वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समा प्रभा||
निर्विघ्नं कुर्मे देव, सर्व्कार्येशु सर्वदा |
1) चौसठ कलाओ के स्वामी-
ये तो शायद हर किसी को पता होगा की गणपति जी चौसठ कलाओ के स्वामी है। हम आज जितनी कलाए जानते है वो गणपति जी के मन में बसे हुए है चाहे वो अभियांत्रिकी अर्थात इंजीनियरिंग हो या पाक अर्थात रसोई विज्ञान हो, चाहे विमान का ज्ञान हो चाहे घर का ज्ञान हो, अस्त्र-शस्त्र को बनाने का विज्ञान या उन्हें चलाने की विद्या ही क्यों न हो। गणपति जी चालाकी और चतुराई में सभी से बढ़कर है।
2) माता-पिता की आज्ञाओ का पालन करने वाले-
गणपति जी कितने चालक और चतुर थे ये तो सभी जानते है की उन्होंने अपनी चालाकी के दम पर कितने युद्धों को जीता है। परन्तु वो जितने चालाक थे उतने ही अपने माता-पिता से प्रेम करने वाले थे। वे उनकी हर आज्ञाओ का अक्षर सह पालन करने वालो में से थे। वैसे तो आप जानते ही है गणेश जी का गज मस्तक उनको जन्म से उनको प्राप्त नही था वे भी एक सामान्य बालक की तरह ही थे जब एक दिन उनकी माता पार्वती ने उन्हें अपनी रक्षा में बैठाया तब उनके पिता ने भूल वश उनका शीश धड से अलग कर दिया उनको जीवन दान देने के लिए प्रभु शिव ने उन्हें गज मस्तक लगा दिया था। यह उनकी माता के प्रेम में हुआ था।
3) हर परिस्थिति में खुश रहने वाले-
भगवान गणपति जी के जीवन से जो सबसे जादा जरुरी और बड़ी सिख मिलती है वह ये है की जीवन में हमेशा खुश रहने की कोशिस करे चाहे कितनी भी बड़ी मुशीबत समस्या ही क्यों न हो अगर एक बार आपका मन प्रसन्न रहने लग जाय तो आप हर मुश्किल का हल आसानी से निकाल पाओगे। गणेश जी को हमेशा खुश रहने वाले देवता के तौर पर माना जाता है जो जब भी आते है तो भक्तो के दुख को हर लेने के बावजूद भी हमेशा खुशिया ही देते है। वैसे तो सिर्फ खुश रहने मात्र से ही बड़े से बड़ा मुश्किल वक्त भी आसानी से कट जाता है। तो हमेशा जीवन में खुश रहे और दुसरो को भी रखे।
4) धैर्य बनाये रखने वाले प्रभु-
यह गणेश जी के बड़े महत्वपूर्ण गुणों में से एक है जो आज के युग में सभी को अपनाना ही चाहिए। जैसे गणेश जी हर मुश्किल को धर्य पूर्वक उसका समाधान निकाल लेते है जिसका कई उदाहरण आप जानते ही होंगे मगर इस समय मेरे मन में एक ही उदाहरण है जो मैं आप सभी के साथ बाटना चाहता हु। एक बार जब गणेश जी और उनके भाई कार्तिकेय के बिच शर्त लगी की उन दोनों में सबसे ताकतवर कौन है तब दोनों ने विश्व भ्रमण से यह फैसला करने को तय किया जिसमे शर्त यह थी की कौन सबसे पहले दुनिया के तीन चक्कर लगता है वह विजेता होगा। तो कार्तिकेय जी तो अपने मोर पर बैठ कर निकल पड़े मगर गणेश जी के वाहन मूषक राज में इतनी क्षमता नही थी ये बात गणेश जी जानते थे तो उन्होंने धैर्य पूर्वक इसका उपाय निकला और अपने भाई से पहले ही अपने माता-पिता के चक्कर लगा लिए चुकी एक संतान के लिए तो उसके माता-पिता ही उसका संसार होता है तो इस तरह गणेश जी जीत गये।
5) शांतचित्त मन के-
गणेश जी शांतचित्त के मन के थे यह उनका एक और महत्वपूर्ण गुण है जो मनुष्यों को उनसे सीखना चाहिए। शांतचित्त मन में ही आगे बढ़ने के विचार पैदा होते है। शांति से सोचे तो हम इस दुनिया के हर मुश्किल का हल निकाल सकते है और इतना ही नही शांतचित्त मन से हम दुनिया में नए आविष्कार भी करने में शक्षम हो सकते है। और वैसे भी कोई भी सही निर्णय सिर्फ शांत मन से ही लय जा सकता है। ग़ुस्से, जलन, मोह आदि में लिया गया निर्णय हमेशा व्यक्ति को ले डूबता है। इसलिए सदैव मन को शांत ही रखना चाहिए।
