बैडमिंटन खेल का इतिहास और उसके नियम

उन्नीसवीं सदी में उरेशिया “बैटलडोर” और “शटलकॉक” के नाम की वस्तुओं से एक खेल सदियों पहले खेला जाता रहा, जो कालांतर में उन्नीसवीं सदी के दरमियान एक नये रूप के साथ सामने आया और “बैडमिंटन” के नाम से मशहूर हुआ. इसका ठोस उद्भव अभी भी अस्पष्ट है, माना जाता रहा है कि  ‘रैकेट’ ‘बैटलडोर’ का ही संशोधित रूप है, जिसका प्रयोग बैडमिंटन खेलने में होता है. आज एक लम्बे सफ़र के बाद बैडमिंटन एक ऐसा खेल बन गया है, जिसे ओलिंपिक में खेला जा रहा है. एशिया के कई देशों में ये खेल बड़े ही जोशो-जूनून के साथ खेला जा रहा है, जिसमे चाइना, भारत, श्रीलंका आदि मुख्य रूप से नज़र आते हैं. कई लोग इस खेल में अपना भविष्य ढूंढते हैं और अपने अथक परिश्रम के साथ अपनी एक पहचान बनाते हैं. कुछ विश्वस्तरीय खिलाड़ियों में दान लीं (चीन ), साइमन संतोसो (इंडोनेशिया), तौफीक हिदायत (इंडोनेशिया), पी.वी संधू (भारत), साईना नेहवाल (भारत), पी गोपीचंद (भारत) आदि के नाम बड़े ही एहतराम के साथ लिया जाता है. इन  शख्सियतों से मुतासिर नौजवान अपने में भी बैडमिंटन के गुण ढूंढते नज़र आते है.

badminton rules

 

 

बैडमिंटन और उसके नियम Badminton Rules and Regulations in hind

बैडमिंटन खेल का इतिहास (History of Badminton Game)

इस खेल का एक बड़ा विकास ब्रिटिश भारत में रह रहे प्रवासी अँगरेज़ अफसरों के बीच 1870 के आस पास देखने मिलता है. इस खेल का ही एक प्रारूप शटलकॉक की जगह गेंद के साथ भारत के तंजावुर में 1850 में खेला जाता था, जिसमे गेंद ऊन की बनी होती थी. ऊनी गेंद का प्रयोग अक्सर सूखे मौसम में होता था. सन 1873 के आस-पास ये खेल पूना गढ़ में भी खूब विकसित हुआ, और इसी दौरान 1875 में इस खेल के पहली बार कुछ नियम अस्तित्व में आये. इस दौरान लौटने वाले अफसरों ने दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड में स्थित फ़ॉकस्टोन में पहली बार बैडमिंटन कैंप की नींव डाली. उस दौर में ये खेल एक तरफ़ 1 से 4 खिलाडियों यानि कुल दोनों ओर मिलाकर अधिकतम आठ खिलाडियों के साथ खेला जाता था, लेकिन बाद में इसे संशोधित किया गया और इसे केवल दो या अधिकतम चार खिलाडियों के बीच का मुक़ाबला बना दिया गया. यह संशोधन इस खेल के लिए काफ़ी बेहतर साबित हुआ. हम आज भी बैडमिंटन के मैच के दौरान कोर्ट के दोनों तरफ अधिकतम 2-2 खिलाड़ियों को खेलते हुए देखते हैं. इस दौरान ‘शटलकॉक’ को रबर से लेपित किया जाता था, और उसका वजन बढ़ाने के लिए उसमें शीशे का भी इस्तेमाल होता था.

पुणे में बने नियमों की सहायता से यह सन 1887 तक खेला गया, जब तक कि जे.एच.इ. हार्ट ऑफ़ बात बैडमिंटन क्लब के द्वारा नये संशोधित नियम नहीं बनाए गये. सन 1890 में हार्ट और बंगेल वाइल्ड ने पूनः इन नियमों का संशोधन किया. लगातार संशोधन के साथ 13 फ़रवरी सन 1893 में बैडमिंटन एसोसिएशन ऑफ़ इंग्लैंड ने आधिकारिक तौर पर पोर्ट्माउथ के डनबर में इस खेल का आग़ाज़ किया. इस खेल में कुछ मुकाबले 1900 के आस-पास हुए और सन 1904 के आस-पास इंग्लैंड-आयरलैंड के बीच के मुकाबले देखने मिलते है. इसके बाद ये खेल मशहूर होता रहा और सन 1934 में बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन की नींव रखी गयी, जिसके संस्थापक सदस्य स्कॉटलैंड, आयरलैंड, वेल्स, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, नीदरलैंड और न्यूज़ीलैंड देश थे. दो साल बाद 1936 में ये संस्था बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन के नाम से काम करने लगी, जिसके साथ इसी साल भारत भी सहबद्ध हुआ. बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन यद्यपि इंग्लैंड की शुरुआत थी, परन्तु इसका बोलबाला एशिया तक भी पहुँचा और पिछले कई दशकों से चीन, डेनमार्क, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, भारत और इंडोनेशिया से इस खेल में काफ़ी लाजवाब खेलने वाले खिलाडी आये, जिन्होंने अपना नाम इस विश्वस्तरीय खेल में दर्ज कराया.

