कोलोरेक्टल कैंसर क्या है ? इलाज , पुष्टि ,कारण क्या है ? क्या ये आपको भी हो सकता है ! टॉप 5 फूड

कोलोरेक्टल कैंसर जाने क्या है - 

कोलन कैंसर को कोलो-रेक्टल कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। 

बड़ी आंत के दो भाग होते हैं: ऊपरी भाग बृहदान्त्र और निचला भाग गुदा या मलाशय होता है। बड़ी आंत में कैंसर दोनों क्षेत्रों में फैल सकता है, जो इसे कोलो-रेक्टल कैंसर का नाम देता है। भोजन के पाचन के दौरान कोलन पानी और पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। दूसरी ओर, मलाशय शरीर से अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने का कार्य करता है। कोलन के चार हिस्से होते हैं और इनमें से किसी भी हिस्से में कैंसर विकसित होना शुरू हो सकता है।

कोलन में कैंसर की वृद्धि आमतौर पर पॉलीप के रूप में शुरू होती है। एक पॉलीप एक छोटा ऊतक विकास है। यह पॉलीप बृहदान्त्र में विकसित हो जाएगा और यदि अनुपचारित छोड़ दिया जाए तो यह समय के साथ कैंसर में विकसित हो सकता है। एक विशिष्ट प्रकार का पॉलीप, जिसे एडेनोमाकैन( adenomacan )कहा जाता है, कोलन कैंसर का प्राथमिक बीज है। औसतन, एक पॉलीप को लगभग .5 इंच के diameter पहुंचने में 5-10 साल लगते हैं। इसे कैंसर में विकसित होने में 5-10 साल और लगते हैं।

 

शुक्र है, किसी भी कैंसर के विकास या पॉलीप्स का सफलतापूर्वक पता लगाने के लिए कई वैज्ञानिक तकनीकें उपलब्ध हैं। कोलन कैंसर के निदान और उपचार में उपयोग की जाने वाली कुछ सामान्य तकनीकें बेरियम एनीमा, सिग्मोइडोस्कोपी, कोलोनोस्कोपी और बायोप्सी हैं। इसके अलावा, रोगियों को मल में रक्त या अस्पष्टीकृत लोहे की कमी का पता लगाने के लिए जांच की जा सकती है ताकि पता लगाया जा सके कि कोई पॉलीप या कैंसर विकसित हो रहा है या नहीं।

कोलन कैंसर एक बड़ी मात्रा में बढ़ने वाली बीमारी है और इसके इलाज के लिए बहुत सारे शोध चल रहे हैं

कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण

1.मल त्याग की आदतों में परिवर्तन; लगातार दस्त, कब्जियत या यह महसूस करना कि पेट पूरी तरह से खाली नहीं है

2.लगातार कमजोरी या थकान महसूस करना और भूख न लगना

3.वजन कम होना

4.हीमोग्लोबिन में कमी (एनीमिया)

5.पेट में दर्द या बेचैनी

6.मल में लाल या काले रंग का खून का धब्बा

 

कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम कारक हैं:

1.वृद्धावस्था

2. पश्चिमी आहार (अत्यधिक वसायुक्त आहार, लाल मांस और प्रोसेस्ड मांस से भरपूर आहार; कम फाइबर वाला आहार)

3. कोलोरेक्टल पॉलीप्स का इतिहास (एडिनोमेटस पॉलीप, बड़े पॉलीप्स और अनेक पॉलीप्स)

कोलोरेक्टल कैंसर का पारिवारिक इतिहास (एक तिहाई कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों के परिवार के सदस्यों में यह बीमारी होती है)

4. कोलोरेक्टल कैंसर का पिछला इतिहास (यदि आपका पहले कोलोरेक्टल कैंसर के लिए इलाज हुआ है)

कोलन की सूजन आंत्र रोग (inflammatory bowel disease); अल्सरेटिव कोलाइटिस और क्रोहन (Crohn's ) रोग (कैंसर का खतरा अवधि और गंभीरता के साथ बढ़ जाता है)

5.शारीरिक निष्क्रियता

6.धूम्रपान और शराब का सेवन

7. मधुमेह (diabetes)

Diagnosis / पुष्टि

यह कैंसर पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक पाया जाता है जिस प्रकार इसके बढ़ने का खतरा अधिक है वैसे ही वक्त रहते इसका इलाज संभव है ! कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमे स्टेजेस के आधार पर खतरे का अनुमान लगाया जाता है , यदि व्यक्ति शुरुवाती स्टेज पर है तो इलाज ज्लदी संभव है ! कोलोरेक्टल कैंसर जो बड़ी आंत ओर मलाशय का कैंसर है इसकी डायग्नोसिस या पहचान / पुष्टि कोलोनोस्कोपी , बायोप्सी , CT scan , MRI ya PET test के द्वारा कि जाती है!

कोलोरेक्टल कैंसर के 4 चरण होते है जिसमे से 1 से 3 सीमित होता है और 4 चरण फैला होता है जिसमे अधिक खतरा होता है!

