैं। उसके लिए कठोर तप करना पड़ता है। ऐसा कोई मनुष्य नहीं है जिसके जीवन में कभी एक बार भी संकट ना आया हो।संकट किसी भी रूप में, किसी भी परिस्थिति में, किसी भी समय और किसी भी जगह आ सकती है। कभी भी संकट आते हैं तो वह हमें सूचना प्रदान नहीं करते हैं कि वह आ रहे हैं, जिसके कारण मनुष्य के अंदर एक भय होता है, ऐसा भय जो सदैव मनुष्य के आसपास रहता है और जिसके कारण मनुष्य कार्य करते रहते हैं कि कहीं उसके ऊपर संकट का बांध न टूट पड़े।

संकट एक ऐसा शब्द है जिसको सुनकर मनुष्य चिंतित अवस्था में चला जाता है। हर जीव , हर जंतु भगवान से यही प्रार्थना करता है कि उसके जीवन में कभी कोई विपदा या संकट ना आ जाए। हर मनुष्य संकट से बहुत दूर भागना चाहता है । आज मैं आपके सामने पांच अत्यंत मूल्यवान बातें बताना चाहती हूं जिससे आप संकट से बच सकते हैं या आप संकट से सावधान रह सकते हैं।

1. जिन व्यक्तियों के कारण आप संकट में पड़ते हैं उन व्यक्तियों से दूर रहें।

हमारे यहां आस-पास का माहौल, हमारे आसपास के लोग, हमारे जीवन पर अनेक प्रभाव डालते हैं । कुछ लोग हमारे मित्र भी होते हैं और हमारे शत्रु भी होते हैं । कुछ हमारे शुभचिंतक भी होते हैं तो कहीं ना कहीं हमारे अशुभ चिंतक भी होते हैं। हमारा वातावरण जैसा होता है हमारा जीवन भी उसके अनुसार ही होता है।

आपको यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि जिन व्यक्तियों या कारणों के कारण आप संकट में पडते हैं उन व्यक्तियों से जितनी कोशिश हो सके उतना दूर रहें क्योंकि जिनके कारण से आप संकट में पड़े हैं उनके कारण से ही आप भविष्य में भी संकट का शिकार हो सकते हैं ।

दूर रहने से मेरा तात्पर्य है यह नहीं है कि आप उनसे बातें करना बंद कर दें। अगर उनको आपकी सहायता की जरूरत है तो आप मदद ना करें बल्कि मेरे कहने का यह मतलब है कि आप उनके उतने ही निकट रहे हैं जितनी आवश्यकता हो ना ही अधिक और ना ही बहुत कम , ताकि आपको भविष्य में कभी अफसोस ना रह जाए कि आपने कभी भी उनकी मदद नहीं की।

2. जो व्यक्ति आपको संकट के समय धोखा दे दे उन पर निर्भर मत रहिए।

एक मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा डर होता है संकट ।एक मनुष्य को सबसे ज्यादा दुख तक पहुंचता है जब उसका सबसे प्रिय व्यक्ति उसको उस के सबसे बड़े डर के समय उसका साथ छोड़ दे , उसको धोखा दे दे । उस समय आपका हृदय कांप उठता है। उस समय आपका दिमाग सुन्य हो जाता है। इसलिए यह ध्यान में रखना जरूरी है कि आप उस व्यक्ति पर कभी भी निर्भर ना रहे जो व्यक्ति आपको मुसीबत के समय धोखा दे दे।

लेकिन अब सवाल यह आता है कि हम यह कैसे पहचाने कि कौन हमारा साथ देगा और कौन धोखा देगा। हमें अपनी तरफ से पूरी कोशिश करनी चाहिए कि हमें दूसरों पर पूर्ण रूप से निर्भर ना रहे। हमें आत्मनिर्भर बनना चाहिए। हमें खुद पर भरोसा करना चाहिए। हमें स्वावलंबी बनना चाहिए।

3. जो व्यक्ति आपको संकट के समय छोड़कर ना जाए उसे अपने से दूर कभी भी न जाने दे।

हमारे जीवन काल में कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो हमारा साथ कभी भी किसी भी परिस्थिति में नहीं छोड़ते हैं। चाहे दुख हो या सुख, चाहे कितनी बड़ी मुसीबत क्यों ना आ जाए , वह आपका साथ कभी नहीं छोड़ते। ऐसे लोग अधिक मूल्यवान होते हैं या कहा जाए तो यह अमूल्य होते हैं। इनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। जैसे उदाहरण- मम्मी-पापा। आपने अक्सर देखा होगा कि बचपन में जब कोई बार-बार गिरता है तो मम्मी पापा बार-बार बच्चे को उठाते हैं। उसे सहारा देते हैं ताकि वह उठ पाए, चल पाए और दौड़ पाए। हमारे जीवन में भी कुछ लोग ऐसे होते हैं जो हमें गिरने से बचाते हैं ।अगर गिर भी जाए तो हमारा सहारा बने रहते हैं और ऐसे व्यक्तियों को हमें कभी भी खोना नहीं चाहिए।

