गुढ़ प्र्श्नो के अनोखे जवाब

 

प्रश्न(१): क्या चमत्कार होते है?

उत्तर : हा, चमत्कार होते है। हमारा भौतिक शरीर हमारा पांचवा स्तर है। इसके साथ हमारा पराभौतिक और अलौकिक स्तर जुड़ा हुआ है जो हमारी आत्मा और परमात्मा के प्रति श्रद्धा और आस्था के बल को दर्शाता है। और उसी श्रद्धा, आस्था और विश्वास के प्रभाव से हमारी चेतना के स्तरों में जो सकारात्मक बदलाव होते है उसे चमत्कार कहा जाता है। इनसान अपनी महेनत, दृढ़ निश्चय , अपार और असीमित संभावना और आशा के बल पर भौतिक शरीर द्वारा भी चमत्कार का सृजन कर सकता है। सीधी बात करु तो जो किसी की भी सोच के लिए असंभव हो और वह यदि सम्भव हो जाए तो उसे चमत्कार कहा जाएगा। हम जादूगरी को चमत्कार के साथ जोडते है। परंतु जादूगरी एक तकनीकी कला है। चमत्कार को भरम भी कहा जा सकता है। यदि कीसी एक व्यक्ति को आत्मा , माताजी ,साईं बाबा या कोई भी दिखाई देता है और किसी और को यह नही दिखाई देता तो इसका अर्थ है की उस व्यक्ति के पराभौतिक स्तर  श्रद्धा से प्रभावित है। वह साईं, माताजी की आकृति उनकी बातें स्वयं उस व्यक्ति के चैतन्य की श्रद्धा से उत्पन्न दर्शन व ज्ञान है जो उसके ईश्वर की चेतना से आस्था के मध्यम से जुड़ी हुई है। और वह इसे साक्षात्कार कहता है और उसके माध्यम से लोगो की सहायता करता है। यह उसके अन्दर की मदद करने वाली भावना है जिसे करुणा कहते है और उस करूणा के कारण वह साईं या माताजी बन जाता है। वह श्रद्धा ही है।

प्रश्न:(२) क्या दिव्यशक्ति होती है?

भारत एक अन्तर्यामी संभावनाओं में विश्वास करने वाला देश है। इस देश मे यंत्र, मंत्र, तंत्र से उपासना, साधना एवं भक्ति के बल से बहुत सारे चमत्कार होते है जो व्यक्तिगत ,पारिवारिक एवं सामाजिक धर्म, मान्यता ,कथा , विधि और रुढिगत मान्यताओं पर आधारित है। दिव्य शक्ति का होना यह व्यक्तिगत अनुभव की बात है। और इसके होने या ना होने की बात भी अनुभव से ही पता चल सकती है। पर इतना अवश्य है कि दिव्य शक्ति व्यक्ति की मानसिक, चैतसिक , भावनात्मक और भौतिक क्षमताओ पर भ्रामक और असरदार  सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

प्रश्न :३ क्या भूत प्रेत और विकृत शक्तियां होती है? क्या नाग और कुलदेवी कुलदेवता का क्रोध जीवन मे समस्या ला सकता है?

    जैसे आज हमारे युग मे कम्प्यूटर, गेस गीज़र, एयर कंडीशनर यह सब उपकरण है जो हमे भौतिक सुख प्रदान करते है और हमारी जीवन यात्रा को अनुकूलता प्रदान करते है वैसे ही प्राचीन समय मे पूजा, पाठ, यज्ञ, हवन होते थे जो शब्द और नाद से उत्पन्न बीज मंत्रो के उचित उच्चारण से हमारी ऊर्जा को सकारात्मक बनाते थे। जैसे कम्प्यूटर में बटन दबाकर बहूत सारा काम एक साथ होता है वैसे ही अपनी आंतरिक समृद्धि के लिए और अपने आसपास के वातावरण को पवित्र बनाने के लिए देवी देवता ओ की पूजा की जाती थी। अब उस समय की मान्यताओ के अनुसार यदि हम पूजा पाठ के रीति रिवाजों और नियमो का पालन करने से चूक गए या कुछ गलती हो गई तो यह सकारात्मक ऊर्जा नकारात्मक स्वरूप धारण करती है ऐसा वर्णन है। जिसे भूत, प्रेत भी कहा गया है। जैसे विज्ञान का विकृत रूप परमाणु बम है वैसे धर्म से जुड़ी ताकतों के दुरुपयोग को ब्रम्हास्त्र कहा गया है। नाग ओर कुलदेवी का क्रोध  भय फैलाने और पूजा पाठ कर के उनके अधीन रखने का जरिया है। आज के समय मे यह सब भरम और भय फैला कर सब को लूटा जा रहा है। कुछ कुछ जगह मानसिक रोगों को भूत प्रेत बाधा का नाम दिया जा रहा है। यह विकृत शक्ति या ऊर्जा कहा से आती है यह तो अनुभव से पता चलता है। परंतु यह एक भरम के अलावा कुछ भी नही । इसका प्रभाव हमारे मस्तिष्क और काम ऊर्जा पर रहता है। इसके कई लक्षण है। यह हमारे पराभौतिक स्तरों को परेशान कर के भय, शोक, और विकार उत्पन्न करती है और हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव दिखती है। पर वास्तव में जो लोग निडर और साहसी होते है और जिन का मनोबल मजबूत होता है वह इसका शिकार होकर भी इसका सच जान लेते है।

