क्या काल्पनिक कहानियों का व्यक्तिगत जीवन से कोई संबंध होता है?

बहुत पुरानी बात है एक घने जंगल में बहुत सारे जानवरो के साथ बंदरों का एक बड़ा गिरोह भी रहता था। जंगल के राजा शेर की देखरेख में जंगल का माहौल अच्छा था। चारों तरफ अमन और सुकून कायम था। समय बीतता गया एक दिन अचानक जंगल में शिकारियों का हमला हुआ जिसमे बड़ी संख्या में जंगली जानवरों की जान गयी। इस बात की खबर जब जंगल के राजा शेर को लगी तब उसने तरह-तरह की तरक़ीब लगाकर शिकारियों से जानवरों को बचाने का उपाय बनाना शुरू कर दिया, कुछ दिन बाद हमला समाप्त हो गया और फिर से अमन  का माहौल बन गया।

बरसात का मौसम आया सारे जानवर और पंछियों ने अपनी बनायी गुफा और घोसलों में छुपना शुरू कर दिया लेकिन यह सब देखकर बंदरों को ईर्ष्या हो रहा था। बन्दरो से रहा नहीं गया उन्होंने कई पंछियों के घोसले उजाड़ दिए और उनके बच्चों को पेड़ से नीचे फेंक दिया। पंछियों ने जंगल के महाराज शेर से इस बात की शिकायत की तब शेर ने अगले दिन सभी जानवरों को बुलाया। जब सभी जानवर इकट्ठा हुए तब  शेर ने बंदरों से कहा कि तुम "इनका घोंसला क्यों उजाड़ रहे हो इसमें तुम्हारा क्या फायदा है?" बंदरों ने कहा कि हमारे मन में जो आएगा वह हम करेंगे जब जंगल में सब लोग अपने घोसले और गुफा में हो जाते हैं इस झमाझम बरसात में हम बंदर पेड़ की डाल पर बैठकर भीगते है, कभी-कभी हमारे बच्चे बीमार पड़ जाते हैं तब कोई हमारी फिक्र नहीं करता।

शेर ने कहा कि चलो हम मान लेते हैं कि बरसात में तुम्हें दिक्कत होती है तुम्हारे बच्चे बीमार पड़ जाते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि तुम दूसरों को तकलीफ पहुंचाओ तुम अगर चाहो तो अपने रहने का कोई बंदोबस्त कर सकते हो। बंदरों ने कहा कि हमें किसी के सलाह की आवश्यकता नहीं है हम जैसा चाहेंगे वैसा करेंगे यह जंगल है यहां न तो कोई राजा है और ना ही कोई प्रजा।  फिलहाल शेर ने बंदरों को कड़ी फटकार लगाकर यही राय दी कि अगली बार वह ऐसी गलती ना करें। पंचायत खत्म हुई लेकिन बंदरों के अंदर ईर्ष्या और द्वेष की भावना और तेज हो गई। वास्तव में बंदर चाहते थे कि हमें अर्थात हमारे ही बिरादरी में किसी को राजा बनाया जाए! लेकिन उन्हें शायद यह नहीं मालूम था कि उनकी यह सोच आगे उन्हें कितना नुकसान पहुंचा सकती है।

अगले दिन बंदरों ने अपने बिरादरी की एक सभा का आयोजन किया जिसमें उन्होंने कहा कि अगर हम कुछ गलत करेंगे तो शेर की नजर में आ चुके हैं इसलिए हमें बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा, हम कुछ ऐसा करें जिससे हमारी हुकूमत आ जाए और किसी को हमारे गलत सोच का पता भी ना चले,तभी उसी में से एक बंदर बोला कि क्यों ना हम पुराने शिकारियों से मिलकर यह बात कहे और जंगल में फिर से दहशत का माहौल पैदा करवा दे। शिकारी आएंगे और जानवरों को नुकसान होगा तब मजबूर होकर हमारे ही बिरादरी में से किसी को राजा बनाया जाएगा।

बंदरों को अपनी उछल कूद पर बहुत घमंड था वह सोचते थे कि हम तो पेड़ की पतली से पतली डालो पर भी उछल कूद कर लेते हैं और हम ऊपर रहते हैं बाकी सब नीचे जमीन पर रहते हैं तो क्यों ना हमें ही राजा बनाया जाए। अगले दिन बंदर शिकारियों से मिलकर जंगल में फिर से हमला करवाने की बात कही और उन्हें  हमला करने का रास्ता भी बताया ।

