अमरूद के 8 अद्भुत फायदे

अमरूद के 8 अद्भुत फायदे

सर्दियों में तो अमरूद को फलों का राजा मान लिया जाता है. इसकी वजह है अमरूद के लाभ. अमरूद को आयुर्वेद में अमृत नाम से जाना जाता है क्योंकि इसके गुण अमृत के समान ही हैं। आयुर्वेद के अनुसार अमरूद फल कच्चा और दोनों प्रकार से उपयोग में लाया जाता है।

अमरूद तो आपने खाया ही होगा, लेकिन क्या आप उसके फायदों के बारे में जानते हैं? जुलाई-अगस्त महीने में भरपूर मात्रा में मिलने वाला अमरूद अनेक पोषक तत्वों का भंडार होता है और इस वजह से यह कई बीमारियों से शरीर की रक्षा करता है। यानी कुल मिलाकर अमरूद किसी चमत्कारी फल से कम नहीं है। सिर्फ यही नहीं, अमरूद के पत्ते भी सेहत के लिए लाभदायक होते हैं। ये भी कई बीमारियों से शरीर को बचाने में सक्षम हैं, क्योंकि इन पत्तों में एंटी-ऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे गुण पाए जाते हैं। अमरूद के पत्ते जहां कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण और जोड़ों के दर्द को दूर करने में उपयोगी हैं, तो वही अमरूद खाने के भी कई फायदे हैं। अमरूद को उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) में तो फायदेमंद माना ही जाता है, साथ ही इसके सेवन से पाचन तंत्र भी सही रहता है। हालांकि कभी-कभी कई लोगों को अमरूद का सेवन नुकसान भी पहुंचा सकता है।

 

दिल का साथी

अमरूद में मौजूद पोटैशियम और मैग्‍नीशियम दिल और मांसपेशियों को दुरुस्‍त रखकर उन्‍हें कई बीमारियों से बचाता है।

पेट संबंधी विकार दूर होते हैं

यदि काले नमक के साथ अमरूद को खाते हैं तो इससे पाचन संबधी परेशानी दूर होती है. पेट में कीड़े हो गए हों तो अमरूद का सेवन फायदेमंद होता है. कब्ज व पित्त की समस्या को भी दूर करता है।

पेट संबंधी विकार दूर होते हैं

यदि काले नमक के साथ अमरूद को खाते हैं तो इससे पाचन संबधी परेशानी दूर होती है. पेट में कीड़े हो गए हों तो अमरूद का सेवन फायदेमंद होता है. कब्ज व पित्त की समस्या को भी दूर करता है।

 

एंटी एजिंग गुणों से भरपूर

एंटी एजिंग गुणों से भरपूर अमरूद स्किन के डैमेज सेल की मरम्त कर उसे हेल्दी रखता है, जिससे जल्दी झुर्रियां व झाइयां भी नहीं पड़तीं. इसकी पत्तियों को पीसकर पेस्ट बनाएं फिर आंखों के नीचे लगाएं इससे आंखों की सूजन और काले घेरे भी ठीक होंगे।

 

दांतों को मजबूत करता है

दांत और मसूढ़ों के लिए भी अमरूद बहुत फायदेमंद है. मुंह के छाले को दूर करने के लिए अमरूद की पत्तियां चबाने से राहत मिलती है. अमरूद का रस घाव जल्दी भरने का काम करता है।

पाइल्स में लाभकारी 

पाइल्स के इलाज में अमरूद की छाल बेहद लाभदायक होती है. 5-10 ग्राम अमरूद की छाल का चूर्ण बना लें. उसके बाद इसका काढ़ा बनाकर पीने से पाइल्स में आराम मिलता है. अच्छे परिणामों के लिए लगातार 1 महीने तक रोजाना यह काढ़ा एक बार जरूर पीना चाहिए।

 

सिरदर्द दूर करता है अमरूद

सूर्योदय से पहले प्रातः कच्चे हरे अमरूद को पत्थर पर घिसकर जहां दर्द होता है, वहां खूब अच्छी तरह लेप कर देने से सिर दर्द नहीं उठ पाता। अगर दर्द शुरू हो गया हो तो शांत हो जाता है। यह प्रयोग दिन में तीन-चार बार करना चाहिए।

