उपवास के दौरान हमारे शरीर को ऊर्जा कहा से और कैसे मिलती है ?

उपवास के दौरान हमारे शरीर को ऊर्जा कहा से और कैसे मिलती है ?

उपवास करने के लिए बहोत से कारण है। श्रावण माह, नवरात्रि जैसे त्योहारों में हिन्दू उपवास करते है। पर्युषण के वखत जैन उपवास करते है। कुछ लोग राजनितिक कारणो से उपवास करते है। इसके आलावा कुछ लोग स्वास्थ्य कारणों से उपवास करते है। तो कुछ लोग वजन घटने के लिए उपवास करते है। इस के अलावा भूकंप आने पर मलबा के नीचे बहोत दिनों तक खाना और पानी के बिना भूखमरी का सामना करना होता है। जब कोई व्यक्ति उपवास रखता है तो उसकी कुछ सीमा होती है। शरीर अंत तक मुकाबला करता है लेकिन अंत में हर भी सकता है ।

अगर हमें जानना है की उपवास के दौरान ऊर्जा कहा से मिलती है। क्या ऊर्जा के स्त्रोत हमारे शरीर में संचित है ! यही पोषक तत्व जमा हो जाते है तो उपवास के दौरान शरीर उनका उपयोग कैसे करते है और कितने समय तक करता है।


हमारे औसत आहार में ६५%कार्बोहाइड्रेट, २५% प्रोटीन & १०% वसा होता है। भोजन से अवशोषित अविकांष कार्बोहाइड्रेट यकृत में जाते है। जहा यह ग्लायकोजन में परिवर्तन हो जाते है। जहा यह ग्लायकोजन में परिवर्तित हो जाता है। ग्लायकोजन का अपघटन ग्लूकोज़ में होता है। और फैटी एसिड में परिवर्तित हो जाता है। यह अनतता ट्राइगिलसासराइड्स का उत्पादन करता है। ट्राइगिलसासराइड्स एक प्रकार का वसा होता है। इस ग्लूकोज का कितना हिस्सा वसा ऊतक की कोशिकाओं में वसा के रूप में जमा होता है और शरीर के विभिन्न भागो में कितनी ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है।
भोजनमें मिश्रित प्रोटीन भी एमिनो एसिड के रूप में रक्त और लसिका में प्रवेश करता है। हम जानते है की लघभग बीस एमिनो एसिड के परमाणुओ को श्रुंखला एक प्रोटीन का एक परमाणु देती है । अब भोजन से प्रोटीन में पाए जाने वाले उपरोक्त अमीनो अेसिड लिवर और शरीर के अञ उत्को में चले जाते हैं । लीवर में अमोनिया निकालने के बाद यह कीटो इसिड् में बदल जाता है । इसके अलावा अमोनिया यूरिया में परिवर्तित हो जाता है । यह रत्क्प्रवाह में गुर्दे के माध्यम से रक्तप्रवाह के माध्यम से उत्सर्जित होता है । साइट्रिक इसिड कार्बन डाइओक्साइड और पानी और उर्जा को उत्पाद्न करने के लिए यकृत को ओक्सीकरण करता है ।
हम भोजन में जो वसा करते है । वह लसीका (लिम्फ़ोमा में ड्राइग्लिसराइड्स द्रारा अवशकित होती हैं । और वसा उतक में जमा हो जाती हैं । वसा उतक हमारे शरीर मे बडी मात्रा में वसा जमा करता हैं ।
हमारे शरीर में उर्जा का मुख्य स्त्रोत ग्लुकोज है। ग्लुकोज का सबसे मह्त्वपूर्ण उपभोक्ता हमारा दिमाग है । शरीर के दो - तिहाइ रत्क ग्लुकोज का उपयोग मस्तिस्क का यह पोषण जारी रहता है । उपवास के दौरान हमारे शरीर के सभी अंग दिमाग की देखभाल के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर देते है ।
एक आदमी बिना भोजन के कितने समय तक जीवित रह सकता है यह व्यकित के स्वास्थ्य या जलवायु आदि पर निर्भर करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति बिना किसी हानिकारक प्रभाव के आसानी से १५ दिनों तक भूखा रह सकता है। बैरक उपवास करने से व्यक्ति को शारीरिक क्षमता बहुत कम हो जाती है। उपवास या भुखमरी आहार में पोषक तत्वों के अवशोषण को रोकता है और इसलिए रक्त सर्करा के स्तर को कम करता है तो सवाल यह है की शरीर को ऊर्जा कहा से मिलती है ?
लिवर में गलायकोजन कम होता है। यह लगभग ४०० कैलोरी ऊर्जा प्रदान करता है। शरीर को एक दिन में १५०० से ३००० कैलोरी ऊर्जा की जरूरत होती है। इसलिए लिवर का भंहरण कुछ घंटो से अधिक के लिये पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा, जिगर में सभी गलायकोजन का उपयोग नहीं किया जा सकता है। इसमें से कुछ को आपात स्थिति के लिए संगृहीत करना पड़ता है। उपवास करने वाले व्यक्ति को इसको जरूरत तब पड़ती है जब गंभीर तनाव की स्थिति उतपन्न हो जाती है। इसलिए लम्बे समय तक उपवास रखने से शरीर को ऊर्जा के लिए आवशयक केवल संचित प्रोटीन और वसा मिलता है।
कंकाल को मांसपेशी (कंकाल को हडियो को बांधने वाली मांशपेशियां ) में जमा एमिनो एसिड और प्रोटीन पोषण की रक्षा की दूसरी पंक्ति बनाते है। जब यकृत में उपलब्ध ग्लायकोजन का उपयोग किया जाता है। तो कंकाल की मांशपेशी में ग्लायकोजन हैट जाता है और एमिनो एसिड में परिवर्तित हो जाता है। ये सभी एमिनो एसिड उपवास के शरुआती चरणों में यकृत द्रारा लपोकोसाइट्स में परिवर्तित हो जाते है।
इस प्रकार उपवास के प्रारम्भिक चरण में एमिनो एसिड यकृत द्रारा ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाते है और जैसे-जैसे उपवास आगे बढ़ता है यह कार्य यकृत और गुर्दे दोनों द्रारा किया जाने लगता है। गुर्दे अधिक मेहनत करते है। कंकाल को मांसपेशी प्रोटीन और ग्लायकोजन उपवास के खिलाफ रक्षा की एक और पंक्ति बनती है। लेकिन प्रोटीन का अनिशिचत काल तक उपयोग नहीं किया जा सकता है। जिस दर से शुरू में इसका सेवन किया जा सकता है। अगर उसी दर से इसका सेवन जारी रखा जाता है, तो उपवास करने वाले व्यक्ति को तीन सप्ताह से अधिक जीवित नहीं रखेगा क्योकि शरीर में सभी प्रोटीन का सेवन किया जाता है। हालांकि, उपवास दौरान प्रोटीन की थोड़ी मात्रा का उपयोग किया जाता है। लेकिन पूरा प्रोटीन ख़त्म नहीं होता।
लेकिन अगर इस तरह से प्रोटीन का इस्तेमाल किया जाए और शरीर में ८०% प्रोटीन का इस्तेमाल हो जाए तो उसका जीवित रहना बहुत मुश्किल हो जाता है, तो ऊर्जा का एक और उपलबध स्त्रोत वसा है। वसा ट्राइग्लिसराइड्स के रूप में, त्वचा के निचे वसा ऊतक आंतरीक अंगो के आसपास जमा हो जाता है। वसा भी अधिक किफायती है। चना से चना अधिक ऊर्जा यानि नई कैलोरी ऊर्जा देता है। और कार्बोहाइड्रेट एक कैलोरी ऊर्जा देते है। इसके अलावा इसे स्ट्रॉर करने के लिए पानी की जरूरत नहीं होती है।

