एलोन मस्क से तुलना क्यों नही करनी चाहिए

       आप कितने भी सफल हो जाए कितना भी जोर लगा ले आप एलोन मस्क नहीं बन सकते क्योंकि एलोन मस्क भी कितना जोर लगा ले वह कभी आप नहीं बन सकते । दोस्तों मुझे कई लोगों के मैसेज आते हैं कि मैं तकनीकी उद्यमी बनना चाहता हूं । मैं बडा़  काम करना चाहता हूं लेकिन मैं अपनी बेसिक आदतें नहीं बदल पा रहा हूँ । एक तरफ मैं अपने कोर्स में पीछे चल रहा हूँ और दूसरी तरफ में एलोन मस्क जैसा बनना चाहता हूँ । ये सब कैसे होगा यह सोच - सोच कर मैं डिप्रेशन में जा रहा हूं , दोस्त अगर आप डिप्रेशन में नहीं जा रहे होते तो मुझे आश्चर्य होता क्योंकि आप सारे काम तो खुद को परेशान करने के लिए कर रहे हो । उस चीज पर फोकस कर रहे हो जिस पर आपका कोई कंट्रोल नहीं है । तो डिप्रेशन में आना या नो कॉन्फिडेंस महसूस करना स्वाभाविक है ।



पहली बात एलोन मस्क सफलता उनकी पर्सनालिटी उन्हें कैसी शिक्षा मिली इंडस्ट्री की ग्रोथ और समय के हिसाब से यूनिक है । अगर आपको कंपैरिजन का गेम खेलना ही है तो खुद कल से बेहतर होने की कोशिश करो  ।इसलिए नहीं किए दार्शनिक बात है सुनने में अच्छी लगती है बल्कि इसलिए क्योंकि यही वह गेम है जो आप जीत सकते हो ।



इस गेम में बाकी सारे फैक्टर कॉमन हैं । इस गेम  में यानी आज और कल में आप आज और अभी के प्रयास से अंतर पैदा कर सकते हैं । दूसरी बात आज से 20 साल पहले एलोन मस्क को भी नहीं पता था कि वह आज दुनिया की सफलतम बिजनेसमैन और इंजीनियर कहलाएंगे ।एलोन मस्क कुछ प्रॉब्लम सॉल्व करना चाहते थे  जो आज के समय इंसानियत के लिए मायने रखती है  । छोटे सचिन तेंदुलकर बचपन में विश्व के सबसे अच्छे बैट्समैन नहीं बनना चाहते थे । वह बस अपनी टीम को जिताना चाहते थे और अच्छी बैटिंग से अपने कोच को खुश करना चाहते थे ।अगर आपको एलोन मस्क साहब कुछ सीखना है तो उनका वर्क एथिक सीखो गोल बनाने का तरीका और उसे पूरा करने का जज्बा सीखो और एलोन मस्क के पैसे को गाड़ी को भूल जाओ ।



 आप गूगल पर एलोन मस्क लिखकर स्पेस दबाओ तो आपको पता चलेगा कि दुनिया में कितने लोग एलोन मस्क के  नेटवर्थ और उनकी बीवी देखना चाहते हैं । 



    क्योंकि लोगों के लिए सफलता की यही मायने है कि आपके बैंक में कितना पैसा है और आपकी बीवी कितनी सुंदर है और जो लोग ऐसा सोचते हैं क्या वह खुद के प्रति कभी सिक्योर महसूस कर सकते हैं नेटवर्थ इज नॉट योर सेल्फवर्थ । जैसे  स्मार्टफोन आप को स्मार्ट नहीं बनाता वैसे ही बैंक अकाउंट में रखा पैसा आपकी सेल्फ इमेज तय नहीं करता ।



 यूएसए में फैन कल्चर जबरदस्त है लोग आपके नाम का सिंदूर मेरा मतलब है लोग आपके नाम की टी-शर्ट पहनेंगें लोग आपके नाम का फ्लेम थ्रोवर और ईट भी खरीदेंगे  लेकिन खुद जब कुछ करने की बारी आएगी तो कहेंगे कि कंफ्यूजन है । कन्फ्यूजन कभी खत्म नहीं होगा इसलिए कंफ्यूजन रहते एक्शन लीजिए एक्शन लेने के बाद आपको पता चलेगा कि जिसे आप कंफ्यूजन समझ रहे थे वह एक डर था और कभी सौ परसेंट सही होने की कोई गारंटी नहीं है यही एलोन मस्क का मैसेज अपनी टीम को है ।



एलोन मस्क साहब की खासियत है कि ये डिसीजन की ताकत समझते हैं इन्होंने अपनी टीम से कह रखा है कि जब भी आप अटको जब भी आपको समझ ना आए तो तत्काल मुझे फोन कीजिए चाहे रात के तीन बज रहे हो काम कभी रुकना नहीं चाहिए ।



दोस्तो सरकारी नौकरी को तो आप छोड़ो जब आप किसी बड़ी मल्टीनेशनल प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं तो आपको समझ आता है कि अच्छे-अच्छे कॉलेज में पढ़े लिखे लोग फर्राटे से इंग्लिश बोलने वाले लोग डिसीजन लेने से कतराते हैं । जब आप डिसीजन लेते  हो तो आप तत्काल चेंज पैदा करते हो और कोई बदलाव की जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। आप अपने आसपास देखना  शुरू करो लोग छोटी-छोटी प्रॉब्लम देख कर मुंह मोड़ लेते हैं ।