              यह एक छलावे , भरम के अलावा कुछ भी हो तो यह व्यक्तिगत अनुभव की बात है। परन्तु प्राचीन विज्ञान जिसे हम धर्म कहते है उसके दुरपयोग को नकारा नही जा सकता। 

 

प्रश्न (४): क्या वशीकरण जैसा कुछ होता है?

उतर :  तंत्र का अर्थ है प्रणाली या (system) और जब कोई ताकतवर व्यक्ति system को control करता है तो वह जो भी order करें , system उसे follow करता है। तांत्रिक, बाबा, वशीकरण करने वाले लोग influencers होते है , वह जानते है कि लोगो के मन के साथ कैसे खेला जाता है, उनकी इच्छाओं को कैसे टटोला जाता है। और यह विद्या एक प्राचीन विद्या है ,जो मानसिक रोगों को ठीक करने के लिए उपयोगी थी । परंतु काल चक्र प्रवर्तन के बाद इसका विकृत उपयोग होने लगा और आज वह केवल एक पैसे कमाने का जरिया है। आज यह प्रमाणित हो चुका है कि वशीकरण मात्र एक ढोंग है जिससे व्यक्ति बेवकूफ बनते है। आज का एक जागरूक व्यक्ति अगर इन सब चक्कर मे पड़ जाए तो उसे केवल नुकसान ही प्राप्त होगा और शायद औऱ लोग भी उसके कारण पीड़ा पाएंगे। फायदा केवल बाबाजी या माताजी का होगा।

              कृपया अपनी system को खुद control करना सीखिए और influence के प्रपंच से बचे, चाहे वह टीवी का विज्ञापन हो, या बाबाजी का चमत्कार☺️☺️☺️☺️।

प्रश्न (५): मंत्र ,तंत्र और यंत्र कैसे काम करता है?

उत्तर : जैसे मोबाइल में एप्लिकेशन बनाते वक्त कोडिंग की मदद ली जाती है वैसे मन मे किसी भी संकल्प को बल देने के लिए मंत्र की सहायता ली जाती है। मंत्र का अर्थ ही है Coding.. (which is related to the Mental determination for Application of particular task or desire fulfilment.) धार्मिक विधि,विधान में मंत्र का सबसे शुद्ध स्वरूप ॐ, ओंकार, नवकार, आमीन है जो धर्म के प्रति हमारा संकल्प दृढ़ करता है।

                           जैसे मोबाइल में Android होता है जो सारे Applications को Regulate ,run और update करता है वैसे ही तंत्र हमारे निश्चित किये गए कार्यो को गति, व्यवस्था और प्रगति देता है। हमारे शरीर मे अस्थि तंत्र ,पाचनतंत्र, श्वषन तंत्र जैसे तंत्र होते है जो मिलकर हमारे शरीर को गति देते है। धार्मिक विधि विधान और पद्धति ओ में तंत्र का सबसे शुद्ध स्वरूप ध्यान है। किसी भी प्रकार का ध्यान तंत्र है।

                           ध्यान पद्धति के माध्यम से हम ईश्वर के साथ एक होकर प्रगति पथ पर चलते है। ध्यान और अध्यात्म बिलकुल अलग है। अध्यात्म (spirituality) का मंत्र,तंत्र,यंत्र,ध्यान,संकल्प या प्रार्थना से कोई संबंध नही है। अध्यात्म अल्लाह, ईश्वर,गुरु,बुद्ध ,महावीर, कृष्ण, साई ,ॐ,शिव,राम और नवकार से बिल्कुल अलग है।

