अंतरिक्ष में जीवन खोजने के लिए नासा बनाएगी विशालकाय टेलिस्कोप? हबल भी लगेगा बौना, जानें टॉप-3 मिश

वॉशिंगटन

अगर अंतरिक्ष में हमारी पृथ्वी जैसा कोई दूसरा ग्रह मौजूद है तो नासा को इसे ढूंढ़ना चाहिए। एक दशक में एक बार जारी की जाने वाली रिपोर्ट में यह बात कही गई है। यह रिपोर्ट अगले दशक में खगोल विज्ञान के लिए प्राथमिकताएं निर्धारित करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पृथ्वी जैसे एक्सोप्लैनेट को खोजने के लिए नासा को एक नया बड़ा और फैंसी स्पेस टेलिस्कोप बनाना चाहिए।

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Space.com की रिपोर्ट के मुताबिक हर 10 साल में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग और मेडिसिन नासा जैसी सरकारी एजेंसियों को सलाह देती है कि आने वाले दशक में खगोलविदों को किन शोध उद्देश्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए। सलाहकारों ने गुरुवार को अपनी नवीनतम रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में तीन प्रमुख रिसर्च प्राथमिकताओं पर प्रकाश डाला गया है।

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इन तीन विषयों को प्राथमिकता देने की सिफारिश

वैज्ञानिकों को ब्लैक होल और न्यूट्रॉन सितारों की प्रकृति को बेहतर ढंग से समझने, आकाशगंगाएं कैसे बनती और विकसित होती हैं और इसकी जांच करने, अन्य ग्रह प्रणालियों में 'रहने योग्य पृथ्वी जैसी दुनिया' की पहचान करने की सलाह दी गई है। समिति की सह-अध्यक्षता करने वाले वैज्ञानिक फियोना हैरिसन ने कहा कि आने वाले दशकों में हमारे सामने सबसे आश्चर्यजनक वैज्ञानिक अवसर यह संभावना है कि हम किसी अन्य ग्रह पर जीवन पा सकते हैं।

11 बिलियन डॉलर में बनकर तैयार होगा टेलिस्कोप

समिति ने सिफारिश की है कि ऐसे ग्रहों को खोजने के लिए नासा को एक ऐसी दूरबीन का निर्माण करना चाहिए जो हबल स्पेस टेलिस्कोप को बौना कर दे और इन्फ्रारेड, ऑप्टिकल और पराबैंगनी सेंसर से लैस हो। रिपोर्ट्स के मुताबिक टेलिस्कोप के निर्माण में अनुमानित 11 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा। माना जा रहा है कि यह 2040 के दशक की शुरुआत में लॉन्च हो सकता है।चांद पर पानी की तलाश के लिए 2024 में रोवर भेजेगा ऑस्ट्रेलिया

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(यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी में वरिष्ठ लेक्चरर जोशुआ चाऊ) सिडनी, छह नवंबर (द कन्वरसेशन) पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी ने नासा के साथ एक समझौते के तहत 2026 तक चंद्रमा पर ऑस्ट्रेलिया निर्मित रोवर भेजने की योजना की घोषणा की थी। रोवर ऑक्सीजन युक्त चंद्रमा की मिट्टी को एकत्र करेगा, जिसका उपयोग अंततः अंतरिक्ष में मानव जीवन के सहयोग में मदद के लिए किया जा सकता है। नासा के साथ इस समझौते ने सुर्खियां बटोरीं, हालांकि सिडनी में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी के सहयोग से ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में निजी कंपनियों द्वारा संचालित एक अलग अभियान के तहत ऑस्ट्रेलिया को

    (यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी में वरिष्ठ लेक्चरर जोशुआ चाऊ)

सिडनी, छह नवंबर (द कन्वरसेशन) पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष एजेंसी ने नासा के साथ एक समझौते के तहत 2026 तक चंद्रमा पर ऑस्ट्रेलिया निर्मित रोवर भेजने की योजना की घोषणा की थी। रोवर ऑक्सीजन युक्त चंद्रमा की मिट्टी को एकत्र करेगा, जिसका उपयोग अंततः अंतरिक्ष में मानव जीवन के सहयोग में मदद के लिए किया जा सकता है।