 लोगों को सालों से पता था कि वर्क फ्राम होम ऑफिस के किराए का खर्चा गिरा देगा लेकिन जब तक कोविड-19 ने झटका नहीं दिया तब तक गूगल फेसबुक जैसी कंपनियों ने भी वर्क फ्राम होम चालू नहीं किया ।



जैसे शुतुरमुर्ग की डरकर रेत में सर छुपा लेती है वैसे ही हम लोग छोटे-छोटे डिसीजन नहीं ले पाते ।  प्रॉब्लम को पहचानो हल निकालो सौ परसेंट एग्जीक्यूट करो नहीं काम करें तो दूसरे सॉल्यूशन पर काम करो अगर यह तीन स्टेप्स नहीं कर सकते तो दो बातें समझो पहला आप भूल जाओ कि आप कुछ करने वाले हो और दूसरा कि कोई भी इन तीन टिप्स  के लिए आपकी मदद करने नहीं आने वाला तो हमको क्या करना चाहिए 1 साल पहले एक मैसेज आया था भैया मैं आईआईटी में पहुंच गया हूं उसमें आपकी सलाह का बड़ा योगदान है मैंने यहां आपके चैनल के बारे में सब को बताया और क्लास में वीडियो भी चलाया करीब सीरीज वाली वीडियो में की बात दिल को छू गई कि हम लोग हमेशा नई इंफॉर्मेशन और नई टेक्नोलॉजी खोजते रहते हैं लेकिन जो सामने है उसे इग्नोर करते रहते हैं इससे बेहतर होता कि हम एक टेक्निक के पीछे पड़ कर उसमें मास्टरी हासिल कर लेते ।



 मैं उस दिन से  डिस्ट्रैक्शन से बचने के लिए पोमोडोरो टेक्निक और डीप ब्रीथिंग के पीछे पड़ गया और उसे आखिर तक फालो किया ।



कंटीजियस के लेखक जिन्होंने सालो गूगल में काम किया वह कहते हैं कि इंटरनेट पर सबसे ज्यादा वह कंटेंट शेयर किया जाता है जिसमें कुछ अलग हो जिसमें अमेजमेंट या विस्मय का इमोशन हो । हमारा दिमाग नई इंफार्मेशन ढूंढने के लिए प्रोग्राम है जब भी उसे कुछ नई इंफॉर्मेशन मिलती है तो बड़ा डोपामिन रिलीज होता है ।



हजारों साल पहले बहुत काम की स्ट्रैटेजी थी एक एक्स्ट्रा जड़ी बूटी की जानकारी , एक्स्ट्रा पानी का स्त्रोत पता होना जीवन मृत्यु का अंतर तय कर सकती थी ।



    आज इतनी सारी नई इंफॉर्मेशन आपको कोई काम्पिटेटिव एडवांटेज प्रदान नहीं करती आपको ऑलमोस्ट सब कुछ पता है ।आप एक या दो टेक्निक्स का इस्तेमाल करो जिनके द्वारा आफ सस्टेनेबल पुल बना सकूं जिनके द्वारा आप प्रोसेस से डिस्ट्रैक्ट ना हो  और आपके एक्शन ही आपको आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा दे । फिर भी आप कहतो हो कि मुझे फ्यूचर के बारे में सोचकर इंस्पिरेशन चाहिए तो मुझे क्या करना चाहिए ।



 59 सेकंड बहुत ही प्रैक्टिकल किताब है इतनी 

की बाकी सुपर मोटिवेशन किताबें शर्मा जाए उसमें लेखक एक रिपोर्ट के बारे में बताते हैं कि जो स्टूडेंट्स अपने एग्जाम की तैयारी कर रहे थे उनको बोला गया कि आप लगातार चार दिन दिन की शुरुआत में दस मिनट अपने रियलिस्टिक आइडल फ्यूचर के बारे में लिखिए रियलिस्टिक आइडियल फ्यूचर मतलब जो प्लान बनाया है अगर उसके मुताबिक सब कुछ बढ़िया होगा तो  एक साल छः महीने के अंदर भविष्य कैसा होगा तो पाया गया कि जिन स्टूडेंट्स ने रियलिस्टिक पॉजिटिव फ्यूचर के बारे में लिखा था उन्होंने जीत या  अकंप्लिशमेंट की भावना अगले हफ्ते में कई बार महसूस की जब हम अकांप्लिशमेंट महसूस करते हैं तो कॉन्फिडेंस अपने आप बढ़ता है और केवल आपका कॉन्फिडेंस नहीं बढ़ता जब आपको लगता है कि आप निकट भविष्य में अच्छा करने वाले हैं तो आप सकारात्मक रूप से बड़े प्रयास करते हैं यानी मैसिव एक्शन लेते हैं इसलिए पेन उठाइए और लिखिए कि अभी आपका  क्या प्लान है आप अगले छःमहीने या  एक साल में क्या हासिल करना चाहते हैं अगर बीच-बीच में छोटे छोटे गोल है तो वह जरूर लिखिए और फिर सोचिए और लिखिए कि अगर आपके सारे प्लान सफल हो जाए तो एक साल के अंदर आपकी जिंदगी में क्या बदलाव आ जाएगा और कैसा महसूस करेंगे।



 चार दिन तक ऐसा कीजिए बहुत मदद मिलेगी आप चाहे तो हर हफ्ते ऐसा कर सकते हैं यह आपके लिए एक छोटी सी जनरल प्रैक्टिस बन सकती है कि एक्सरसाइज सेल्फ ऑथरशिप प्रोग्राम का हिस्सा है जिसे जॉर्डन पीटरसन अपने स्टूडेंट से करवाते हैं ।

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