सुपर कंप्यूटर क्या है ?

आज के समय में कंप्यूटर के बारे में लगभग सभी लोगों को नॉर्मल जानकारी है और जो लोग इस्तेमाल करते हैं, उन्हें तो कंप्यूटर के बारे में थोड़ा अन्य लोगों से बेहतर जानकारी होती है. कंप्यूटर से जुड़े हुए लोग सुपर कंप्यूटर के नाम को तो सुने होंगे परंतु क्या आप जानते हैं, सुपर कंप्यूटर क्या है और इसका इतिहास क्या है. यदि आप सुपर कंप्यूटर से संबंधित संपूर्ण और विस्तृत जानकारी को जानना चाहते हैं, तो आज के हमारे सुपर कंप्यूटर के ऊपर आधारित इस महत्वपूर्ण लेख को अंतिम तक अवश्य पढ़ें. आज हम आपको इस लेख में सुपर कंप्यूटर के ऊपर ही विस्तृत जानकारी देंगे.

सुपर कंप्यूटर क्या है

सामान्य रूप से हम जो कंप्यूटर का इस्तेमाल करते हैं, वह एक सामान्य कार्य के लिए आपके कार्य में आपकी सहायता करता है. जबकि एक सुपरकंप्यूटर सामान्य कंप्यूटर के मुकाबले सबसे तेज और एक्यूरेट डाटा के साथ कार्य करता है. एक सामान्य कंप्यूटर की सहायता से आप वैज्ञानिक शोध एवं अन्य बड़े संगठनों में कार्य ज्यादा तेजी से एवं पारदर्शिता के साथ नहीं कर सकते जबकि आप सुपर कंप्यूटर में बड़े-बड़े और मल्टी टास्किंग काम को बहुत ही तीव्रता से और शुद्धता पूर्ण तरीके से कर सकते हैं. एक सुपर कंप्यूटर पैरेलल और ग्रेट प्रोसेसिंग के सिद्धांत के ऊपर कार्य करता है. एक सुपर कंप्यूटर में कई सारे एक साथ कार्य करते हैं और जब हम सुपर कंप्यूटर में किसी भी प्रकार का कमांड देते हैं तो वह उसका स्कोर करने के लिए सभी सीपीयू को उसका काम बांट देता है और जिसकी वजह से वह कार्य बहुत ही तीव्र गति से एवं शुद्धता पूर्ण तरीके से हो पाता है. सुपर कंप्यूटर एक साधारण कंप्यूटर के मुकाबले आकार में भी थोड़ा बड़ा होता है. सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल आमतौर पर बड़े-बड़े संगठनों और इंटरप्राइजेज में किया जाता है. सामान्य कंप्यूटर से तेजी से कार्य करने एवं शुद्धता पूर्ण तरीके से करने की विशेषता ही इसे एक सुपर कंप्यूटर का रूप प्रदान करती है.

सुपर कंप्यूटर का संक्षिप्त इतिहास

जब हम कंप्यूटर के इतिहास के बारे में जानकारी को जानने का प्रयत्न करते हैं, तो हमें यह ज्ञात होता है, कि यह किसी एक विशेष इंडिविजुअल व्यक्ति के द्वारा ही नहीं बनाया गया अभी तो यह कई लोगों के योगदान से इस अद्भुत मशीनरी का आविष्कार संभव हो पाया है. मगर जब बात एक सुपर कंप्यूटर की आती है तब सुपर कंप्यूटर के निर्माण में सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण योगदान सेयमोर क्रे वर्ष 1925 से वर्ष 1996 तक जाता है. इसीलिए सेयमोर क्रे को सुपर कंप्यूटर का पिता कहा जाता है. अब आइए जानते हैं, सुपर कंप्यूटर के एक संक्षिप्त इतिहास को जो इस प्रकार से निम्न है.

