क्यों हमें हर चीज मे चेहरे नजर आते है - देखिये 9 तस्वीरें

इंसान निर्जीव वस्तुओं में पैटर्न देखने, विशेष रूप से चेहरे स्पॉट करने में चैंपियन हैं - 1976 में वाइकिंग 1 ऑर्बिटर द्वारा ली गई तस्वीरों में प्रसिद्ध "फेस ऑन मार्स" के बारे में याद कीजिये, जो वास्तव  में प्रकाश और छाया के कारण बनी थी। लोग हमेशा जले हुए टोस्ट और कई अन्य खाद्य पदार्थों में यीशु का चेहरा देखने की बात कहते हैं। 

 

1. ये एक अदरक का टुकड़ा है जिसमे किसी बाज की छवि देखी जा सकती है। आपने भी कभी कभी खाने पीने की चीजों में चेहरे देखे होंगे। मुझे कमेंट करके बताइये क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है?

ये तस्वीरें आपके बोरिंग दिन को मजेदार बनाकर सारी थकान उतार देंगी। यदि आपको यह आर्टिकल पसंद आता है तो आप इसे लाइक जरुर करें। इसके अलावा आप इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर शेयर भी करें। ताकि सभी लोग इस आर्टिकल का आनंद उठा सकें। इसी तरह के ढेर सारे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमारे इस चैनल को फॉलो जरूर करें। हम आपके लिए रोज मजेदार आर्टिकल लेकर आते हैं। चलिए अब यह आर्टिकल शुरू करते हैं।

 

2. ये एक पौधे के सीड पॉट्स है जो किसी चीखते हुए बच्चे की तरह लग रहा है। कुछ लोगों को ये डरावने भी लग सकते है। इससे ये पता चलता है कि हमारा दिमाग ना सिर्फ चेहरे पहचानता है बल्कि वो भावनाक को भी पढ़ लेता है।

इस घटना का फैंसी नाम फेशियल पेरिडोलिया है। सिडनी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया है कि न केवल हम रोजमर्रा की वस्तुओं में चेहरे देखते हैं, बल्कि हमारा दिमाग भी वस्तुओं को भावनात्मक संबंध जोड़ने की कोशिश करता है, जैसे हम वास्तविक लोगो के साथ करते हैं। 

 

3. इन्हें व्हेल रॉक कहा जाता है क्योंकि ये चट्टाने व्हेल मछली की तरह लगती है। क्या आप जानते है कि ये चट्टाने किस देश मे? अगर है तो मुझे कमेंट करके जरूर बताना।

हमारे मस्तिक्ष का ये तंत्र शायद जल्दी से यह तय करने के लिए विकसित हुआ कि कोई व्यक्ति हमारा मित्र है या शत्रु। सिडनी की टीम ने  एक हालिया पेपर में अपने काम का वर्णन किया। सिडनी विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक डेविड एलेस ने द गार्जियन को बताया: "हम एक परिष्कृत सामाजिक प्रजाति हैं, हमारे लिए चेहरे की पहचान बहुत महत्वपूर्ण है ... आपको यह पहचानने की जरूरत है कि यह कौन है, क्या यह परिवार का सदस्य  है, क्या यह दोस्त या दुश्मन है, उनके इरादे और भावनाएं क्या हैं? 

 

4. ये कोई विशालकाय कीट नही है बस हमारे दिमाग का भ्रम है। दरहसल ये कीड़ा कांच की विंडो पर बैठा है। पर हमारा दिमाग कह रहा है कि ये कीड़ा बाहर बैठा है और बहुत विशालकाय है।

 ऐसा लगता है कि मस्तिष्क एक प्रकार की टेम्पलेट-मैचिंग प्रक्रिया का उपयोग करके ऐसा करता है। अगर यह एक ऐसी वस्तु को देखता है जिसमे उसे एक मुंह, ऊपर नाक और उसके ऊपर दो आंखें दिखाई देती है, तो दिमाग को लगता है कि वह, 'एक चेहरा देख रहा है। दिमाग हमेशा ये काम सटीकता से नही करता। कभी कभी चेहरे पहचानने में उससे गलती भी हो जाती है।

    

5. भूतिया नींबू। फल या सब्जियों में तरह तरहके चेहरे देखना आम बात है। अक्सर हम बैंगन या कटहल में चेहरे दिख जाते है। 

 