अब शरीर को ऊर्जा देने की बारी वसा की है।ट्राइग्लिसराइड जो कि वसा भी है, स्वयं ग्लिसरॉल और फैटी एसिड में विघटित हो जाता है। ग्लिसरॉल यकृत में जाता है और ल्यूकोसाइट्स को संश्लेषित करने के लिए प्रयोग किया जाता है। फैटी एसिड का उपयोग ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। फैटी एसिड यकृत में ऑक्सीकृत होते हैं। यानी यह ऑक्सीजन के साथ जुड़ता है। यह एसीटो एसिटिक एसिड नामक एक रसायन बनाता है। इसे ईंधन के रूप में उपयोग करने के लिए रक्तप्रवाह द्वारा विभिन्न अंगों तक पहुंचाया जाता है। एसीटो एसिटिक एसिड दो रसायन एसीटोन और कीटोन देता है। और जब इसे ऑक्सीकृत किया जाता है तो यह कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के साथ ऊर्जा भी देता है। इसका उपयोग लगभग सभी ऊतकों द्वारा ऊर्जा प्राप्त करने के लिए इस प्रकार किया जाता है।

इस तरह अगर उपवास के दौरान खाना बंद कर दिया जाए तो शरीर में जमा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा को तोड़कर ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। उपवास करने से औसत व्यक्ति अपने वजन का 5% बिना किसी हानिकारक प्रभाव के कम कर सकता है। लेकिन भारी कटौती घातक हो सकती है। और इसी तरह, कई कारणों से लंबे समय तक उपवास करना घातक हो सकता है।

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