  • वर्ष 1946 में पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी के जॉन मौचली एवं ज. प्रेस्पर एकर्ट के द्वारा एक सामान्य उद्देश्य हेतु इएनआईएसी नामक 25 मीटर लंबा तथा 30 टन वजनी सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया गया था.इसी को दुनिया का सबसे पहला सुपर कंप्यूटर कहा जाता है.
  • वर्ष 1953 आईपीएल कंपनी के द्वारा एक डिफरेंस कैलकुलेटर जाने के जनरल उद्देश्य कंप्यूटर को विकास करने का निर्णय लिया गया और इसी के आधार पर आईबीएम के इंजीनियर जीन अम्दहल जीने आईबीएम 704 का निर्माण किया जो एक 5 KFLOPS की गणना करने के लिए पर्याप्त था.
  • वर्ष 1956 में आईबीएम कंपनी ने los alamos National laboratory नामक एक लेबोरेटरी के लिए स्ट्रेच नामक एक सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया और यह करीब वर्ष 1964 तक सबसे तेज दुनिया का सुपर कंप्यूटर माना गया.
  • वर्ष 1957 सीडीएस कंपनी के सह संस्थापक माननीय सीमोरे क्रें ने एक सबसे तेज, ट्रांजिस्टर युक्त एवं हाई स्पीड परफॉर्मेंस पर कार्य करने वाले कंप्यूटर को बनाने की पहल शुरू कर दी. फिर जाकर उन्होंने सीरियस 1604 नामक एक सुपर कंप्यूटर को बनाकर अन्य लोगों के सामने पेश किया एवं ठीक वर्ष 1964 में इस महानुभाव व्यक्ति ने सीडियस 6600 नामक एक सुपरकंप्यूटर को बनाकर संपूर्ण विश्व के सामने लांच किया. यह पहला ऐसा सुपरकंप्यूटर बना जो आईबीएम के पिछले दो सुपर कंप्यूटर को कड़ी टक्कर देने के लिए योग्य था.
  • वर्ष 1972 सीमोरे क्रें ने कंट्रॉल डाटा को छोड़ने के बाद एक सबसे बेहतरीन हाई एंड कंप्यूटर के निर्माण हेतु इन्होंने क्रें नामक रिसर्च सेंटर की स्थापना की.
  • वर्ष 1976 इसी वर्ष los alamos National academy ने अपना पहला क्रे-1 नामक एक सुपर कंप्यूटर को मार्केट में उतारा और इसकी स्पीड लगभग 160 mflops की थी.
  • वर्ष 1979 क्रे-1 सुपर कंप्यूटर से भी सबसे ज्यादा तेज कंप्यूटर को विकसित करने का कार्य शुरू किया गया. क्रे-2 नामक सुपर कंप्यूटर में आठ सीपीयू के साथ 1.9 gflops के स्पीड के साथ करना को कर सकता था और इसमें तारों की लंबाई 120 सेंटीमीटर से सीधे घटाकर 41 सेंटीमीटर तक कर दी गई थी और यह सभी सुपर कंप्यूटर के मुकाबले काफी ज्यादा तेज कार्य करने लगा.
  • वर्ष 1989 में सीमोर क्रें ने क्रें कंप्यूटर नामक एक कंपनी का निर्माण किया और इसमें क्रें-3 एवं क्रें-4 सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया.
  • वर्ष 1990 यह वर्ष काफी ज्यादा सुपर कंप्यूटर निर्माता कंपनियों के लिए तंगी भरा रहा और फिर पावरफुल आरआईएससी वर्क स्टेशनों को पेश किया गया और जिन्हें सिलिकॉन ग्राफिक द्वारा डिजाइन किया गया था.
  • वर्ष 1993 में 166 वेक्टर प्रोसेसर के साथ Fujitsu numerical wind tunnel नामक सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया गया और यह अब तक सभी सुपर कंप्यूटर के मुकाबले बहुत ही ज्यादा सुपरफास्ट तरीके से कार्य करने लगा.
  • वर्ष 1994 में थिंकिंग मशीन ने खुद को दिवालिया विश्व भर में घोषित कर दिया.
  • ठीक वर्ष 1995 में क्रें कंप्यूटर ने भी खुद को दिवालिया विश्व के सामने घोषित कर दिया और फिर 1 साल बाद सुपर कंप्यूटर के जनक कहे जाने वाले सीमोर क्रें का स्वर्गवास हो गया. फिर सिलिकॉन ग्राफिक ने क्रें रिसर्च को अपने अधीन कर लिया.
  • वर्ष 1997 इंटेल कंपनी पेटीएम प्रोसेसर द्वारा एक सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया और फिर sandiya National laboratories दुनिया का सबसे पहला tflops सुपरकंप्यूटर बनकर लोगों के सामने उभर के दुनिया के सामने आया.
  • वर्ष 2008 cray research और oak ride National laboratory द्वारा जैगुआर सुपरकंप्यूटर दुनिया का सबसे पहला pflops सुपरकंप्यूटर बनकर विकसित हुआ. फिर इसे जापान और चीन कंपनियों के द्वारा पीछे छोड़ दिया गया.
  • वर्ष 2011 और 13 इसी वर्षों के अंदर अंदर जैगुआर कंप्यूटर को अपग्रेड करके टाइटन सुपर कंप्यूटर का नाम प्रदान किया गया और फिर कुछ समय के लिए दुनिया का सबसे फास्टेस्ट सुपरकंप्यूटर यही बन गया. इस सुपरकंप्यूटर को चीन के एक सुपर कंप्यूटर Tianhe-2 ने पीछे छोड़ दिया.
  • वर्ष 2018 जून के महीने में Oak ridge कंपनी में आईबीएम सम्मिट 200-petaflop नामक एक सुपरकंप्यूटर को स्थापित किया गया और अब तक यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली और फास्ट सुपर कंप्यूटर माना जाता है.