मुँह के रोग और दांतदर्द से आराम

अमरूद के 3-4 पत्तों को चबाने या पत्तों के काढ़े में फिटकरी मिला कर कुल्ला करने से दांत के दर्द में आराम होता है। अमरूद के कोमल पत्तों में कत्था मिलाकर पान की तरह चबाने से मुँह के छाले ठीक हो जाते हैं। अमरूद के पत्तों को पानी में पकाकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में नमक मिलाकर मुँह में 4-5 मिनट तक रख कर कुल्ला करने से मुख के घाव, मुखगत रक्तस्राव तथा मुखदौर्गन्ध्य में लाभ प्राप्त होता है और दाँत स्वस्थ रहते हैं।

खाँसी-जुकाम से आराम दिलाता है

जुकाम के पुराने रोगी, जिसका कफ न निकल रहा हो, को एक बड़ा अमरूद बीज निकालकर खिला दें और ऊपर से ताजा जल रोगी नाक बंद करके पी ले। दो-तीन दिन में ही रुका हुआ जुकाम बहकर साफ हो जाएगा। दो-तीन दिन बाद अगर स्राव रोकना हो तो 50 ग्राम गुड़ रात्रि में बिना जल पीए खा लें। यदि सूखी खाँसी हो और कफ न निकलता हो तो, सुबह एक ताजे अमरूद को तोड़कर, चबा-चबा कर खाने से 2-3 दिन में लाभ होता है। अमरूद का भबका यंत्र द्वारा अर्क निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीने से भी सूखी खाँसी में लाभ होता है।

पेचिश में लाभकारी

बच्चे का पुराना पेचिश मिटाने के लिए अमरूद की 15 ग्राम जड़ को 150 मिली जल में पकाकर जब आधा जल शेष रह जाए तो 6-6 मि.ली. तक दिन में दो-तीन बार पिलाना चाहिए। कच्चे अमरूद के फल को भूनकर खिलाने से भी अतिसार में लाभ होता है। अमरूद की छाल व इसके कोमल पत्रों का काढ़ा बनाकर 20 मि.ली. मात्रा में पिलाने से हैजा की प्रारम्भिक अवस्था में लाभ होता है।

अमरूद की छाल का काढ़ा अथवा छाल के 5-10 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से पेचिश, हैजा, दूषित भोजन की विषाक्तता, उल्टी तथा अनपच आदि ठीक होते हैं। अमरूद का मुरब्बा, पेचिश एवं अतिसार में लाभदायक है। अमरूद के नये पत्तों को पीसकर स्वरस निकाल लें। इस स्वरस में चीनी मिलाकर प्रातःकाल सेवन करने से सात दिनों में बदहजमी में लाभ होने लगता है।

मलद्वार बाहर निकलने की समस्या से दिलाये आराम

अमरूद और नागकेशर दोनों को महीन पीसकर उड़द के समान गोलियाँ बनाकर सेवन कराने से कब्ज के कारण गुदभ्रंश यानी मलद्वार का बाहर निकलना बंद होता है।

अमरूद के वृक्ष की छाल, जड़ और पत्ते, बराबर-बराबर लेकर मोटा कुट लें तथा एक लीटर जल में उबालें, जब आधा जल शेष रह जाए, तब इस काढ़े से गुदा को बार-बार धोना चाहिए इससे गुदभ्रंश में लाभ होता है।

लगातार होने वाले दस्त के कारण होने वाले गुदभ्रंश में अमरूद के ताजे पत्रों की पुल्टिस बनाकर बाँधने से दर्द और सूजन कम होती है तथा गुदभ्रंश में लाभ होता है।

कब्ज से छुटकारा पाने के लिए

प्रातः अमरूद को नाश्ते में काली मिर्च, काला नमक तथा अदरख के साथ खाने से बदहजमी, खट्टी डकारें, पेट फूलना तथा कब्ज का निवारण होकर भूख बढ़ने लगेगी। दोपहर खाने के समय अमरूद को खाने से आंत के दर्द तथा अतिसार में लाभ होता है। अमरूद के गुण का लाभ मिलने के लिए सही मात्रा में सेवन करना ज़रूरी होता है।

मानसिक रोगों में फायदेमंद है

अमरूद के पत्ते के काढ़े का सेवन करने से मस्तिष्क विकारों तथा किडनी की जलन का शमन होता है।

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