6) बड़े-छोटे में भेद न करने वाले-
गणेश जी का यह गुण तो मैं भी अपने जीवन में उअतार कर रखता हु। जैसे गणेश जी अपने मूषक से जितना प्यार करते थे वह उतना ही प्यार नंदी से भी करते थे तथा उन्होंने कभी भी किसी का अनादर नही किया जो भी किया है वह विश्व की रक्षा में किया है। उनका यह गुण सन्देश देता है की हमारी जिंदगी में आने वाले हर व्यक्ति का बराबर सम्मान करना चाहिए। उनके बिच किसी भी तरह का बड़ा या छोटे होने का भेद नही करना चाहिए।
7) विवेकशील प्रवृत्ति वाले-
यह भी गणेश जी का एक महत्वपूर्ण गुण है जो उनको बाकि देवो से अलग करता है। अगर आपको जीवन में सफलता हासिल करने के लिए कौन सा तरीका सही और कौन सा तरीका गलत है यह तो आप तभी जान पाओगे जब आप संयम से विवेक का काम लेंगे। यह आपके लिए बहुत जरुरी है की आपको पता हो की आप क्या कर रहे हो और कैसे कर रहे हो। वरना हो सकता है की आप जो कार्य कर रहे हो वाही आपके लिए मुशीबत बन जाये। इसलिए सदैव विवेक से काम ले।
8) गणेश जी के शरीर के अंग देते है अलग-अलग सन्देश-
गणेश जी के गुण तो आपको अचंभित करते ही है मगर क्या आप जानते है की गणेश जी के शरीर के अंग भी कई सरे सन्देश देते है जो हर व्यक्ति को अपने जीवन में अपनाने ही चाहिए, जैसे की गणेश जी के बड़े-बड़े कान हमें ये सन्देश देते है की जादा सुने ठीक इसी प्रकार उनका छोटा सा मुह यह सन्देश देता है की जितना हो सके कम बोले और जरुरत पडने पर ही बोले। गणेश जी का बड़ा मस्तक बड़ी सोच रखने का सन्देश देता है। गणेश जी की छोटी-छोटी आंखे किसी भी परिस्थिति या वस्तु का सूक्ष्म चिंतन व मूल्यांकन करने का सन्देश देती है। बड़े पेट का मतलब है की चाहे अच्छी-बुरी कोई भी बात हो उसे पचा लेने की क्षमता जिससे की जीवन आसन हो जाता है।
इस दुनिया के हर व्यक्ति को गणेश जी का कम से कम एक गुण तो अपनाना ही चाहिए जो आपके जीवन को बदल सकता है। अगर आप अपने जीवन से संतुस्ठ नही है और जीवन में कुछ अलग करके अपने जीवन को सुधारना चाहते है तो कम से कम एक बार ये सरे गुण खुद में उतार कर देखिये और अपने जीवन के उन परिस्थितियों को अपने मुताबिक ढाल कर लीजिये। जीवन में खुद को हराना ही सबसे बड़ी जीत है और उस जीत की शुरुआत गणेश जी की आराधना से करे तो पक्का जीत ही आपको मिलेगी। अपने हर काम को अलग नजरये से देखने की कोशिस करो, अपने माता-पिता की सलह लो, दोस्तों से बात करो, अपने गुरुजनों का परामर्श लो तो हो सकता है की आपको कोई नया रास्ता मिल जाये। वैसे भी इस दुनिया में हारने को सिर्फ आपका शरीर है मगर जितने के लिए पूरी दुनिया आपका इन्तजार कर रही है। तो बस अब क्या सोच रहे हो अगर दुनिया जितनी है तो कुछ ऐसा सोचो जो आपके जीवन में रंग भर दे। गणेश जी जीवन के विघ्न को हरने वाले देव है हो सकता है वह आपकी कामना पूरी कर दे।
गणेश जी देवो के देव है जो हर किसी के जीवन को बदलने की शक्ति रखते है। वे रिद्धि-सिद्धि के स्वामी है तथा शुभ और लाभ के पिता है वे जहा होंगे वही पर उनका पूरा परिवार रहेगा। वैसे तो हर किसी का जीवन उनके कर्मो पर निर्भर करता है जो वो बोते है वाही काटते है जीवन में उपर और निचे जाना सब कर्मो का काम होता है मगर आप अगर उसमे गणेश जी के गुणों को खुद में शामिल करके काम करे तो हो सकता है आप हमेशा शुभ और लाभ ही पाए।
Namaskaar dosto🙂🙂🙂🙂
Ye to dharmik post h bhai..
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