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नासा के साथ इस समझौते ने सुर्खियां बटोरीं, हालांकि सिडनी में यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी के सहयोग से ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में निजी कंपनियों द्वारा संचालित एक अलग अभियान के तहत ऑस्ट्रेलिया को 2024 के मध्य तक चंद्रमा पर पानी की तलाश करते देखा जा सकता है।

यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ तो यह ऑस्ट्रेलिया निर्मित घटकों का चंद्रमा पर पहुंचने वाला पहला रोवर होगा।

पानी की तलाश में भटकना

करीब दस किलोग्राम वजन वाला रोवर चंद्रमा पर अनुसंधान करने वाली जापान की कंपनी आईस्पेस द्वारा बनाए गए हाकुटो लैंडर के जरिए प्रक्षेपित किया जाएगा। इस रोवर को भी आईस्पेस ने बनाया है, जो निजी कंपनियों स्टारडस्ट टेक्नोलॉजीज (कनाडा में स्थित) और ऑस्ट्रेलिया की एक्सप्लोर स्पेस टेक्नोलॉजी (जिनके संस्थापकों में से एक चाऊ हैं) द्वारा निर्मित एक एकीकृत रोबोटिक शाखा होगी।

यह रोवर विशेष रूप से पानी खोजने के लक्ष्य के साथ धूल, मिट्टी और चट्टानों की भौतिक और रासायनिक संरचना के बारे में जानकारी एकत्र करेगा। ऐसा अनुमान है कि चंद्रमा की धरती के भीतर पानी मौजूद है, लेकिन व्यावहारिक उपयोग के लिए हमें अब तक पानी निकालने का कोई तरीका नहीं मिला है।

नासा द्वारा किए गए परीक्षण की तरह यह परीक्षण चंद्रमा पर भौतिक और रासायनिक स्थितियों को हूबहू दर्शा सकता है। यह निर्धारित करना महत्वपूर्ण होगा कि क्या रोवर चलायमान रह सकता है और विभिन्न पर्यावरणीय स्थितियों के बीच कार्य करना जारी रख सकता है।

अतरिक्ष के क्षेत्र में कदम

यह रोवर चंद्रमा से आंकड़े भी भेजेगा जिसे धरती पर लोग आभासी वास्तविक (वीआर) चश्मे और एक सेंसर दस्ताने की मदद से अनुभव कर सकते हैं। रोबोटिक शाखा द्वारा एकत्र हैप्टिक (स्पर्शानुभूति) आंकड़ा अनिवार्य रूप से हमें चंद्रमा की सतह पर किसी भी चीज की ‘‘वास्तवकि अनुभूति को महसूस’’ करने में मदद करेगा। इस अनुभूति को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक नि:शुल्क ऐप उपलब्ध कराने की योजना बनाई जा रही है और उम्मीद है कि यह अंतरिक्ष खोजकर्ताओं की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। अंतरिक्ष की इस विशाल आंख के बारे में जानते हैं आप? NASA ने शेयर की 'डरावनी' तस्वीर

इस डरावनी तस्वीर को नासा के जेट प्रपल्शन लेबरोटरी ने स्पिट्जर स्पेस टेलिस्कोप से लिया है। इसमें टेलिस्कोप ने हेलिक्स नेबुला के इंफ्रारेड रेडिएशन को दिखाया है। यह नेबुला कुंभ नक्षत्र से 700 प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने हैलोवीन वीक के अवसर पर ब्राह्मांड की एक शानदार तस्वीर को शेयर किया है। यह तस्वीर हेलिक्स नेबुला की है, जो देखने में अंतरिक्ष में मौजूद किसी विशाल आंख की तरह दिखाई देती है। इस आंख के अंदर की लेंस गहरे लाल रंग और बाहरी हिस्सा हल्के आसमानी रंग का दिखाई दे रहा है। हैलोवीन अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है।

 

NASA Nebula 011

 

हेलिक्स नेब्युला

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