बैडमिंटन खेल में परिभाषाएँ  (Definition of badminton game)

इस खेल में कुछ परिभाषाएँ द्रष्टव्य हैं, जैसे इस मैच में दो खिलाड़ी एक दुसरे से मुकाबला करते हैं उन्हें ‘सिंगल्स’ कहा जाता है. दोनों तरफ़ से यदि दो-दो खिलाड़ी मौजूद हूँ तो इसे ‘डबल्स’ कहा जाएगा. जिस तरफ से पहली बार शटलकॉक को मारा जायेगा उसे सेर्विसंग साइड कहेंगे. सर्वे करने के बाद ठीक विपरीत कोर्ट को रिसीविंग साइड कहेंगे. इस तरह से एक खिलाड़ी को उसके विरुद्ध खेलने वाले दूसरे खिलाड़ी की तरफ कॉक लगातार हिट करने की क्रिया को रैली कहते हैं. इसके अलावा भी इसमें कुछ परिभाषाएं और होती हैं जोकि इस प्रकार है.

  • कोर्ट (Badminton court)

कोर्ट एक चतुर्भुजाकार जगह होती है जिसे एक नेट की सहायता से दो बराबर भागों में बाँट दिया जाता है. प्रायः एक ही कोर्ट को इस तरह से बनाया जाता है कि उसे सिंगल्स और डबल्स दोनों के लिए इस्तेमाल किया जा सके. इसे 40 मिमी चौड़ी लाइन से नियमानुसार चिन्हित किया जाता है. ये चिन्ह काफ़ी साफ़ होते हैं और इसके लिए प्रायः सफ़ेद या पीले रंग का इस्तेमाल होता है. नियमानुसार सारी लाइनें एक निश्चित क्षेत्र का निर्माण करती हैं जिन्हें परिभाषित किया गया है. कोर्ट की चौडाई 6.1 मीटर या 20 फिट होती है, जो सिंगल्स मैच के दौरान घटाकर 5.18 मीटर कर दी जाती है. कोर्ट की पूरी लम्बाई 13.4 मीटर या 44 फिट होती है. कोर्ट के मध्य में स्थित नेट से 1.98 मीटर पीछे दोनों तरफ एक सर्विस लाइन होती है. डबल्स कोर्ट के दौरान ये सर्विस लाइन बेक बाउंड्री से 0.73 मीटर की दूरी पर होती है.

कोर्ट में इस्तेमाल होने वाले नेट का निर्माण बहुत ही अच्छे किस्म के धागे से होता है ,और इसमें प्रायः काले रंग का इस्तेमाल होता है. नेट के किनारों को 75 मिमी के सफ़ेद टेप से मढ़ा जाता है. लम्बाई किनारों की तरफ प्रायः 1.55 मीटर की होती है, और बीच में 1.524 मीटर या पाँच फिट की होती है. ये लम्बाई सिंगल्स और डबल्स दोनों मैचों के लिए मान्य हैं.

  • शटलकॉक (Badminton shuttlecock)

शटल प्रायः प्राकृतिक या सिंथेटिक तत्वों से बनी होती है. ये एक शंकुनुमा वस्तु है जो बहुत उम्दा किस्म का प्रक्षेप्य या प्रोजेक्टिल होता है. इसमें इस्तेमाल होने वाले कॉक को सिंथेटिक तत्वों से लेपित किया जाता है. इसमें 16 पंख नीचे कॉक की तरफ लगे होते हैं. सभी पंखों की लम्बाई बराबर होती है जो 62 मिलीमीटर से 70 मिलीमीटर के बीच होती है. सभी पंखो के शीर्ष मिलकर आपस में एक वृत्तनुमा आकार बनाते हैं, जिसका व्यास 58 मिलीमीटर से 68 मिलीमीटर के बीच होता है. इसका वज़न लगभग 4.74 ग्राम से 5.50 ग्राम के बीच होता है. इसका आधार 25 मिलीमीटर से 28 मिलीमीटर के व्यास का एक वृत्त होता है जो नीचे की तरफ गोलाकार होता है.

