चाय का इतिहास तथा उनके फायदों और नुकसान

इतिहास  :

    चाय एक लोकप्रिय पेय है। यह चाय के पौधों की पत्तियों से बनता है।चाय की शुरुआत पूर्वी एशिया से हुई थी, लेकिन आज विभिन्न प्रकार की चाय दुनियाभर के लोगों की फेवरेट ड्रिंक बन चुकी है। हममें से बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिनके लिए चाय नियमित दिनचर्या का हिस्सा है। अधिकांश लोगों में पाया जाता है कि वे चाय के साथ रस्क, बिस्किट और नककीन जैसे स्नैक्स का सेवन जरूर करते हैं।

     भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने १८३४में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद १८३५ में असम में चाय के बाग़ लगाए गए।

चाय को हिंदी में क्या कहते है ?

     अब जाहिर सी बात है कि जब लोग इन बातों को नोटिस नहीं करते। तो उन्हें इसकी हिंदी कहा से पता होगी। वैसे हम आपको बता दे कि आमतौर पर हम चाय को चाय ही कहते है, लेकिन वो लोग जो ज्यादा शुद्ध हिंदी बोलते है, वो लोग इसे दुग्ध जल मिश्रित शर्करा युक्त पर्वतीय बूटी कहते है। यानि दूध और पानी को मिला कर थोड़ी सी चीनी और चायपत्ती में लिपटी हुई वस्तु को असल में हम चाय कहते है। बहरहाल इसे शुद्ध हिंदी में बोलना जरा सा मुश्किल है, लेकिन नामुमकिन नहीं है।

कितने तरह की होती है चाय ?                                                                                                     

    यूं तो बहुत सारे ड्रिंक्स को चाय का नाम दिया गया है जिनमें से कई में चाय की पत्तियां मौजूद नहीं होती। लेकिन कुछ लोग सिर्फ ग्रीन, ब्लैक, व्हाइट, ओलॉन्ग और पु-एरह (Pu-erh) टी को ही असल चाय मानते हैं। ये सभी चाय कैमेलिया साइनेन्सिस प्लांट (चाय का पौधा) से तैयार की जाती हैं। इसे मूल रूप से भारत और चीन में उगाया जाता है।                                                                                                                                                                                                                                                                     

1.ग्रीन टी

2.ओलॉन्ग टी

3.व्हाइट टी

4.ब्लैक टी

5.हर्बल टी

    1.ग्रीन टी : स्टीम की हुई चाय की पत्तियों से ग्रीन टी तैयार की जाती है। ग्रीन टी में मौजूद यह कंपाउंड इन्फ्लेमेशन रोकने, हार्ट और ब्रेन की बीमारियों के खतरों को कम करने में मदद करता है। साथ ही वजन कम करने में भी लाभ पहुंचाता है। ग्रीन टी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स ब्लैडर, ब्रेस्ट, लंग, स्टमक (पेट), पैंक्रियाटिक कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं। ग्रीन टी अल्ज़ाइमर और पार्किंसंस बीमारियों के खतरों को भी कम करता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित करता है। 

2.ओलॉन्ग टी :चाय की पत्तियों, कोंपलों और तनों को मिलाकर ओलॉन्ग टी बनाई जाती है। दुनिया में कुल इस्तेमाल की जाने वाली चाय में ओलॉन्ग टी का हिस्सा सिर्फ 2 फीसदी है। बावजूद इसके ओलॉन्ग टी से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। अगर ओलॉन्ग टी का सही मात्रा में सेवन किया जाए तो यह मेटाबॉलिज्म बेहतर करने और स्ट्रेस कम करने में मदद करता है। ओलॉन्ग टी बैड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम भी कर सकता है। वजन कम करने, कैंसर के खतरे घटाने और ब्रेन फंक्शन बेहतर करने में भी ओलॉन्ग टी मदद करता है। ओलॉन्ग टी की एक क्वालिटी वुयी (Wuyi) टी होती है जिसे वेट लॉस सप्लीमेंट के तौर पर बेचा जाता है। 

