बच्चों को स्कूल कैसे भेजें? बच्चे स्कूल क्यों नहीं जाते हैं? छोटे बच्चों को स्कूल भेजने के 10 अनोखे तरीके

बच्चों को स्कूल कैसे भेजें? बच्चे स्कूल क्यों नहीं जाते हैं

बच्चों को स्कूल भेजना आज की दुनिया में सबसे कठिन कार्य हो गया है. एक समय था जब हम जैसे नाकाराओं को भी हमारे माता-पिता ने बड़ी मुश्किल से स्कूल भेजा था. आज हम जान चुके हैं की उस समय हमारे माता-पिता हमें स्कूल जाने के लिए क्यों प्रेरित करते थे, क्योंकि बिना ज्ञान के हम यहाँ तक नहीं पहुँच पाते हैं. कुछ दिन पहले एक वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया गया था, इस वीडियो में एक बच्ची कह रही है की उसे स्कूल बिलकुल भी पसंद नहीं है. यह उस अकेली बच्ची की पसंद नहीं है, आज देश और दुनिया भर में किसी भी बच्चे से पूछा जाए तो उसका यही जवाब होगा. और सच कहूँ तो बच्चो को स्कूल भेजना हमारे लिए किसी बड़े टास्क से कम नहीं होता है अगर बच्चा स्कूल नहीं जाता है तो हम खुद स्ट्रेस में आ जाते हैं. आज इस आर्टिकल में पढने को मिलेगा की बच्चे को स्कूल भेजने की सही उम्र क्या है?, बच्चे को स्कूल में किस बात का डर लगता है ? एंव बच्चे को स्कूल कैसे भेजा जाए. इन सबकी जानकारी इस आर्टिकल में आपको पढने को मिलेगी.

बच्चा स्कूल के लिए मना क्यों करता है

 

आज हमें देखने को मिलता है की बच्चे की उम्र महज 2-3 वर्ष होती है और उसे प्ले स्कूल में भेजा जाने लगता है ताकि वह स्कूल में बैठना सीख जाए. कुछ लोग इसे अच्छा भी मानते है और कुछ लोग इसे पैसों की बर्बादी भी कहते हैं. जब बच्चे को स्कूल भेजने की बारी आती है तब बच्चा स्कूल नहीं जाने की जिद्द करने लगता है. उसकी हरकतों से ऐसा लगता है मानो बच्चे को स्कूल से डर लग रहा हो और स्कूल का नाम सुनते ही बच्चा रोने लग जाता है. इतना ही नहीं कुछ बच्चे तो बहाने भी बनाते है की उनका पेट दर्द हो रहा है या उल्टी आ रही है. इस तरह की हरकतों को मनोवैज्ञानिक स्कूल फोबिया कहते हैं.

स्कूल फोबिया क्या है ?

यह कोई बीमारी नहीं है , स्कूल फोबिया के शिकार बच्चे उस वक्त होते है जब वे अपने माता-पिता एवं घर से दूर जाते है और नई चीजों में अपने आप को एडजस्ट नही कर पाते है. यहाँ का अनुशासन इत्यादि उसे समझ में नहीं आता है और उसके दिमाग में एक डर बैठ जाता है. और उसी वक्त कोई टीचर उसे डांट दे या उसके सामने किसी को थप्पड़ मार दे तो वह स्कूल से डरने लग जाएगा. स्कूल से लगने वाले डर को ही काउंसलर स्कूल फोबिया कहते है यह 6 वर्ष या 15 वर्ष के बच्चों में सबसे ज्यादा होता है. इसकी वजह से बच्चो के स्वभाव में अंतर आने लगता है और वह छोटी-छोटी बातो पर नाराज होता है और चिल्लाने लग जाता है. ऐसी स्थिति में किसी अच्छे काउंसलर के पास बच्चे को भी लेजाना चाहिए और माता-पिता को भी काउंसलिंग करनी चाहिए. ताकि वह बच्चे में हो रहे परिवर्तनों को समझ पाए.

बच्चों को दिमाग में होते है यह डर

जब बच्चे पहली बार स्कूल जाते है तो उनके दिमाग में अनेक तरह के डर घर कर लेते है. यही वजह है कि बच्चा स्कूल नही जाने की जिद्द करता है. अगर स्कूल का नाम भी लिया जाता है तो बच्चा डरने लग जाता है. इस तरह के डर बच्चे के दिमाग में होते है –

  • घर एवं माता-पिता से दूर जाने का डर.
  • होमवर्क न करने पर मिलने वाली सजा का डर.
  • टीचर्स की डांट का डर.
  • दूसरों बच्चों से बार-बार उनकी तुलना करने का डर.
  • स्कूल में नये दोस्त ना होने का डर.
  • घर वालो की इच्छा पर खरा ना उतरने का डर.
  • स्कूल में दुसरे बच्चों के व्यवहार से डरना.