इलाज

कोलोरेक्टल कैंसर के इलाज मे सर्जरी को अधिक महत्व दिया जाता है tumour को नष्ट करने कीमोथेरेपी रेडियोथेरेपी और immunotherapy कराया जाता है तब सर्जरी की प्रक्रिया शुरू की जाती है जिसमे कैंसर के चरण के अनुसार प्रशिक्षण किया जाता है 

कोलोन कैंसर के लिए coloctomy की जाती है!

मलाशय कैंसर के लिए कीमोथेरेपी रेडियोथेरेपी के बाद सर्जरी करवाई जाती है!

कोलोरेक्टल कैंसर का पता स्क्रीनिंग के द्वारा लगाया जा सकता है! 

स्क्रीनिंग द्वारा उनमें बीमारियों का पता लगाया जा सकता है जो बाहरी तौर पर स्वस्थ है और जिन्हें बीमारी के कोई लक्षण नहीं हैं।

एक असामान्य कोशिका को कोलोरेक्टल कैंसर में विकसित होने में 10-15 साल लगते हैं। हम उन्हें एक पॉलीप के पहले चरण में निकाल सकते है और कैंसर को होने से रोक सकते हैं। अगर वे कैंसर में परिवर्तित होते भी हैं, तो हम उन्हें शुरूआत के चरण में पहचान सकते हैं, और बेहतर निजात सम्भव है।

स्क्रीनिंग केवल उन्हीं लोगो के लिए आवश्यक है जिन्हें कैंसर होने का खतरा है ! कैंसर के लिए स्क्रीनिंग परीक्षणों में कोलोनोस्कोपी, सीटी कॉलोनोग्राफी, सिग्मायोडोस्कोपी और मल परीक्षण शामिल हैं।

 

कोलोरेक्टल कैंसर के लिए किसे स्क्रीन करना चाहिए?

1. 45 वर्ष से अधिक वर्ष के लोगो के लिए  

2. परिवार में कोलोरेक्टल कैंसर का इतिहास रखने वाले लोगो को स्क्रीनिंग अवश्य करना चाहिए!

3.यदि आपको कोलोरेक्टल कैंसर पहले है चुका है !

4.यदि आप इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज (अल्सरेटिव कोलाइटिस या क्रोन्स रोग) से पीड़ित हैं

5. आपके परिवार में वंशानुगत कोलोरेक्टल कैंसर सिंड्रोम है!

 6. अगर आपको कैंसर के इलाज के लिए पेट (पेट) या पेल्विक क्षेत्र में रेडियोथेरेपी का इतिहास है

 

कोलोरेक्टल कैंसर होने का खतरा कैसे कम करें ?

 

कोलोरेक्टल कैंसर के जोखिम को हम बढ़ने से रोक सकते है यदि पहले चरण मे ही हम पता लगा ले तो इलाज जल्द ही शुरू हो सकता है ! लेकिन जिनका पहले ही कोलोरेक्टल कैंसर या उससे जुड़ा आनुवंशिक इतिहास हो तथा उम्र के साथ उत्पन्न इस कैंसर के खतरे को हम कुछ दैनिक जीवन में कार्य कर बदलाव ला सकते है तथा खुद को स्वस्थ रख सकते है!

कुछ दैनिक कार्यों से हम बदलाव कर सकते है ! तथा कैंसर के जोखिम को कम कर सकते हैं!

 

1. उम्र के साथ वजन को नियंत्रण में रखे बढ़ने से रोके!

2. हल्का फुल्का जैसा व्यायाम शरीर के अनुरूप आपको लगे दैनिक जीवन में अवश्य शामिल करे!

3 . आहार में रेशेदार फल तथा सब्जियों का सेवन करे , प्रोसेस्ड फूड के सेवन को नियंत्रण में रखे तथा इससे परहेज ही करे! 

4. धूम्रपान , तंबाकू , गुटके के सेवन से परहेज करें!

5. शराब का सेवन ना करे !

✨ 5 ऐसे खाद्य जो कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव में फायदेमंद है !

1. पालक - हरी रेशेदार पालक पेट की सफाई के लिए बोहोत अच्छा काम करती है इसके न्यूट्रिएंट्स इम्यूनिटी प्रदान करते है! ये lutein का बोहोत अच्छा स्रोत होती है!

2. ब्लूबेरी - एक छोटा फल जिसके फिटोनुट्रैंट्स और एंटीऑक्सीडेंट गुण कैंसर को जन्म देने वाली फ्री रैडिकल्स को बेअसर करते है!

3.लहसुन - सल्फर युक्त लहसुन का सेवन पेट की अंदरूनी सफाई करता है इसके रोजाना सेवन से कैंसर सेल के बढ़ने कि गति धीमी हो जाती है !

4. जिंसेंग - एक लकड़ी समान जड़ी बूटी जो डायबिटीज़ , कैंसर और कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम करता है साथ ही इम्यूनिटी भी बढ़ाता है!

5. हल्दी - इसका phytoconstitient cucurmin एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है तथा कैंसर सेल को मारने में काफी असरदार है तो खाने में हल्दी का उपयोग जरूर करे!

अतः अपनी सेहत को अपनी जिम्मेदारी समझे और कुछ दैनिक जीवन के बदलाव से अपने सेहत के खजाने को सलामत रखे!!

Enjoyed this article? Stay informed by joining our newsletter!

Comments

You must be logged in to post a comment.

About Author