3.व्हाइट टी :व्हाइट टी सबसे कम प्रोसेस की हुई चाय होती है। एक स्टडी में ये सामने आया था कि अन्य चाय के मुकाबले व्हाइट टी में सबसे अधिक एंटी कैंसर गुण मौजूद होते हैं। आमतौर पर वजन घटाने के लिए ग्रीन टी का सेवन किया जाता है, लेकिन फैट कम करने के लिए व्हाइट टी भी उतना ही असरदार होती है। ग्रीन और व्हाइट, दोनों चाय में कैफीन और EGCG कंपाउंड की मात्रा लगभग बराबर होती है। एक अन्य स्टडी के मुताबिक, व्हाइट टी बॉडी का मेटाबॉलिज़्म बढ़ाने में भी मदद करता है और इसमें स्किन एजिंग कम करने के गुण भी मौजूद होते हैं।

4.ब्लैक टी : चाय की फर्मेंटेड पत्तियों से ब्लैक टी तैयार की जाती है। फ्लेवर्ड टी में भी इसका इस्तेमाल होता है और इसमें कैफीन की मात्रा सबसे अधिक होती है। कुछ स्टडीज से ये पता चला है कि सिगरेट स्मोकिंग से फेफड़े को होने वाले नुकसान को कम करने में ब्लैक टी मददगार होती है। स्ट्रोक के खतरों को भी ब्लैक टी कम करती है। कम कैफीन, कम कैलोरी और बिना आर्टिफिशियल स्वीटनर वाले ड्रिंक के रूप में ब्लैक टी एक बेहतर विकल्प समझा जाता है। ब्लैक टी में गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाने, गट हेल्थ बेहतर करने और ब्लड प्रेशर घटाने के गुण पाए जाते हैं।

5.हर्बल टी : हर्ब, फ्रूट, सीड्स और रूट्स को गर्म पानी में डालकर तैयार किए गए ड्रिंक को हर्बल टी कहा जाता है। हर्बल टी में ग्रीन, व्हाइट, ब्लैक और ओलॉन्ग टी के मुकाबले एंटीऑक्सीडेंट्स की मात्रा कम होती है। जिंजर, जैस्मिन, मिंट, हिबिस्कस हर्बल टी में शामिल होते हैं। कुछ स्टडीज में ऐसे संकेत मिले हैं हर्बल टी वजन कम करने, जुकाम से बचाने और अच्छी नींद में मदद कर सकती है।

 

    चाय का उत्पादन विश्व में सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है तथा सबसे ज्यादा निर्यातक देश श्रीलंका है। यहाँ तक की श्रीलंका की राष्ट्रीय आय भी चाय के निर्यात से चलती है ।

 

चाय के नुकसान : ज्यादातर चाय को हेल्थ के लिए अच्छा समझा जाता है। लेकिन एक दिन में 3-4 कप से अधिक चाय पीने पर कई साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते हैं। आइए जानते हैं चाय के प्रमुख साइड इफेक्ट्स -

1.अच्छी नींद नहीं आती | 

2. एंग्जाइटी और स्ट्रेस बढ़ा सकती है चाय |

3.आयरन अब्जॉर्प्शन घटाती है |

4. इसकी लत लग जाती है तो छूटती नहीं |

5.सीने में जलन पैदा कर सकती है चाय |

6.दिल की सेहत के लिए नुकसानदायक है |

 ऐसा इसलिए किया जाना चाहिए ताकि एसिडिटी को खुद से दूर रख सकें। लेकिन अगर आप फिट हैं इसके बावजूद आपको बिस्किट या रस्क लेने की जरूरत नहीं है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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Comments
Saini - Sep 7, 2021, 4:31 AM - Add Reply

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