सीरियल और पैरेलल प्रोसेसर में क्या अंतर है

सामान्य कंप्यूटर में सीरियल प्रोसेसर का इस्तेमाल किया जाता है और यह एक टास्क को कंप्लीट करने के बाद दूसरा टास्क कंप्लीट करता है अर्थात या केवल एक बार में एक टास्क को ही कंप्लीट करने के लिए अनुमति को स्वीकार करता है और वहीं पर पैरेलल प्रोसेसर में एक साथ कई टास्क कंप्लीट किया जाता है अर्थात आप एक कमांड को देने के बाद तुरंत ही दूसरा कोई कमांड दे सकते हैं और यह आपके दोनों ही कमांड को एक साथ एक समय में और एक ही शुद्धता पूर्ण तरीके से प्रदर्शित करता है. आप एक सुपरकंप्यूटर में जो एक पैरेलल प्रोसेसर पर कार्य करता है, इसमें आप अपने मल्टीटास्किंग काम को बहुत ही तीव्रता और पूर्ण तरीके से कर सकते हैं. यही सबसे मुख्य सीरियल और पैरेलल कंप्यूटर में अंतर पाया जाता है.

दुनिया के सबसे 5 बेहतरीन सुपर कंप्यूटर कौन कौन से हैं

जब से सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया गया तब से अब तक बहुत सारे सुपर कंप्यूटर का निर्माण किया गया और आज भी सुपर कंप्यूटर का निर्माण जारी है और यह सब कंपटीशन के ऊपर काम किया जा रहा है, कि दुनिया का सबसे तेज सुपर कंप्यूटर कौन बनाएगा.आइए जानते हैं, पांच बेहतरीन दुनिया के सबसे बेहतरीन सुपर कंप्यूटर के नाम बारे में जो इस प्रकार से निम्नलिखित हैं.

  • Sunway TaihuLight (China)
  • Tianhe-2 (China)
  • Piz Daint (Switzerland)
  • Gyoukou (Japan)
  • Titan (United States)

भारत के सुपर कंप्यूटर के नाम कौन-कौन से हैं

हमारे देश में भी सुपर कंप्यूटर का निर्माण 1991 में किया गया और हमारे देश के पहले सुपर कंप्यूटर का नाम परम 8000 है और आज भी हमारे देश में कुछ सुपरकंप्यूटर हैं, जो शोध संस्थाओं और सुरक्षा प्रशिक्षण केंद्र में कार्य कर रहे हैं.चलिए जानते हैं, देश के सुपर कंप्यूटर के नाम के बारे में जो इस प्रकार से निम्नलिखित हैं.