                           जैसे मोबाइल की outer body होती है ,कम्प्यूटर की स्क्रीन और cpu होता है ,जिसे हम hardware Machine कहते है वैसे ही धार्मिक विधि विधानों में लक्ष्मी यंत्र होते है, सरस्वती यंत्र होते है, आगम यंत्र होते है, गणेश यंत्र होते है। सादी भाषा मे लक्ष्मी यंत्र का अर्थ है, लक्ष्मी (money) का Machine. यंत्र=  मंत्र +तंत्र

                           मंत्र, और तंत्र के combination से यंत्र बनता है । और मंत्र ,तंत्र और यंत्र के combination से भगवान की मूर्ति, और मंदिर बनते है। जितने भी मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा,देरासर है वह मंत्र, यंत्र औऱ तंत्र के सहयोग से निर्मित हुए है।

 

प्रश्न (६): नजर लगना क्या होता है?

                हिंदी भाषा मे दो शब्द है एक नियत और दूसरा नियति। जब सही नियत से सही काम होते है तो सही नियति का निर्माण होता है। 

                आँख हमारे शरीर का सबसे सुंदर अंग है। उसके साथ हम इस रंगीन दुनिया को देख सकते है। सबको महेंगी, सुंदर और मनमोहक चीज़े पसंद है। इसे देखते ही आंखे चकाचौंध हो जाती है।

 पर ऐसी चकाचौंध वाली आँखे यदि मन मे ईर्ष्या और घृणा से भरी हो तो नकारात्मक संवेदनाओ के कंपन को पैदा करती है। और उस व्यक्ति की Aura field से निकले नकारात्मक कंपन उस सुंदर चीज़ के Aura field को प्रभावित करते है। 

                     छोटे बच्चे बहोत ही ज्यादा निष्कपट, सुंदर और भोले होते है। और ऐसे नकारात्मक कंपन मन मे रखने वाले व्यक्ति अच्छी या बुरी तरह से छोटे बच्चो की Aura field को प्रभावित करते है। और परिणाम स्वरूप बच्चे बीमार और कमजोर हो जाते है ऐसा हमने अनुभव किया है। 

                     कई बार  वयस्क भी अपने घर मे ,कार्यस्थल पर अपने अच्छे, कर्मठ ,निष्कपट और ईमानदार स्वभाव और व्यवहार के कारण दुसरो के नकारात्मक कंपन के शिकार होते है। अब वह नकारात्मक कंपन यदि उस व्यक्ति की Aura field से ज्यादा शक्तिशाली हो तो उसे नज़र लग सकती है। 

                     नज़र दोष के लक्षण

                     ******

*  अकारण कमजोरी होना।

* किसी भी कारण के बिना मुखार होना।

* सामान्य स्थिति में भी मन का चिंता में रहना।

* असामान्य रूप से ज्यादा पसीना होना।

* आंखे और सिर का अकारण भारी और दर्द रहना।

* भूख कम लगना।

                          नज़र दोष के उपाय

                          ******

 * यदी आपके स्वजन नजरदोष से पीड़ित हो, तो आप अपने right hand की अंजुली में थोड़ा सा पानी ले ,उसमे थोड़ा सा ,चुटकी भर नमक ले। अपनी मुट्ठी को बंद कर ले और पीड़ित व्यक्ति के सिर से पेर तक 7 बार गुमाए। ऐसा करने से यदि नज़र दोष होगा तो आपकी हथेली भारी हो जाएगी। और वह करके आप अपने हाथो को अच्छी तरह से धो ले। पीड़ित व्यक्ति को एक ही बार मे फायदा होगा।यदी तकलीफ ज्यादा हो तो,  इसे लगातार तीन दिन तक ही करे । नमक और पानी से Auric field cleansing होता है।

 

 * 17 बड़े मयूरपंख को एक साथ बांध ले। उसके बाद पीड़ित व्यक्ति के सिर से ले कर पांव तक 7 से 9 बार गुमाने से भी Aura field cleansing होता है।

 * लोबान, और  कपूर के धूप से भी इसी तरह Auric field cleansing होता है और positive vibes बढती है।

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author

My name is yash shah i am an Author & numerologist by proffession. i am here for sharing blissfull knowladge for Education and Awareness purpose.