कुछ दिनों बाद शिकारी जंगल में आये और कई जानवरों को मार गिराया। जंगल में फिरसे दहसत का माहौल पैदा हो गया। जंगल के राजा शेर ने जानवरों का जंगल के चारों तरफ पहरा लगा दिया जानवर दिन और रात मिलाकर जंगल की चारों तरफ पहरा देते। अवसर पाकर बंदर उनके बच्चों और घोषला को नुकसान पहुचाने लगे। जब शिकारियों से छुटकारा मिला तब अपने घर पर लौटे जानवरों को पता चला कि जंगल के अंदर ही उनके बच्चों को नुकसान पहुंचाया गया है। थोड़ी देर बाद सब जानवर शेर के पास पहुंचे शेर को इस बात का अंदाजा लग चुका था कि बंदर क्या चाह रहे हैं।

शेर ने सभी जानवरों के सामने बन्दरो को बुलाकर कहा कि ऐसा है बंदरों मैं यह चाहता हूं कि कुछ दिनों के लिए तुम्हारी बिरादरी में से किसी को जंगल का राजा बना दिया जाए जिससे तुम अच्छी तरह से जंगल की निगहबानी कर सको। यह बात सुन सारे जानवर आश्चर्य में पड़ गए। जानवरों ने कहा कि महाराज अगर ऐसा हो गया तो हम बर्बाद हो जाएंगे। बंदरों ने आज तक जंगल के किसी जानवरों का कुछ भला नहीं चाहा अगर यह हमारे राजा हो गए तो हमें दुखों का ही सामना करना पड़ेगा। शेर ने मुस्कुराते हुए कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मैं तुम्हें आश्वासन देता हूं कि इस जंगल में तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं होगा वैसे भी मैं कुछ ही दिनों के लिए इन्हें राजा बना रहा हूं। जानवर शेर की बात मान गए और एक बूढ़े बन्दर को राजा बना दिया गया।

थोड़ी देर बाद बंदरों ने सारे जानवरों को बुलाया और कहा कि हम लोगों के रहने के लिए जमीन पर ही मकान बना दिया जाए। बंदर महाराज की बात मानकर सभी जानवरों ने उनके लिए जमीन पर घर बना दिया। अब सारे बंदर घरों में ही रहने लगे। उनके खाने-पीने का भी बंदोबस्त जंगल के जानवर ही कर देते थे उन्हें एक डाल से दूसरे डाल पर कूदने की जरूरत ही नहीं पड़ती थी। कुछ दिनों बाद अचानक दूसरे गिरोह के शिकारियों का हमला जंगल पर हुआ तब जानवरों ने कहा कि बंदर महाराज शिकारियों ने जंगल पर हमला कर दिया है। बंदर आलसी हो गया था उसे  इतनी फुर्सत कहां थी कि वह स्वादिष्ट और बैठे-बिठाए कर रहे भोजन को छोड़कर जंगल के जानवरों की हिफाजत कर सके।

थोड़ी देर बाद बंदर महाराज ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुम जाओ अपना काम करो और हमें लाकर हमारा भोजन दिया करो। धीरे धीरे जंगल के अंदर शिकारी बंदरों के घरों के पास भी पहुंच गए। शिकारियों ने बंदर के बच्चों को मारना शुरू कर दिया और उनके घरों में आग लगा दिया। अब तो क्या करते अपाहिज बंदर खा खा कर मोटे हो गए थे वह पेड़ की डाल पर भी चढ़कर एक डाल से दूसरे डाल पर कूद भी नहीं सकते थे। बैठे-बैठे खाने को मिलता था इसलिए उनका शरीर बहुत मोटा हो गया था और वह उछलने कूदने की कला को भी भूल चुके थे। थोड़ी देर में बहुत सारे बंदर और जानवर मार दिए गए तब सारे जानवर शेर के पास गए। शेर ने आनन-फानन में हमला कर शिकारियों को मार गिराया तब जंगल में शांति का माहौल फिर से कायम हो गया। अब बंदरों का राजा भी एक तरफ जख्मी पड़ा हुआ था शेर को देखते ही उसके चरणों पर गिरकर गिड़गिड़ाते हुए कहा कि महाराज आप शेर हैं और वास्तव में आप ही जंगल के राजा हैं। हम तो अहंकार में आकर सब कुछ भूल गए थे वास्तव में हमने अपने उछल कूद पर घमंड किया था आज वही हमारे काम नहीं आया। आज से आपका जो हुक्म होगा वही हम सबका और हम सब को मानना पड़ेगा। इस प्रकार दुबारा जंगल में शेर की हुकूमत में अमन और सुकून का माहौल कायम हो गया।

नोट- यह मात्र एक काल्पनिक कहानी है जिसका किसी भी जात, समुदाय, पार्टी आदि से कोई संबंध नहीं।

 

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