  • Sahasra T (cray xc40)
  • Aaditya (Ibm/Lenovo system)
  • TIFR colour bason
  • IIT Delhi HPC
  • Param Yuva 2

सुपर कंप्यूटर की विशेषताएं

जिस प्रकार से इसका नाम है, ठीक उसी प्रकार से एक ही सुपर विशेषताएं हैं, जो इस प्रकार से निम्नलिखित है.

  • सुपर कंप्यूटर को रखने के लिए एक बड़े स्थान की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि यह आकार और वजन में काफी ज्यादा बड़े एवं विकसित होते हैं.
  • सुपर कंप्यूटर की कार्य क्षमता बहुत ही तेज होती है और यह सैकड़ों हजारों मनुष्य के कार्यों को केवल चंद सेकंड में ही पूरा करने की क्षमता रखते हैं. सुपर कंप्यूटर में आप जटिल से जटिल गणितीय गणना, वैज्ञानिक समीकरण एवं 3D ग्राफिक जैसे कठिन कार्यों को आसानी से एवं तीव्रता के साथ कर सकते हैं.
  • सुपर कंप्यूटर पर एक साथ कई सारे यूजर मल्टीटास्किंग काम कर सकते हैं.
  • एक साधारण कंप्यूटर के मुकाबले सुपर कंप्यूटर का दाम बहुत ही ज्यादा होता है और इसे एक व्यक्ति विशेष को खरीद पाना असंभव के बराबर है. इसकी उपयोगिता और दाम के आधार पर ही शायद अब तक कुछ ही कंप्यूटर सुपर कंप्यूटर के नाम से जाने जाते हैं.
  • एक सुपर कंप्यूटर में कई सारे सीपीयू एक साथ कार्य करते हैं और यह पैरेलल प्रोसेसिंग के आधार पर कार्य करता है, जिसकी वजह से सुपर कंप्यूटर की स्पीड उम्मीद से कहीं ज्यादा हो जाती है.
  • सुपर कंप्यूटर को आप एक अलग अलग ग्रुप के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं.
  • सुपर कंप्यूटर की देखरेख करने के लिए कई लोगों की जरूरत पड़ती है और सुपर कंप्यूटर का ध्यान बहुत ही बारीकी तरीके से रखा जाता है.
  • सुपर कंप्यूटर को ठंडा रखने के लिए कई हजार गैलन का इस्तेमाल करना पड़ता है.
  • आज के समय में एवं पहले से ही सुपर कंप्यूटर केवल कुछ विशेष स्थानों में पाए जाते हैं, जैसे कि वैज्ञानिक संस्था, शोध संस्था, तथा मेडिकल रिसर्च और लेबोरेटरी आदि में. सुपर कंप्यूटर को एक साधारण स्थान पर इस्तेमाल करना आम आदमी के बिल्कुल बजट के बाहर है.

सुपर कंप्यूटर के फायदे

जैसा कि हमने आपको बताया एक सुपर कंप्यूटर विशेष स्थान और कार्य के लिए इस्तेमाल किया जाता है, तो उसके लाभ भी बहुत हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार से निम्न है.

  • सुपर कंप्यूटर के कार्य क्षमता बहुत ही ज्यादा होती है.
  • सुपर कंप्यूटर में जटिल से जटिल गणना चंद सेकंड में एवं शुद्धता पूर्ण तरीके से हम कर सकते हैं.
  • मेडिकल शोध संस्थान में सुपर कंप्यूटर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
  • एक सुपरकंप्यूटर अंतरिक्ष में छुपे हुए रहस्य को उजागर करने के लिए काफी सहायक होता है.
  • यह इंसानी कार्य सीमाओं से कई गुना ज्यादा आगे हैं.

सुपर कंप्यूटर पर आधारित आज का हमारा या लेख आपको काफी ज्यादा ज्ञानवर्धक और जानकारी भरा लगा होगा. एक सुपर कंप्यूटर का आविष्कार मनुष्य के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है.

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