इस रिसर्च में अगला कदम मस्तिक्ष के उस खास भाग की जांच करना था जो हमें दुसरो के चेहरों पर से सामाजिक जानकारी पढ़ते में मदद करता है। फेशियल पेरिडोलिया की इस घटना ने एलिस को बहुत प्रभावित किया। "इन वस्तुओं की एक उल्लेखनीय विशेषता यह है कि वे न केवल चेहरे की तरह दिखते हैं, बल्कि हमरा मस्तिक्ष उनमे व्यक्तित्व को भी खोज लेता है जैसे, टोस्ट में दिख रहा चेहरा यीशु के या किसी भूत का। 

 

 पेड़ का आकार अनिश्चित होता है इसलिए पेड़ पौधे अक्सर इंसान या जानवर के चेहरे जैसे दिखने लगते है। कभी कभी ये पेड़ डायनासोर जैसा लगने लगता है।

 

 

हमें अक्सर स्विच बोर्ड सॉकेट इंसानी चेहरे की तरह दिखते है और डरावने लगते है।

 

हमारा दिमाग यहीं नही रुकता वह उस चेहरे के अंदर भावनाओ को भी खोजने की कोशिश करता है। जैसे कोई चेहरा उस खुश तो कोई क्रोधित या दुखी प्रतीत होता है, वो चेहरा हमे देख रहा है या नही। 

 

6. ये पिज़्ज़ा मुझे घूर क्यो रहा है भाई?

साइकोलॉजिकल साइंस पत्रिका में पिछले साल प्रकाशित एक पेपर के मुताबिक, एलिस की टीम ने एक प्रयोग तैयार किया, जिसमे ये पाया गया  कि हम वास्तव में चेहरे के पेरिडोलिया को उसी तरह से देखते है  हैं जैसे हम असली चेहरों को देखते हैं।

 

7. एक काला डरावना बैग, पूछ रहा है कोई मेरे साथ घूमने चलेगा?

 इस अध्ययन में  17 विश्वविद्यालय के छात्र शामिल हुए। जिनमें से सभी ने प्रयोगों से पहले आठ वास्तविक चेहरों और आठ पेरिडोलिया छवियों के साथ परीक्षण पूरा किया। वास्तविक प्रयोगों में 40 वास्तविक चेहरों और 40 पेरिडोलिया छवियों का उपयोग किया गया था, जिनमे क्रोध से लेकर खुश और चार अन्य श्रेणियों को शामिल किया गया था। ज्यादा क्रोधित, कम क्रोधित, कम खुश और ज्यादा खुश ये भी प्रयोग का हिस्सा थे।

 

8. कल्पना कीजिये, आप एक मक्खन का बॉक्स खोलते है और आपको ये चेहरा दिखाई देता है क्या आप अब भी मक्खन खाएंगे?

 प्रयोगों के दौरान इन छात्रों को प्रत्येक छवि दिखाई गई और फिर उन्हें क्रोधित/खुश के भाव को को रेट करने के लिए कहा गया।  प्रत्येक चित्र को आठ बार दिखाया गया। आधे छात्रों ने पहले वास्तविक चेहरों का उपयोग करके टेस्ट पूरा किया और फिर पेरिडोलिया छवियों का उपयोग किया गया। अन्य आधे छात्रों ने इसके विपरीत किया।  प्रत्येक प्रतिभागी ने दी गई हर तस्वीर को आठ बार रेट किया।

 

एलिस ने द गार्जियन को बताया, "हमने पाया कि वास्तव में इन पेरिडोलिया छवियों को दिमाग के उसी तंत्र द्वारा प्रोसेस किया जाता है जो आम तौर पर वास्तविक चेहरे में भावनाओं को देखता है। इसी तंत्र की वजह से आप चाहकर भी  उस चेहरे की प्रतिक्रिया और भावना को पूरी तरह से अनदेखा करके इसे एक वस्तु के रूप में देखने में असमर्थ होते हैं।

 

9. ये तो किसी प्यारे से इमोजी जैसा लग रहा है।

 

 एलेस ने कहा। बादलों में चेहरे देखना एक बच्चे की कल्पना से कहीं अधिक है। जब वस्तुएं आकर्षक रूप से चेहरे की तरह दिखती हैं, तो यह एक व्याख्या से कहीं अधिक है: वे वास्तव में आपके मस्तिष्क के चेहरे का पता लगाने वाले नेटवर्क को चला रहे हैं। और वह चिल्लाना या मुस्कान- इस भाव को भी पढ़ लेता है। इस शोध से निष्कर्ष ये निकला की मस्तिष्क के लिए, नकली या असली, सभी चेहरों एक ही तरह से प्रोसेस किये जाते है 

 

News source : Brightside, Wired

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