 

इसके अतिरिक्त इसकी शटलकॉक बिना पंख वाली भी होती है, जिसमे पंखों को किसी सिंथेटिक मटेरियल से बदल दिया जाता है. इसका प्रयोग किसी टूर्नामेंट में नहीं होता, बल्कि केवल मनोरंजन के उद्देश्य से खेलने वाले बैडमिंटन में होता है. बैडमिंटन नियमावली में एक शटलकॉर्क को सही गति का मान दिया गया है. इसकी जांच के लिए कोई खिलाड़ी एक कॉक पर लम्बे अंडरहैण्ड स्ट्रोक का इस्तेमाल करता है, जो कॉक को बेक बौन्डरी की लाइन तक पहुंचाता है. कॉक को ऊपरी कोण के तहत स्ट्रोक किया जाता है, जो कि साइड लाइन के समान्तर होता है. सही गति के साथ एक कॉक 530 मिलीमीटर के कम या 990 मिलीमीटर से अधिक कभी नही उड़ती है.

  • रैकेट (Badminton racket)

कॉक को स्ट्रोक करने के लिए रैकेट का इस्तेमाल होता है, इसका निर्माण हल्के धातुओं से होता है. कुल मिलाकर इसकी लम्बाई 680 मिलीमीटर और इसके कुल चौड़ाई 230 मिलीमीटर की होती है. ये अंडाकार होता है. इसमें एक हैंडल होता है, जिसे पकड़ कर खिलाड़ी कॉक को स्ट्रोक करते हैं. एक अच्छे क़िस्म के रैकेट का वजन 70 से 95 ग्राम के बीच होता है. इसका एक हिस्सा एक विशेष किस्म के धागे से बना होता है, जो कॉक को स्ट्रोक करने के काम आता है. अमूमन ये धागे कार्बन फाइबर से निर्मित होते हैं. इसकी वजह ये है कि कार्बन फाइबर से बने धागे कठोर और मजबूत होते हैं, साथ ही इनमे गतिज ऊर्जा की परिवर्तन की क्षमता काफ़ी अधिक होती है.

 

इन सब के अतिरिक्त रैकेट अलग अलग डिज़ाइनों में पाया जाता है. विभिन्न रैकेटो की विभिन्न विशेषताएँ हैं, जो अलग-अलग तरह के खिलाड़ियों के लिए बनाए जाते हैं.

बैडमिंटन खेल के नियम (Rules of badminton)

इस खेल के नियमों को निम्न भागों में बताया गया है.

  • सर्विस के नियम (Service rules in badminton)

किसी भी सही सर्विस में, यदि दोनों ओर के खिलाड़ी तैयार हों तो कॉक सर्वे करने में देर नहीं होनी चाहिए. एक खिलाडी की तरफ़ से सर्वे करने के बाद दुसरे खिलाड़ी के कोर्ट में कॉक का पहुंचना अनिवार्य है. यदि ऐसा न हुआ तो इसे सर्विंग खिलाडी की ग़लती मानी जायेगी, जिसका लाभ विपरीत कोर्ट के खिलाडी को मिलता है. खेल के शुरू में सर्वर और उसके विपरीत कोर्ट में खड़े रिसीवर दोनों सर्विस लाइन को बिना छुए तिरछे खड़े होते हैं.

सर्विंग साइड एक रैली हारने पर सर्व तुरंत विपरीत कोर्ट के खिलाडी को डे दिया जाता है. सिंगल्स मैचों के दौरान सर्वर का स्कोर सम संख्या होने पर वो दाहिने कोर्ट में खड़ा होता है और स्कोर विषम संख्या होने पर बाँए कोर्ट में खड़ा होता है.

डबल्स के दौरान यदि सर्वर साइड रैली जीत लेता है तो वही खिलाड़ी फिर से सर्व करता है जिसने पहले सर्व किया था, लेकिन इस समय उसका कोर्ट बदल जाता है ताकि हर बार वो एक ही खिलाड़ी को सर्वे न कर पाए. इसी तरह यदि विरोधी दल रैली जीत लेता है और उसका स्कोर सम संख्या में हो तो सर्विंग खिलाडी अपने कोर्ट के दाहिने तरफ़ होगा, वहीँ स्कोर विषम संख्या होने पर सर्विंग खिलाड़ी अपने कोर्ट के बाएँ तरफ़ होगा.