4. हमेशा खुद पर भरोसा रखें।

दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं है जो नामुमकिन हो बस फर्क इतना होता है कि हम किस तरीके से परिस्थितियों को देखते हैं। अगर हमारे दिमाग में यह बैठ जाए या हम यह मान ले कि हम से कुछ नहीं हो सकता या हम किसी भी काम को सही तरीके से नहीं कर सकते तो दूसरा व्यक्ति कितना भी आपको प्रेरणा दें, कितना भी आप को प्रोत्साहित करें,  आप वह काम नहीं कर पाएंगे और यदि आपके दिमाग में जिद है कि आप यह काम आप कर सकते हैं तो अगर पूरी दुनिया भी आपको रोके तो आप वह काम कर लेंगे । इसका मुख्य कारण है आपका अपने ऊपर भरोसा, आपका अपने ऊपर आत्मविश्वास ।

खुद पर निर्भर रहना खुद से प्यार करना अहंकार नहीं कहलाता बल्कि यह सारी आदतें आपको और आगे ले जाते हैं । यह सारी आदतें आपको किसी भी परिस्थितियों से लड़ने में सहारा देती हैं। भले ही दुनिया इसे अहंकार कहे परंतु यह सारी आदतें आपको आपके सफलता की ओर ले जाती हैं। खुद पर भरोसा रखना कोई बुरी आदत नहीं है बल्कि यह आपको और काबिल बनाती हैं ।भरोसा एक ऐसी ताकत है जो आपसे नामुमकिन भी करवा देती है इसलिए हमेशा खुद पर भरोसा रखें।

खुद पर भरोसा रखने से बड़ी से बड़ी संकट से लड़ने का भी साहस हमें मिलता है। हमें अपने आप से प्रेरणा मिलती हैं कि हम वह संकट से लड़ सकते हैं। हमें किसी और के प्रोत्साहन की जरूरत नहीं पड़ती है। हम स्वयं ही संकट से लड़ने के काबिल हो सकते हैं।

5. संकट के उत्कर्ष के बारे में सोचें।

अगर आप कोई रेसिपी बना रहे हैं और अगर आपको पता हो कि उस रेसिपी में क्या-क्या सब्जी, मसाले चाहिए तो हमको उस रेसिपी को बनाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। उसी प्रकार जब भी कोई संकट आपके जीवन में आए तब आपको यह ध्यान में रखना है कि जो भी परेशानी आपके जीवन में आई है वह परेशानी उत्पन्न कैसे हुई है क्योंकि परेशानियों के उत्पन्न होने में ही उसका समाधान छुपा होता है।

जब आप पहली बार गलती करते हो तो उसे नादानी कहते हैं क्योंकि उस वक्त आपको उस गलती के बारे में नहीं पता होता लेकिन जब आप उस गलती को बार-बार दोहराते हो तो वह लापरवाही कहलाते हैं । क्योंकि वह गलती के बारे में आपको पहले से अनुभव है इसलिए ज्यादा से ज्यादा कोशिश करें कि आप गलतियां ना दोहराएं क्योंकि हमारे जीवन में ज्यादा तर परेशानियां हमारी गलतियों से ही पैदा होती है।

 निष्कर्ष :-

संकट वह स्थिति होती हैं जिसमें हमें अपने और पराए का फर्क पता चलता है ।संकट समय के आधार पर आता है ।अगर बुरा समय हो तो इंसान चारों तरफ से संकट से घिरा रहता है और अगर अच्छा समय हो तो इंसान उस संकट को पार कर जाता है । लेकिन कभी भी संकट के समय हिम्मत ना हारे।हमेशा याद रखें कि बुरे वक्त के बाद ही अच्छा वक्त आता है। सुख और दुख एक ही नदी के दो किनारे होते हैं। हमेशा यह याद रखना चाहिए कि सवेरा तभी होता है जब रात बहुत ज्यादा काली होती है। अगर आज आपके जीवन में बहुत सारी कठिनाइयां है, बहुत सारी परेशानियां हैं और आप संकट से चारों तरफ से गिरे हुए हैं इसका मतलब यह नहीं है कि आप जीवन भर संकट से घिरे ही रहेंगे। इसलिए हमेशा यह कोशिश करें कि आप जीवन में सदैव खुश रहें , प्रसन्न रहें और दूसरों को भी प्रसन्न रखें।

धन्यवाद

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author