पेरेंट्स बच्चों के दिमाग से स्कूल का डर निकालने के लिए क्या करें

 

अगर आपका बच्चा भी स्कूल जाने से डरता है या फिर बार-बार स्कूल के टाइम पर बहाने बनाता है तो आप बच्चे के व्यवहार को स्टडी करें. क्योंकि जबतक आप पता नहीं करेंगे की बच्चा स्कूल से क्यों डर रहा है तब तक आप उसे चाहकर भी स्कूल भेज नहीं पाओगे. बच्चे के स्कूल में जाकर पता करना चाहिए की हाल ही में उसके साथ कुछ ऐसा हुआ है क्या ? जिसकी वजह से वो डरा हो या किसी बच्चे ने उसके साथ शरारत की है या किसी अध्यापक/अध्यापिका ने उसको डांट लगाई है, तो आपको उसका सही कारण पता करना है और अपने बच्चे को एक अध्यापक एंव स्कूल का महत्व बताना है. अगर आपका बच्चा स्कूल फोबिया का शिकार है तो किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक काउंसलर से बच्चे की काउंसलिंग करवाए और माता-पिता को भी काउंसलिंग करवानी चाहिए ताकि आगे जब भी ऐसी प्रॉब्लम आये तब आप बच्चे को संभाल पाए एवं  ऐसी स्थिती दुबारा ना आने दें.

बच्चों को स्कूल भेजने के टिप्स

तमाम कोशिशों के बाद भी कुछ ढीठ बच्चे होते है जो स्कूल के नाम से ही रोने लग जाते है और तरह-तरह के बहाने बनाने लगते है. ऐसे बच्चों को सुधारना या फिर उन्हें स्कूल भेजना बहुत मुश्किल होता है. ऐसे में हम आपको बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कुछ टिप्स बता रहे हैं. आप इन टिप्स को फॉलो करके बच्चे को स्कूल भेज सकते हैं.

  • अपने बच्चे को पहली बार स्कूल भेजने से पहले स्कूल के टाइम-टेबल को जरुर जाने एवं बच्चे को समझाएं की उसे स्कूल में क्या-क्या करना है. ताकि बच्चा पहले दिन स्कूल में परेशान ना हो क्योंकि अगर पहले दिन उसके साथ किसी भी तरह की प्रॉब्लम हो जाती है तो वह स्कूल से डरने लग जाता है.
  • बच्चे को स्कूल की अहमियत समझाने की कोशिश करें, अगर बच्चा बहुत छोटा है तो उसे उसकी पसंदीदा चीज देकर स्कूल भेजें.
  • बच्चे का टिफ़िन ख़ास बनाये, बच्चे को खाने में जो पसंद है हर रोज उसी तरह का खाना उसके टिफिन में होना चाहिए.
  • पेरेंट्स को अपने बच्चे से पूछना चाहिए कि उसे स्कूल में क्या पसंद है और क्या नहीं ! ऐसे में उसे जो चीज पसंद नहीं आ रही है उसके बारे में स्कूल को सूचित करें.
  • बच्चे से यह जरुर पूछे कि स्कूल में उसे किस बात का डर लग रहा है, और उसके स्कूल में जाकर भी उसके व्यवहार में हाल ही में हुए परिवर्तन के बारें में बात करें.
  • बच्चे को उसकी छोटी-छोटी बातों पर मोटिवेट करें एवं उसके स्कूल की तारीफ़ करें एवं उसे ऐसा जताये की स्कूल में उसकी बहुत अहमियत है. अगर कोई टीचर उसकी तारीफ़ नहीं भी करता है तो बच्चे के आगे कहो की उस अध्यापक ने उसकी तारीफ़ की है. ऐसा करने से बच्चे का स्कूल जाने का मन होगा.
  • अगर बच्चा स्कूल नहीं जाने की जिद्द कर रहा है तो आप उसे खुद स्कूल छोड़ने जाए, इतना ही नहीं जब छुट्टी हो तो उसके लिए कोई गिफ्ट लेकर जरुर जाएँ एवं स्कूल के बाहर उसका इन्तजार करें. ऐसा करने से बच्चा मोटिवेट होगा और उसे स्कूल जाना अच्छा लगने लग जाएगा.
  • अगर बच्चा किसी टीचर को पसंद नहीं करता है तो आप भी यह कहो की हमें भी वह टीचर पसंद नही है पर बाकी टीचर तुम्हे बहुत पसंद करते हैं. ऐसा कहने पर बच्चा स्कूल की तरफ रुख करने लग जाएगा.
  • बच्चे को एक लालच जरुर देकर रखें कि अगले हफ्ते हम मूवी देखने जायेंगे या कहीं घुमने जायेंगे, तब तक तुम्हे एक भी दिन स्कूल से छुट्टी नहीं करनी है. और उस दिन उसे सच में घुमाने ले जाएँ. इससे बच्चा बहुत जल्द स्कूल में अपना मन लगाने लगेगा और बहुत ही कम समय में वह स्कूल की अहमियत समझ जाएगा.
  • बच्चे पर पढाई का दबाव कभी ना बनाये एवं उसे अपनी मर्जी से पढने एवं खेलने का समय तय करने दें. उसे ऐसा कभी नहीं लगना चाहिए की उसपर किसी भी तरह का दबाव बनाया जा रहा है.
  • छुट्टियों में अच्छी जगह घुमने जायें एवं पिकनिक मनाये, एवं बच्चे को यह जरुर कहें की तुम स्कूल की छुट्टी नहीं करोगे तो अगले साल हम उसकी फेवरेट जगह घुमने जायेंगे. ऐसा करने से बच्चा स्कूल में मन लगा लेगा.

 

अब आप समझ गये होंगे की बच्चा स्कूल जाने से डरता क्यों है और उसे स्कूल कैसे भेजा जाएगा. हमने उपर आपको बच्चों एंव स्कूल से जुड़ी बहुत सी जानकारियां शेयर की है. उम्मीद है की आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा. अगर बच्चो एवं स्कूल से जुड़ा कोई सवाल है तो आप यहाँ हमसे पूछ सकते हैं.

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