  • स्कोरिंग के नियम (Scoring rules of badminton)

प्रत्येक खेल कुल 21 पॉइंट्स के होते है. एक मैच कुल 3 भागों में होता है. यदि दोनों दलों का स्कोर ही 20-20 हो चूका हो तो खेल तब तक ज़ारी रहता है, जब-तक दोनों में किसी एक को दो अतिरिक्त पॉइंट की बढ़त न मिल जाए. मसलन 24-22 का स्कोर, वरना खेल 29 पॉइंट्स तक ज़ारी रहता है. 29 पॉइंट्स के बाद एक ‘गोल्डन पॉइंट’ के लिए खेल होता है, जो इस पॉइंट को हासिल करता है वो खेल जीत जाता है.

  • खेल के शुरू में एक टॉस होता है जो ये तय करता है कि कौन सा खिलाड़ी सर्व करेगा या रिसीवर होगा.
  • एक खिलाडी या जोड़े खिलाडियों को मैच जीतने के लिए तीन में से दो खेलें जीतनी होती हैं.
  • खिलाड़ियों को अपने कोर्ट, मैच के दूसरे खेल की शुरुआत में बदलने होते हैं.
  • सर्वर और रिसीवर को बिना सर्विस लाइन छुए सर्विस कोर्ट में रहना होता है.
  • लेट कॉल होने पर रैली स्थगित कर दी जाती है, और पुनः खेला जाता है बग़ैर किसी स्कोर परिवर्तन के.
  • लेट कॉल किसी अप्रत्याशित रुकावट या परेशानी की वजह से होता है.
  • यदि रिसीवर तैयार न हो और सर्वर ने सर्व कर दिया हो, तो भी लेट कॉल हो सकता है.

फाल्टस (Fault in badminton)

कोई भी रैली फाल्ट से ही ख़त्म होती है. फाल्ट करने वाला खिलाड़ी रैली हार जाता है. फाल्ट के कई कारण हो सकते हैं, जैसे यदि सर्विस सही तरीक़े से नहीं हुआ तो फाल्ट हो सकता है. मसलन सर्विस करते वक़्त सर्वर का पांव सर्विंग लाइन पर पड़ गया हो या सर्विस के बाद शटल कोर्ट के बाहर जाकर गिरा हो. सर्विस के बाद यदि कॉक नेट में फंस जाता है, तो ये फाल्ट में गिना जाता है. इन सबके अतिरिक्त फाल्ट के कुछ कारण निम्नलिखित है.

  • रिसीवर के साथी खिलाड़ी द्वारा सर्विस का जवाब देने पर.
  • सर्विस के बाद या रैली के दौरान शटल नेट के पार न जाने पर.
  • कॉक यदि किसी ऐसी वस्तु को छू जाता है जो कोर्ट के बाहर हो.
  • एक ही खिलाड़ी द्वारा लगातार दो बार कॉक हिट करने पर फाल्ट हो सकता है, यद्यपि रैकेट के हेड से स्ट्रिंग एरिया में आने के बाद के स्ट्रोक में फाल्ट नहीं होता है.
  • यदि एक ही कोर्ट में स्थित दो खिलाड़ी एक के बाद एक शटल स्ट्रोक करते हैं, तो इसकी गणना फाल्ट में होगी.
  • यदि आती हुई कॉक को रिसीवर कुछ इस तरह स्ट्रोक कर देता है, जिससे कॉक की दिशा विरोधी खिलाड़ी की तरफ नहीं रह जाती.
  • खेल के दौरान यदि खिलाड़ी नेट को हाथ लगा देता है.
  • खिलाड़ी खेल के दौरान यदि कोई ऐसी गतिविधि करता है, जिससे उसके विरोधी खिलाड़ी का ध्यान खेल से भटक जाता है, और वो जवाबी स्ट्रोक देने में विफल हो जाता है तो भी फाल्ट की संभावना होती है.

खेल का स्थगन (Postpone)

 

खेल कई कारणों से निलंबित हो सकता है. मसलन यदि कोई ऐसी घटना हो जाए जो खिलाडी के नियंत्रण के बाहर हो, और इस दौरान यदि एम्पायर को ये लगता है कि खेल का निलंबन आवश्यक है तो खेल स्थगित किया जा सकता है. किसी विशेष कारणों से रेफ़री एम्पायर को खेल स्थगित करने की सूचना देता है. खेल स्थगित होने पर उस समय तक के स्कोर तब तक वैसे ही रहते हैं जब तक खेल वहीँ से पुनः शुरू न हो जाए.

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